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8.23.2017

'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     23 August     विविधा     2 comments   

हमें इतिहास को उसी तरह और उसी अंदाज में रखनी चाहिए, जैसे वह अतीत के पन्नों में घटित हुआ लेकिन कोई कवि 70 साल पहले क्या सोचते है, अपनी कविताओं में , यह समझ पाना मुश्किल हैं लेकिन उनके भावों के भावार्थ को कुछ हद तक हम समझ सकते हैं । आज 'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में पढ़ते है, बाबा नागार्जुन की 1950 में लिखे कविता "बाकी बच गया अंडा" का भावनात्मक आशय ...!




पाँच पूत भारतमाता के, दुश्मन था खूँखार ;
गोली खाकर एक मर गया, बाक़ी रह गए चार ।

चार पूत भारतमाता के, चारों चतुर-प्रवीन ;
देश-निकाला मिला एक को, बाक़ी रह गए तीन ।

तीन पूत भारतमाता के, लड़ने लग गए वो ;
अलग हो गया उधर एक, अब बाक़ी बच गए दो ।

दो बेटे भारतमाता के, छोड़ पुरानी टेक ;
चिपक गया है एक गद्दी से, बाक़ी बच गया एक ।

एक पूत भारतमाता का, कन्धे पर है झण्डा ;
पुलिस पकड कर जेल ले गई, बाकी बच गया अण्डा ।

भावनात्मक आशय :--

आज के सन्दर्भ में बाबा नागार्जुन की कविता 'बाकी बच गया अंडा' हमारे पुराने यादों को ताजा करती है । बाबा नागार्जुन की इस कविता में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के 1945 में विमान दुर्घटना में मृत्यु को शामिल न कर उन्हें देश निकाला तौर पर उल्लिखित किया गया, एतदर्थ कवितानुसार पहला भारतपूत महात्मा गाँधी थे, जिनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, द्वितीयतः देश निकाला में बोस जी के तरफ ही इशारा है । फिर स्वत: अलग होने से तात्पर्य पाकिस्तान के प्रथम सर्वेसर्वा मुहम्मद अली ज़िन्ना से है, जो भी आखिरकार भारतपूत थे । चौथे भारतपूत जो सत्ता से चस्पे रहे, वो पंडित जवाहरलाल नेहरू रहे हैं, वहीं 5 वें भारतपूत जो तिरंगा कंधे पर लहराते जेल भी गया, वो अपना जे.पी. उर्फ़ जयप्रकाश नारायण रहे हैं । चूँकि इन पाँचों समर्थित प्रस्तुत कविता 1950 की है और बाबा नागार्जुन वामिस्ट कवि थे, हेत्वर्थ उपरवर्णित ये पाँचों ही भारतपूत के रूप में कवितानुसार ख्यात थे ! 1950 में लिखा यह कविता आज भी लोगों की जुबां पर चहलकदमी करती हैं।

-- प्रधान प्रशासी-सह-संपादक ।
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2 comments:

  1. AnonymousAugust 22, 2022

    Ok good for vabsit

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  2. Vikas jain SandheliyaNovember 21, 2022

    Nice

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