MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

4.24.2017

"प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     24 April     कविता     23 comments   

"धरती पर रहकर आकाश बनने के
हरकोई सपने देखता है--
आकाश बन जाने के बाद
धरती के सपने कोई नहीं देखता !
×××   ×××
अँधेरे के समंदर में
संध्या भी डूब गई
और लगने लगा जैसे--
प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई ।
×××   ×××
आँखों में अंकुरित स्वप्नों को
सींचने दो मुझे,
कि तुम्हीं ने कहा था कभी
बसंत आता है जरूर एक दिन ।"

आज मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट लेकर आई है, कवि  राजकुमार जैन 'राजन' की ज़िन्दगी की हकीकत को बयां करती ऐसी ही अन्य हू-ब-हू कवितायें... आइये पढ़ते हैं, इन कविताओं के शृंखला की सभी पूर्ण कविताएं----




सार्थकता

तुम कभी टूटे नहीं 
इस लिए हंस रहे हो
जिस दिन टूटेगा
तुम्हारी आत्मा का दर्पण ।

उस खण्डित दर्पण में 
अपने आपको 
अनेक खण्डों में 
विभाजित हुआ पाओगे ।

तब अहसास होगा तुम्हें
टूटना कैसा होता है
दर्पण की टूटन में 
हर एक का दर्द है, पीड़ा है ।

धरती पर रह कर आकाश बनने के 
हर कोई सपने देखता है
आकाश बन जाने के बाद 
धरती के सपने कोई नहीं देखता ! 

दर्पण अपनी सार्थकता 
कभी नहीं खोता 
अपनी खण्डता में भी 
रखता है अखण्डता ।

वह तुम्हारे अस्तित्व का कवच है 
कि दर्पण बनोगे तो 
तुम हार बन जाओगे, सच में
इसी में तुम्हारे होने की है सार्थकता ।


🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿🎿

सन्दर्भ हीन संदर्भ

निराशा 
अंधेरे की ओट में खड़ी है 
और लगता है यह रात 
जिन्दगी से भी बड़ी है। 

अन्धेरे के समंदर में 
संध्या भी डुब गई 
और लगने लगा जैसे 
प्यार करके भी जिन्दगी ऊब गई। 

जिन्दगी! 
जिसे हम पानी की तरह पी रहे हैं 
है यह एक सन्दर्भहीन सन्दर्भ 
और सृजन की अहर्निश निरन्तरता ।

अविरल एक सिलसिला 
काल के किन-किन शिलाखण्डों पर 
लिखा है हमने-- 
अपनी यात्रा का क्रूर इतिहास। 

हम तो अभागे फूल की तरह 
अंधेरों के गर्भ से उपजे हैं 
मन के सूने खंडहरों/नस-नस में अन्धेरा हैं  
जहाँ/आतंक के उल्लुओं का बसेरा है। 

हमारे लिए हर शब्द के अर्थ बदल गये है 
हर चीज का रंग बदल गया है
हम एक दिन/ दुनिया का चेहरा बदल देंगे 
हर चिंगारी को अंगारा बना देंगे।


🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

तुम कौन हो?


तुम कौन हो ?
फूलों के चेहरे से चुरा ले गये मुस्कराहटें
और बदले में--
नहला गये खून से उन्हें ?

तुम कौन हो ?
हवाओं के लहराते आंचलों में बंधी खुशबूएं
खोलकर ले गये
और रख गये उनकी जगह बारूद ।

तुम कौन हो ?
थिरकती-चांदनी के पांवों में बंधे घुंघरू
कि उनकी जगह बांध रहे मशीनगनें
जो उगलती है मानवता का खूनी संगीत ।

तुम कौन हो ?
जिसकी परम्परा, संस्कृति और इतिहास
फलते-फूलते हैं/कफ्र्यू के साये में
और होठों पर लिए घृणा के गीत ।

तुम कौन हो?
जो बुद्ध, महावीर और गांधी को सिखाते
हो कि/मारने वाले से बचाने वाला नहीं
मरवाने वाला बड़ा होता है ।

यह क्या हो गया/धरती के अमृतकोष में
विषबीज कौन बो गया है ?
नये सूर्योदय के साथ/उसे नंगा किया जाय
औ' जिंदगी का एक गीत नया लिखा जाए।


✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨

बसंत जरूर आता है

तुम्हारे विश्वास को लेकर
मैंने इतना लंबा सफर तय किया
मौसम के द्वार खड़े होकर
सिर्फ तुम्हारी प्रतीक्षा की ।

अपने आप से अजनबी बन
स्वयं को खोजते और अस्तित्व की तलाश में
खण्ड-खण्ड होते
संस्कृति की चित्कार को सहता रहा ।

उड़ता रहा अंतहीन आकाश में
विश्वास की बाहें फैलाये
अजीब-सी खामोशी और
सन्नाटे को चिरते हुए ।

मन में उठते तूफान में
लहर-सा उतर गया हूँ
कि ठण्डी हवा 
कितनी निर्मम हो गई ?

इन रास्तों से गुजरते हुए
तलाश पूरी होगी
भविष्य की--
इक मज़बूत इमारत की ।

आंखों में अंकुरित स्वप्नों को
सींचने दो मुझे
कि तुम्हीं ने कहा था कभी
बसंत आता है जरूर एक दिन।

⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽

नियति

काश !

तुम आते मेरे गांव 
तुम्हें देता मैं-- 
आसमानी हवाओं की खूशबू ।

धीरे-धीरे 
बहती नदी की कल-कल 
चिड़िया की चिहू-चिहू के साथ 
लिए अपनी मुस्कराहटें ।

कबतक संभालूँ/तह किए रंगीन कागज 
और सूखा फूल, गुलाब का  
मेरी श्रद्धा, मेरा विश्वास
अब सब टूटने लगा है ।

तुम्हें खुश करने के लिए 
मैं ही क्यों हरबार चला आऊँ 
फिर-फिर बिखरने के लिए 
मत छोड़ो मुझे, अधूरे स्वप्नों के साथ ।

सहमे सपनों के स्पर्श से आक्रान्त 
कबतक मैं/यादों से पलायन करूंगा तुम्हारे
मैं कोई पत्थर तो हूँ नहीं 
कि टूटना ही नियति रह गई है मेरी ! 



नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

23 comments:

  1. UnknownApril 24, 2017

    महोदय जी" मैसेंजर ऑफ आर्ट "पर आज मेरी कविताओं की सुंदर प्रतुति देखकर हार्दिक प्रसन्नता हुई।आपका हिंदी साहित्य और साहित्यकारों को प्रोत्साहन देने का प्रयास स्तुत्य हैं और सार्थक परिणाम देने वाला है। लिंक कई साथियो को व् साहित्यिक ग्रुप में पोस्ट किया है।आशा है सार्थक परिणाम मिलेंगे। रचानाये पढ़नेवालों से भी विनम्र निवेदन है कि अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया अवश्य देवें। आभारी रहुंगा।
    #राजकुमार जैन राजन, आकोला

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  2. शिवानी जयपुरApril 24, 2017

    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
    Replies
    1. UnknownApril 24, 2017

      आभार

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
  3. शिवानी जयपुरApril 24, 2017

    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
    Replies
    1. UnknownApril 24, 2017

      हार्दिक आभार आदरनिय

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
  4. सुनील गज्जाणीApril 24, 2017

    Behad.sunder .sabhi.kavitaen.apne alag.alag.rago.ko
    ukerti..badhai..shubh.kaamnaen.sadhuwad

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  5. UnknownApril 24, 2017

    हार्दिक आभार

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  6. UnknownApril 24, 2017

    This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  7. UnknownApril 24, 2017

    niyati....bahut sundar

    ReplyDelete
    Replies
    1. UnknownApril 24, 2017

      हार्दिक आभार

      Delete
      Replies
        Reply
    2. UnknownApril 24, 2017

      हार्दिक आभार

      Delete
      Replies
        Reply
    3. Reply
  8. डॉ अरशद खानApril 24, 2017

    प्यारी कविताए

    ReplyDelete
    Replies
    1. UnknownApril 24, 2017

      हार्दिक आभार

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
  9. UnknownApril 24, 2017

    This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  10. UnknownApril 24, 2017

    सभी कविताएं संदेश देती हुई
    एक से बढ़कर एक
    हार्दिक बधाई आदरणीय

    कीर्ति श्रीवास्तव
    भोपाल

    ReplyDelete
    Replies
    1. UnknownApril 24, 2017

      हार्दिक आभार

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
  11. Manjari ShuklaApril 24, 2017

    वाह, अंधेरे से उजालों की और एक पगडंडी जाती सी दिखाई दे रही है, जहां पर कोहरे की चादर उजली धूप को कुछ ही पल के लिए अपने आगोश में छिपाने की कोशिश कर रही है । बेहद उम्दा शब्द संयोजन और अर्थपूर्ण भावों की अभिव्यक्ति के लिए बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. UnknownApril 24, 2017

      आपका शुक्रिया

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
  12. KasturimragApril 26, 2017

    सभी कवितायें बहुत सुंदर और संदेशात्मक शैली में। सुंदर शब्द समन्वय और संयोजन रचनाओं को नया आयाम प्रदान कर रहे।
    मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई आदरणीय।
    ---- शिप्रा खरे (गोला-उ०प्र)

    ReplyDelete
    Replies
    1. UnknownApril 28, 2017

      आदरणीय आभार

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
  13. संगीता स्वरुप ( गीत )June 24, 2022

    अच्छी और अर्थपूर्ण कविताओं का बेहतरीन संकलन ।

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  14. Bharti DasJune 25, 2022

    बहुत खूबसूरत सृजन

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  15. OnkarJune 25, 2022

    बहुत खूबसूरत संकलन

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
Add comment
Load more...

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART