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7.18.2018

'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     18 July     अभियान     No comments   

देश में RTI Act 2005 के लागू होने के समय से ही सर्वाधिक सक्रिय RTI आवेदनकर्त्ता व कार्यकर्त्ता श्री पॉल के आरटीआई - सम्बन्धित आवेदनों एवं अपीलों की संख्या बीते 12 जुलाई 2018 को 20,000 (बीस हज़ार) हो गई। इस संबंध में अपना पहला RTI आवेदन उन्होंने उसी दिन लगाया था, जिस दिन यह अधिनियम लागू हुई थी। मौजूँ बात यह है, मात्र एकल वर्ष 2008 में ही उनके आरटीआई आवेदनों की संख्या 10,000 थी, जिन्हें लेकर एक पत्रिका - परिवार ने उन्हें 'आरटीआई मैन ऑफ द ईयर' का सम्मान - पत्र प्रदान किया था। सरपंच के ग्राम कचहरी से लेकर सर्वोच्च न्यायालय, तो पंचायत सचिव से लेकर राष्ट्रपति सचिवालय तक उनके द्वारा जनोपयोगी सूचना की माँग किया गया है और सबने उन्हें सूचना दिया है। आइये, 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' के इस सर्वेक्षण में मिलते हैं -- अजूबे आरटीआई एक्टिविस्ट, लिम्का बुक, इंडिया बुक और गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर प्रो0 सदानंद पॉल की RTI से सम्बंधित अनन्य उपलब्धियों से......

रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : सदानंद पॉल (Sadanand Paul)


रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया

कटिहार (बिहार) के श्रीमान सदानंद पॉल, पेशे से व्याख्याता और एक्टिविस्ट के तौर पर RTI (Right To Information / सूचना का अधिकार) के भारत में 'रियल टाइगर' (Real Tiger) व Royal Tiger of India (RTI) हैं । देश में RTI Act 2005 के लागू होने के समय से ही सर्वाधिक सक्रिय RTI आवेदनकर्त्ता व कार्यकर्त्ता श्री पॉल के आरटीआई - सम्बन्धित आवेदनों / अपीलों की संख्या बीते 12 जुलाई 2018 को 20,000 (बीस हज़ार) हो गई । इस संबंध में अपना पहला RTI आवेदन उन्होंने उसी दिन लगाया था, जिस दिन यह अधिनियम लागू हुई थी, जो उन्होंने अपना परीक्षार्थ प्राप्तांक की माँग को लेकर बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) को लगाई थी । केंद्रीय सूचना आयोग सहित भारत के सभी राज्य सूचना आयोगों में द्वितीय अपील दायर करने और इन सभी जगहों से केस जीतनेवाले वे प्रथम व्यक्ति हैं । इतना ही नहीं, भारत सरकार सहित देश के सभी राज्य सरकारों (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर, क्योंकि वहाँ यह एक्ट लागू नहीं है) के प्रायः विभागों से सूचना मांगनेवाले पहले आरटीआई एक्टिविस्ट भी हैं ।


यूजीसी-नेट क्वालिफाइड, संस्कृति मंत्रालय के फेलो और हिंदी पत्रकारिता में 'मानद आचार्य' सदानंद पॉल के आरटीआई - सम्बन्धित आवेदनों में प्रपत्र 'क' आवेदन, प्रथम अपील, द्वितीय अपील, सूचना न दिए जाने पर पत्राचार, फिर अपीलार्थ वाद पर पक्ष-पत्राचार इत्यादि शामिल हैं । मौजूँ बात यह है, मात्र वर्ष 2008 में ही उनके आरटीआई आवेदनों की संख्या 10,000 थी, जिन्हें लेकर एक पत्रिका - परिवार ने उन्हें 'आरटीआई मैन ऑफ द ईयर' का सम्मान - पत्र प्रदान किया था । सरपंच के ग्राम कचहरी से लेकर सर्वोच्च न्यायालय, तो पंचायत सचिव से लेकर राष्ट्रपति सचिवालय तक उनके द्वारा जनोपयोगी सूचना की माँग किया गया है और सबने उन्हें सूचना दिया है, यथा:- एक्सप्रेस ट्रेन के आरक्षित बोगी से साइड मिडिल बर्थ हटाये जाना, बिहार में कोचिंग एक्ट लागू होना, बीपीएससी के द्वारा करोड़ों रुपये के डाक-टिकट वापस किया जाना इत्यादि । हमारे अन्वेषण टीम ने देखा कि सूचनाओं से श्री पॉल के निजी आवास भरे पड़े हैं, ट्रंक, आलमारी, बेड के नीचे, छज्जे इत्यादि स्थानों पर सूचनाएँ ही सूचनाएँ । श्री पॉल के साथ-साथ उनके माता-पिता और सभी भाई-बहन भी आरटीआई एक्टिविस्ट हैं ।

अबतक अविवाहित श्री पॉल ने आरटीआई एक्ट से सूचना प्राप्ति के लिए लगभग 10 लाख रुपये खर्च कर डाले हैं । जो कि वेतन से होते हुए फ्रीलांसिंग मानदेय और पुरस्कार राशि के निमित्त है। दैनिक हिंदुस्तान ने उन्हें 'बिहार - शताब्दी - नायक' कहा, तो दैनिक जागरण ने 'आरटीआई के ध्वजवाहक' और 'तंत्र के गण' कहा । ऑनलाइन अखबार 'मेकिंग इंडिया' ने 'मिस्टर इनसाइक्लोपीडिया' कहा । इसतरह की फ़ेहरिश्त बड़ी लम्बी है, दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल और बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने भी श्री पॉल को इस हेतु सम्मानित किया है । सच में यह शख़्स RTI क्षेत्र के भारतीय रॉयल टाइगर व रियल टाइगर हैं । अन्य उपलब्धियों को लेकर सदानंद पॉल का नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, रियल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इत्यादि में भी दर्ज है । 

-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक।

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