मैंने तीन साल की उम्र में पहली लघुकथा लिखी 'भैया चाँद से डरते हैं ?'
सिर्फ 4 साल की उम्र में मेरी लघुकथा की एक किताब आ गयी- "मेरी लघुकथाएं", जिनपर 'हंस' के संपादक और कथाकार स्व. राजेन्द्र यादव ने प्रतिक्रिया भी व्यक्त किये थे । इस पुस्तिका को "गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड्स" ने कम उम्र के लेखक के रूप में पंजीकृत तो किया, किन्तु पुस्तिका के ISBN नहीं होने के कारण इसे रिकार्डेड नहीं किया !
इधर जब से भारत में सूचना का अधिकार कानून आयी है, तब से मैं RTI के माध्यम से हजारों कार्यों को लेकर सामाजिक अवदान दे चुका हूँ, जिससे समाज को काफी फायदा हुआ है, यह अब भी जारी है । यह 21वीं सदी का 18 वां साल है,शैक्षणिक और सामाजिक कार्यों के कारण मुझे कई अवॉर्ड प्राप्त हो चुके हैं, तो मेरी कई उपलब्धियों को रिकॉर्ड्स मान 'लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स', 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स', वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया, RHR-INDIA, ग्लोबल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इत्यादि ने अपने रिकॉर्ड्स बुक में जगह देकर प्रमाण-पत्र प्रेषित किये हैं.....
इनकी याद इस माह के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के बरक्स हो आयी । इस माह जिस शख़्सियत की इंटरव्यू प्रस्तुत है, उसने अत्यल्प उम्र में ही समाजसेवा की बीड़ा अपनी नाज़ुक कंधों पर उठा ली है । हैरानी की बात यह है कि विशाल ज़िन्दगी के समक्ष कॅरियर सम्बन्धी कई ऑप्शन के बावजूद सुश्री ज्योति आनंद के तराने 'social service' के साथ इस कदर जुड़ गई कि उनकी ज़िंदगी के पर्याय यही रह गई ! इस माह मैसेंजर ऑफ आर्ट में 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के अंतर्गत 14 गझिन प्रश्नों के सुलझे जवाब सुश्री आनंद की जुबानी, किन्तु टाइपबद्ध फॉर्मेट में, लीजिये.....
तो आइये उनके बारे जानते हैं, इन 14-गझिन सवालों द्वारा --
प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आइडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उत्तर:-
मेरा नाम ज्योति आनंद है ,उम्र २५ साल । मैं दिल्ली के सुखदेव विहार की रहने वाली हूँ । मैं आनंद आर्गेनाईजेशन फॉर सोशल डेवलपमेंट नाम की एक संस्था दिल्ली में चलाती हूँ । इस संस्था का काम गरीब मासूम बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना है । साथ-ही-साथ आनंद संस्था महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाती है और उनको आत्मनिर्भर बनने में उनकी मदद करती है !
इस संस्था की स्थापना २०१४ में हुई थी । वैसे तो मैं जब आठवीं कक्षा में पढ़ती थी, तभी से मैं गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हूँ, आज मुझे समाज सेवा करते हुए ११ साल से ज्यादा हो गए हैं और मैं आज ३०० से अधिक बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हूँ । CPMG delhi circle internal complaint committee ( ICCs) for prevention of sexual harassment of women at workplace में मुझे सदस्य के रूप में शमिल किया गया है ।
प्र.(2.)आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर:-
मैं एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हूँ । मेरे पिता जी फोटोग्राफी किया करते थे । उनकी खुद की स्टूडियो थी । आज पिताजी साथ नहीं हैं, २ साल पहले उनकी मृत्यु किडनी ख़राब होने की वजह से हुई थी । माँ हाउस वाइफ है । दो बड़ी बहन हैं और एक बड़ा भाई । घर में सबसे छोटी होने की कारण सबकी लाडली हूँ ।
आज मुझे मेरा पूरा परिवार सपोर्ट करता है । आज जो भी हूँ, केवल अपनी फैमिली की वजह से । मेरा परिवार अगर मेरे साथ नहीं होता, तो मैं कभी समाज सेविका नहीं बन सकती थी ! हर परिस्थति में मेरा परिवार ने मेरी हौसला बढ़ाई । मैं खुद को किस्मत वाली समझती हूँ कि मुझे ऐसा परिवार मिला !
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उत्तर:-
बस यही की समाज सेवा करने की कोई उम्र नहीं होती, मैं कभी खुद को किसी से कम नहीं समझती, क्योंकि जो मैं करती हूँ शायद ही इस उम्र में कोई यह काम कर सके !
ज्यादातर लोगों से मैंने सुना है कि मुझे टीचर, डॉक्टर इत्यादि बनना है, पर १०० में कोई १ होगा,जिसने यह कहा कि मुझे समाजसेविका बनना है । अगर समाज को बदलना है, तो युवाओ को इस कार्यक्षेत्र में आना पड़ेगा । तभी हम सब मिल कर बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं और उन माता-पिता को सीखने ही होंगे कि लड़कियाँ किसी से कम नहीं है । अगर बेटा दीपक है, तो बेटी रोशनी है, घर को रोशन करती है ।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उत्तर:-
हौसलें अगर बुलंद हो, तो मंजिल पार कर ही लेते हैं ! वैसे समाजसेविका बनना बिल्कुल आसान नहीं था ,कहीं परेशानियां आई तो लोगों की ताने भी सुने,अपने लिए गलत शब्द भी सुने,लोगों के बिना बात की एडवाइस भी सुनी !
आज भी लोगों से सुनती हूँ कि क्यों समय खराब कर रहे हो, कोई बेहतर काम करो ! टीचर बनो या यह बनो, वो बनो, जब ८० साल को हो जाओगी, तब समाज सेवा करना ! अभी खेलने-कूदने के दिन हैं !
कुछ लोग तो मेरे चरित्र पर भी उंगली उठाने लगे, पर मैंने सबकी बातो को इग्नोर करके अपने काम में लगी रही और आज जब लोग मेरा नाम सुन के मुझे समाजसेविका बुलाते हैं, तो अपनी काबलियत पर गर्व होता है ।
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उत्तर:-
जी बिल्कुल, साधारण परिवार से होने के कारण आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ा । संस्था को चलाने के लिए फण्ड की आवश्यकता पड़ती है। उसको दूर करने के लिए मैं पार्ट टाइम नौकरी करती हूँ, ताकि मैं ज्यादा-से-ज्यादा बच्चों की मदद कर सकूँ !
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उन सबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उत्तर:-
मेरे दादा जी किसान थे और वो लोगों के मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे ! गरीब लड़कियों की शादी करवाने, गरीब बच्चों को शिक्षा दिलवाना (जिसमें से आज जज बन के रिटायर भी हो गए हैं ) ! पिता जी काफी इमोशनल थे, जब भी किसी गरीब को फटे कपड़े पहने देखते थे, तो उसे घर लाकर अपने कपड़े पहना दिया करते थे । हर 6 महीनों में बिना गणन किये लोगों को खाना खिलाते थे । शायद उनके खून का असर मुझमें आ गयी है । समाज सेवा मेरे खून में ही है ,जो मैं चाह कर भी नहीं बंद कर पाऊँगी । बिल्कुल ही मेरे घरवाले मेरे काम से खुश हैं और मेरी मदद भी करते हैं ।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उत्तर:-
मेरे इस कार्य में सबसे पहली मेरी माँ, जिन्होंने हर समय मेरी साथ दी। पिताजी का विश्वास था कि बड़ा होकर अच्छा करूंगी ! भाई-बहनों का प्यार, जिन्होंने मुझे दोस्तों की कमी महसूस नहीं होने दी और वह सभी लोग जो मेरे खिलाफ रहे, यह लोग इसलिए क्योंकि इनके तानों की वजह से मैं अच्छा काम कर पाई और मेरी संस्था के सदस्य से भी मुझे अपनत्व मिली ।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उत्तर:-
लोगों की मदद करना भारतीय परम्परा है । आज बच्चों को हम भारतीय संस्कृति के बारे में जानकारी देते रहते हैं, ताकि बड़े होकर वे अपनी संस्कृति को न भूले !
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उत्तर:-
अगर खुद पर हौसला रहे तो हर काम आसान है, आज अगर मैं बच्चो को अच्छी शिक्षा देती हूँ, तो भविष्य में भ्रष्टाचारमुक्त समाज ही बनेगा ! इसलिए मैंने अपने काम की शुरुआत बच्चों के भविष्य बनाने से की ।
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उत्तर:-
सरकार की तरफ से तो कोई मदद नहीं मिली आज तक ! पर हां, ऐसे कई लोगों ने मदद की, जो समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं ।
प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उत्तर:-
नहीं ।
प्र.(12.) कोई किताब या पैम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हो, तो बताएँगे ?
उत्तर:-
*कोई जवाब नहीं !
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उत्तर:-
1.) “Uttar Pradesh Varanasi Chhatra Sansad “ an awarded me as a “Youngest social worker” from all over India (2015),
2.) Uttar Pradesh Hathras awarded me as a “Delhi social worker”(2015),
3.) Gujarat Quality mark awarded me as a “Quality mark women” award(2016),
4.) India care foundation awarded me as a “Good social worker"(2016),
5.) JTN Media and AAJ ki Delhi awarded as me “social worker”(2016),
6.) AIAC excellence awards 2016 award as me ‘Inspiring woman achiever award 2016,
7.) Natraj institute awarded as me “Natraj Ratan Award’’ 2016,
8.) Nutrition and natural health science association awarded as me “National Nutrition Award’’ (2016)
9.) ANAND NGO awarded as me ‘society development award 2017,
10.) A.R. Foundation awarded as me Humanity achiever award 2017,
11.) Pratima raksha sammaan samiti (Dedicated to pt.Dindyal upadhyay ) awarded as me Great achiever award 2017,
12.) Aagaman literary &cultural group awarded as me Humanity award 2017 on international women’s day,
13.) Parwaz media group awarded as me “ Bea bravery entrepreneur award”( 2017),
14.) Anti corruption society awared as me “social worker award and guest of honour ( 2017) at jalandhar,
15.) Mother’s day special awared as me “Iron lady award 2017 at rohatak,
16.) Bhartiye sharv karyan awared as me “ nari tujhe salam” at Faridabad,
17.) Priya music awared as me "beti hai anmol award 2017" at delhi ,
18.) Dr. B.R .ambedkar sports foundation awared as me Dr. B.R .ambedkar national award 2017 at delhi,
19.) Aagaman literary &cultural group awarded as Award of Excellence 2017 at delhi.
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उत्तर:-
मैं केवल उन युवतियों को सन्देश देना चाहूंगी, जो करना बहुत चाहती हैं, पर समाज के डर से कुछ नहीं कर पाती !
आप लड़की हैं और लड़की की पॉवर आप खुद जानती है कि वो समाज को कितना कुछ देती है व दे सकती है, जो एक पुरुष नहीं दे सकता है यानि कि किसी को जन्म ! जब एक महिला में इतनी पॉवर है, तो वो किसी भी काम को बड़ी आसानी से कर सकती हैं । भूल जाओ, समाज के वैसे लोगों को, जो क्या बोलेंगे व फब्तियाँ कसेंगे ! बस याद रखें आप, जो कर सकती हैं, उसे हर कोई नहीं कर सकता है । इसलिए डर से जिंदगी नहीं जीयी जा सकती है, हिम्मत करें और आगे बढ़े । भूल जाओ, वैसे लोगों की बातें, जो स्वयं तो करते कुछ नहीं, इसलिए याद रखो, अपने सपने को और उनको पूरा कर ही डालो !
सिर्फ 4 साल की उम्र में मेरी लघुकथा की एक किताब आ गयी- "मेरी लघुकथाएं", जिनपर 'हंस' के संपादक और कथाकार स्व. राजेन्द्र यादव ने प्रतिक्रिया भी व्यक्त किये थे । इस पुस्तिका को "गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड्स" ने कम उम्र के लेखक के रूप में पंजीकृत तो किया, किन्तु पुस्तिका के ISBN नहीं होने के कारण इसे रिकार्डेड नहीं किया !
इधर जब से भारत में सूचना का अधिकार कानून आयी है, तब से मैं RTI के माध्यम से हजारों कार्यों को लेकर सामाजिक अवदान दे चुका हूँ, जिससे समाज को काफी फायदा हुआ है, यह अब भी जारी है । यह 21वीं सदी का 18 वां साल है,शैक्षणिक और सामाजिक कार्यों के कारण मुझे कई अवॉर्ड प्राप्त हो चुके हैं, तो मेरी कई उपलब्धियों को रिकॉर्ड्स मान 'लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स', 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स', वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया, RHR-INDIA, ग्लोबल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इत्यादि ने अपने रिकॉर्ड्स बुक में जगह देकर प्रमाण-पत्र प्रेषित किये हैं.....
इनकी याद इस माह के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के बरक्स हो आयी । इस माह जिस शख़्सियत की इंटरव्यू प्रस्तुत है, उसने अत्यल्प उम्र में ही समाजसेवा की बीड़ा अपनी नाज़ुक कंधों पर उठा ली है । हैरानी की बात यह है कि विशाल ज़िन्दगी के समक्ष कॅरियर सम्बन्धी कई ऑप्शन के बावजूद सुश्री ज्योति आनंद के तराने 'social service' के साथ इस कदर जुड़ गई कि उनकी ज़िंदगी के पर्याय यही रह गई ! इस माह मैसेंजर ऑफ आर्ट में 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के अंतर्गत 14 गझिन प्रश्नों के सुलझे जवाब सुश्री आनंद की जुबानी, किन्तु टाइपबद्ध फॉर्मेट में, लीजिये.....
सुश्री ज्योति आनंद |
तो आइये उनके बारे जानते हैं, इन 14-गझिन सवालों द्वारा --
प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आइडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उत्तर:-
मेरा नाम ज्योति आनंद है ,उम्र २५ साल । मैं दिल्ली के सुखदेव विहार की रहने वाली हूँ । मैं आनंद आर्गेनाईजेशन फॉर सोशल डेवलपमेंट नाम की एक संस्था दिल्ली में चलाती हूँ । इस संस्था का काम गरीब मासूम बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना है । साथ-ही-साथ आनंद संस्था महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाती है और उनको आत्मनिर्भर बनने में उनकी मदद करती है !
इस संस्था की स्थापना २०१४ में हुई थी । वैसे तो मैं जब आठवीं कक्षा में पढ़ती थी, तभी से मैं गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हूँ, आज मुझे समाज सेवा करते हुए ११ साल से ज्यादा हो गए हैं और मैं आज ३०० से अधिक बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हूँ । CPMG delhi circle internal complaint committee ( ICCs) for prevention of sexual harassment of women at workplace में मुझे सदस्य के रूप में शमिल किया गया है ।
प्र.(2.)आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर:-
मैं एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हूँ । मेरे पिता जी फोटोग्राफी किया करते थे । उनकी खुद की स्टूडियो थी । आज पिताजी साथ नहीं हैं, २ साल पहले उनकी मृत्यु किडनी ख़राब होने की वजह से हुई थी । माँ हाउस वाइफ है । दो बड़ी बहन हैं और एक बड़ा भाई । घर में सबसे छोटी होने की कारण सबकी लाडली हूँ ।
आज मुझे मेरा पूरा परिवार सपोर्ट करता है । आज जो भी हूँ, केवल अपनी फैमिली की वजह से । मेरा परिवार अगर मेरे साथ नहीं होता, तो मैं कभी समाज सेविका नहीं बन सकती थी ! हर परिस्थति में मेरा परिवार ने मेरी हौसला बढ़ाई । मैं खुद को किस्मत वाली समझती हूँ कि मुझे ऐसा परिवार मिला !
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उत्तर:-
बस यही की समाज सेवा करने की कोई उम्र नहीं होती, मैं कभी खुद को किसी से कम नहीं समझती, क्योंकि जो मैं करती हूँ शायद ही इस उम्र में कोई यह काम कर सके !
ज्यादातर लोगों से मैंने सुना है कि मुझे टीचर, डॉक्टर इत्यादि बनना है, पर १०० में कोई १ होगा,जिसने यह कहा कि मुझे समाजसेविका बनना है । अगर समाज को बदलना है, तो युवाओ को इस कार्यक्षेत्र में आना पड़ेगा । तभी हम सब मिल कर बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं और उन माता-पिता को सीखने ही होंगे कि लड़कियाँ किसी से कम नहीं है । अगर बेटा दीपक है, तो बेटी रोशनी है, घर को रोशन करती है ।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उत्तर:-
हौसलें अगर बुलंद हो, तो मंजिल पार कर ही लेते हैं ! वैसे समाजसेविका बनना बिल्कुल आसान नहीं था ,कहीं परेशानियां आई तो लोगों की ताने भी सुने,अपने लिए गलत शब्द भी सुने,लोगों के बिना बात की एडवाइस भी सुनी !
आज भी लोगों से सुनती हूँ कि क्यों समय खराब कर रहे हो, कोई बेहतर काम करो ! टीचर बनो या यह बनो, वो बनो, जब ८० साल को हो जाओगी, तब समाज सेवा करना ! अभी खेलने-कूदने के दिन हैं !
कुछ लोग तो मेरे चरित्र पर भी उंगली उठाने लगे, पर मैंने सबकी बातो को इग्नोर करके अपने काम में लगी रही और आज जब लोग मेरा नाम सुन के मुझे समाजसेविका बुलाते हैं, तो अपनी काबलियत पर गर्व होता है ।
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उत्तर:-
जी बिल्कुल, साधारण परिवार से होने के कारण आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ा । संस्था को चलाने के लिए फण्ड की आवश्यकता पड़ती है। उसको दूर करने के लिए मैं पार्ट टाइम नौकरी करती हूँ, ताकि मैं ज्यादा-से-ज्यादा बच्चों की मदद कर सकूँ !
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उन सबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उत्तर:-
मेरे दादा जी किसान थे और वो लोगों के मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे ! गरीब लड़कियों की शादी करवाने, गरीब बच्चों को शिक्षा दिलवाना (जिसमें से आज जज बन के रिटायर भी हो गए हैं ) ! पिता जी काफी इमोशनल थे, जब भी किसी गरीब को फटे कपड़े पहने देखते थे, तो उसे घर लाकर अपने कपड़े पहना दिया करते थे । हर 6 महीनों में बिना गणन किये लोगों को खाना खिलाते थे । शायद उनके खून का असर मुझमें आ गयी है । समाज सेवा मेरे खून में ही है ,जो मैं चाह कर भी नहीं बंद कर पाऊँगी । बिल्कुल ही मेरे घरवाले मेरे काम से खुश हैं और मेरी मदद भी करते हैं ।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उत्तर:-
मेरे इस कार्य में सबसे पहली मेरी माँ, जिन्होंने हर समय मेरी साथ दी। पिताजी का विश्वास था कि बड़ा होकर अच्छा करूंगी ! भाई-बहनों का प्यार, जिन्होंने मुझे दोस्तों की कमी महसूस नहीं होने दी और वह सभी लोग जो मेरे खिलाफ रहे, यह लोग इसलिए क्योंकि इनके तानों की वजह से मैं अच्छा काम कर पाई और मेरी संस्था के सदस्य से भी मुझे अपनत्व मिली ।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उत्तर:-
लोगों की मदद करना भारतीय परम्परा है । आज बच्चों को हम भारतीय संस्कृति के बारे में जानकारी देते रहते हैं, ताकि बड़े होकर वे अपनी संस्कृति को न भूले !
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उत्तर:-
अगर खुद पर हौसला रहे तो हर काम आसान है, आज अगर मैं बच्चो को अच्छी शिक्षा देती हूँ, तो भविष्य में भ्रष्टाचारमुक्त समाज ही बनेगा ! इसलिए मैंने अपने काम की शुरुआत बच्चों के भविष्य बनाने से की ।
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उत्तर:-
सरकार की तरफ से तो कोई मदद नहीं मिली आज तक ! पर हां, ऐसे कई लोगों ने मदद की, जो समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं ।
प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उत्तर:-
नहीं ।
प्र.(12.) कोई किताब या पैम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हो, तो बताएँगे ?
उत्तर:-
*कोई जवाब नहीं !
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उत्तर:-
1.) “Uttar Pradesh Varanasi Chhatra Sansad “ an awarded me as a “Youngest social worker” from all over India (2015),
2.) Uttar Pradesh Hathras awarded me as a “Delhi social worker”(2015),
3.) Gujarat Quality mark awarded me as a “Quality mark women” award(2016),
4.) India care foundation awarded me as a “Good social worker"(2016),
5.) JTN Media and AAJ ki Delhi awarded as me “social worker”(2016),
6.) AIAC excellence awards 2016 award as me ‘Inspiring woman achiever award 2016,
7.) Natraj institute awarded as me “Natraj Ratan Award’’ 2016,
8.) Nutrition and natural health science association awarded as me “National Nutrition Award’’ (2016)
9.) ANAND NGO awarded as me ‘society development award 2017,
10.) A.R. Foundation awarded as me Humanity achiever award 2017,
11.) Pratima raksha sammaan samiti (Dedicated to pt.Dindyal upadhyay ) awarded as me Great achiever award 2017,
12.) Aagaman literary &cultural group awarded as me Humanity award 2017 on international women’s day,
13.) Parwaz media group awarded as me “ Bea bravery entrepreneur award”( 2017),
14.) Anti corruption society awared as me “social worker award and guest of honour ( 2017) at jalandhar,
15.) Mother’s day special awared as me “Iron lady award 2017 at rohatak,
16.) Bhartiye sharv karyan awared as me “ nari tujhe salam” at Faridabad,
17.) Priya music awared as me "beti hai anmol award 2017" at delhi ,
18.) Dr. B.R .ambedkar sports foundation awared as me Dr. B.R .ambedkar national award 2017 at delhi,
19.) Aagaman literary &cultural group awarded as Award of Excellence 2017 at delhi.
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उत्तर:-
मैं केवल उन युवतियों को सन्देश देना चाहूंगी, जो करना बहुत चाहती हैं, पर समाज के डर से कुछ नहीं कर पाती !
आप लड़की हैं और लड़की की पॉवर आप खुद जानती है कि वो समाज को कितना कुछ देती है व दे सकती है, जो एक पुरुष नहीं दे सकता है यानि कि किसी को जन्म ! जब एक महिला में इतनी पॉवर है, तो वो किसी भी काम को बड़ी आसानी से कर सकती हैं । भूल जाओ, समाज के वैसे लोगों को, जो क्या बोलेंगे व फब्तियाँ कसेंगे ! बस याद रखें आप, जो कर सकती हैं, उसे हर कोई नहीं कर सकता है । इसलिए डर से जिंदगी नहीं जीयी जा सकती है, हिम्मत करें और आगे बढ़े । भूल जाओ, वैसे लोगों की बातें, जो स्वयं तो करते कुछ नहीं, इसलिए याद रखो, अपने सपने को और उनको पूरा कर ही डालो !
"आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !
नमस्कार दोस्तों !
मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com
सार्थक कार्य का यही फल होता है ,नाम मिलता है और सम्मान
ReplyDeleteयह साक्षात्कार नयी पीढ़ी को संदेश देता है
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
बिल्कुल !
ReplyDeleteबहुत ही नेक कार्य, बहिन
ReplyDeleteआपका साहस काबिल ए तारीफ है
Good m.o.a doing great job
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