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12.13.2017

'ज़ीरो फ़िगर वाली पहुँची हुई कविता' : कवयित्री मनीषा गुप्ता

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     13 December     कविता     2 comments   

प्रकृति के सुकुमार कवि पंत जी जैसे गंभीरता और अज्ञेय जी जैसे विरागी की वैराग्य लिए अस्तित्व-प्रस्फुटन के साथ आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पढ़ते है सुश्री मनीषा गुप्ता की बेहद भावुक काव्य-मल्हार ! आइये, हम इसे पढ़ते हैं.....................




■नम्र निवेदन...

नित्य संवेदनाओ से घिरी
अस्तित्वहीन, अपूर्ण
परिलक्षित-सी मैं ...!

■आह...

प्यार के सारगर्भित रहस्य को छुपा
निश्चेतन, निष्प्राण-सी शिलाखंड
न भावनाओ का आरोह, 
न जज़्बातों का कोई अवरोह ...!

■मानो...

जिंदगी की ग़ज़ल में
तार सप्तक के स्वर 
राग मल्हार गाने की कोशिश
पर मन रूपी वीणा के 
अव्यवस्थित से तार ...!

■विस्मित

न स्वर, न ताल, न वाद्य
फिर क्यों गुनगुनाने चली
जिंदगी के बेसुरे गीत को ...!

नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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2 comments:

  1. UnknownJanuary 13, 2018

    बहुत सुंदर

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  2. UnknownJanuary 13, 2018

    बहुत सुंदर

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