MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

12.13.2017

'ज़ीरो फ़िगर वाली पहुँची हुई कविता' : कवयित्री मनीषा गुप्ता

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     13 December     कविता     2 comments   

प्रकृति के सुकुमार कवि पंत जी जैसे गंभीरता और अज्ञेय जी जैसे विरागी की वैराग्य लिए अस्तित्व-प्रस्फुटन के साथ आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पढ़ते है सुश्री मनीषा गुप्ता की बेहद भावुक काव्य-मल्हार ! आइये, हम इसे पढ़ते हैं.....................




■नम्र निवेदन...

नित्य संवेदनाओ से घिरी
अस्तित्वहीन, अपूर्ण
परिलक्षित-सी मैं ...!

■आह...

प्यार के सारगर्भित रहस्य को छुपा
निश्चेतन, निष्प्राण-सी शिलाखंड
न भावनाओ का आरोह, 
न जज़्बातों का कोई अवरोह ...!

■मानो...

जिंदगी की ग़ज़ल में
तार सप्तक के स्वर 
राग मल्हार गाने की कोशिश
पर मन रूपी वीणा के 
अव्यवस्थित से तार ...!

■विस्मित

न स्वर, न ताल, न वाद्य
फिर क्यों गुनगुनाने चली
जिंदगी के बेसुरे गीत को ...!

नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

2 comments:

  1. UnknownJanuary 13, 2018

    बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  2. UnknownJanuary 13, 2018

    बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
Add comment
Load more...

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART