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12.10.2017

'मानवाधिकार दिवस और अल्फ्रेड नोबेल पुण्यतिथि की सादरनायें !'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     10 December     विविधा     No comments   

आज मानवाधिकार दिवस है, इस बार का अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की थीम महिलाओं को समर्पित है:- 'महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा का खात्मा'। पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए 'HEFORSHE' नामक अभियान की शुरुआत की, वर्ष 2000 से इसे मनाने की शुरुआत हुई । आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पढ़ते हैं डॉ0 सदानंद पॉल का चिंतन मानवाधिकार दिवस पर,आइये पढ़े...




नोबेल पुरस्कार के संस्थापक और 'डायनामाइट' जैसे विध्वंसक पदार्थ की खोजकर इसके लिए प्रायश्चितता पाने आजन्म विचलित रहे और अविवाहित रहे अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि [10 दिसम्बर] को विश्व और संयुक्त राष्ट्र इसे 'मानवाधिकार दिवस' के रूप में प्रतिवर्ष मनाते आ रहे हैं । ध्यातव्य है, नोबेल का जन्म भी गांधीजी के जन्ममाह में 1833 को हुआ था ।
'नोबेल' ने डायनामाइट के विक्रय कर इतने धन इकट्ठे किये कि आखिर फिर वे 'डायनामाइट' के विध्वंसक स्थिति के कारण, निरीह प्राणों व प्राणियों की क्षति के कारण, विनाश और तहस - नहस्ता के कारण 'नोबेल' ने इस संपत्ति अर्जन को वसीयत बनाकर विविध खोजियों के लिए, विविध विद्वानों के लिए, शांति के उपासकों के लिए स्वीडन में इस हेतु जजों के 'जज्ड' के बाद विश्व स्तरीय पुरस्कार देने की हिमाकत कर डाले । 
उनके 1896 में मृत्यु के पश्चात 1901 से आजतक हर क्षेत्र के सर्वाधिक काबिल व्यक्ति को 'नोबेल पुरस्कार' उसके ही सोच व नाम पर दी जाती है और उनकी संपत्ति के ब्याज से प्राप्त राशि से ही नोबेल पुरस्कार की राशि दी जाती है । 
'नोबेल' को डायनामाइट के आविष्कार पर कालांतर में पछतावा नहीं हुआ होता, तो आज नोबेल को कोई नहीं जानता ! 
नोबेल पुरस्कार के ऐसे 'क्रीम' को उनकी पुण्यतिथि पर 'मानवाधिकार दिवस' होने हेतु उनकी महान शख्सियतता को बारम्बार नमन !


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।


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