दोस्तों ! एक विनम्र विनती !!
दोस्तों ! 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' (messengerofart.in), जो हिंदी भाषा में अर्द्धसाप्ताहिक Online पत्रिका है तथा यह एकसाथ वैश्विक साहित्य, संस्कृति, विज्ञान, कला, इनबॉक्स इंटरव्यू, सामाजिक सरोकारनामा इत्यादि विषयों से ओतप्रेरित हैं तथा जिसे हिंदी में "वैश्विक - कला - संवाहक" के नामार्थ परिभाषित कर सकेंगे ! वैसे 'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' का जन्म जब हुआ, तब देश में अजीबोगरीब हालात बन - मिट रहे थे ! वो जानना गहन रूप से जरुरी नहीं है, लेकिन आज इनकी पहचान मिल गयी है, जो एक पत्रिकात्मक संस्था के रूप में है । यह लोगों के दर्द को साहित्य या अन्य विधा का बयां कर उन्हें इंसाफ दिलाने की हरसंभव कोशिश में लगा है, जो मौलिक के रूप में अथवा साभाररूपेण प्रकाशित होंगे / हो रहे हैं, इस समझ के साथ कि यह आभासी दुनिया है ।
उद्देश्यसीन नई सोच !!!
दुनिया में हर नई संस्था एक नई सोच लिए व एतदर्थ कारणश: बनती हैं । नई सोच का मतलब यह नहीं है कि 'पुरानी पीढ़ी' की बातों को हम नजरअंदाज करेंगे, लेकिन पुरातन पीढ़ी के अनुभवी सोच को गृहीत करते हुए 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की बात को 'नूतन पीढ़ी' से निःसृत तर्क, बहस, वितर्क, विमर्श, प्रमाण व साक्ष्य द्वारा यथोद्धृत रखकर उनके मनोभाव को बदलने की 'कलमी - कोशिश' ही हमारा उद्देश्य है । 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' उन सभी 'कलमों' और उनकी स्याही - आवाज़ को सादरामंत्रण के साथ - साथ समाज में हो रहे सभी लिंगजन्य व्यक्तियों के शोषण के खिलाफ लिए 'मूकनायक' की रक्षा करते हैं और हम उन विचारों को प्रसारित करते हैं, उन्हें मंच प्रदान करते हैं । हम इसके लिए कोई शुल्क नहीं लेते हैं, हमारी पूरी टीम अवैतनिक कार्य करते हैं ।
लेखकों व पाठकों से ...
लेखकों और पाठकों के विचार 'मानव - जीवन' को सफलता के मार्ग पर कैसे ले जा सकते हैं ? आपके विचार 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' के विविध स्तम्भों में प्रकाशित हो सकते हैं ! सभी स्तम्भ अध्याय -ब- अध्याय वर्णित हैं । 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' को आगे बढ़ाने के लिए न तो हमें आर्थिक सहयोग चाहिए, न ही शारीरिक । यदि आपके द्वारा हमें सहायता करनी ही है, तो समाज में हो रहे किसी तरह के अन्याय को नहीं सहन करने का संकल्प लीजिये और कलमी - हथियार से घटित घटना को लिख डालिये, 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' को भेज डालिये, क्योंकि आपके एक कदम ने परिवर्तन का जो आगाज किया, वो जन - मन तक पहुंच जाएंगे ! 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में आपके आत्माभिव्यक्ति से रूबरू हो पाएंगे !
दोस्तों से पुनश्च अत्यावश्यक निवेदन...(१.)
दोस्तों ! वैसे तो आप सभी हमसे दिल से जुड़ें हैं, लेकिन डिजिटल युग में दिल से जुड़ाव का सोशल जुड़ाव तभी हो सकता है, जब हर पक्ष छल - छद्मता से दूर रहें । आप हमसे व सम्प्रति Online पत्रिका से वर्णित Email से जुड़ सकते हैं तथा मोबाइल या अन्य गैजेट्स या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से 'टाइप' कर ही अपनी रचनाएं भेजेंगे, वैसे हमें सूचना कर पत्रिका के facebook link से भी जुड़ सकते हैं ! सादर ।
(२.)
तो वहीं 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' के संपादक मंडल व हमारी टीम "लेखकों के लेख, रचना आदि से निःसृत किसीप्रकार की प्रतिक्रिया" के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे, साथ ही किसी प्रकार के विवाद व विवादित स्थितियों पर हल व निदान, वाद व प्रतिवाद हमारे पता (Address) के न्यायिक क्षेत्र (Hon'ble Court) में ही होंगे। पुनश्च सादर।