धरती के सबसे सजग प्राणी हम मानवों में 100 से अधिक प्रतिशत चेतना आ जाय, बावजूद उनमें 1 प्रतिशत भी भ्रष्ट आचरण रहेंगे ही और 99 फीसदी मनुष्य एक-दूसरे-तीसरे के प्रति षड्यंत्र रचेंगे ही। कवि धूमिल ने कहा भी है-
"न कोई प्रजा है,
न कोई तंत्र है।
यह आदमी के खिलाफ -
आदमी का खुला-सा,
षड्यंत्र है।"
अप्रैल 2022 में कई जन्म-जयंतियाँ रही, यथा- भारतरत्न बाबा साहब डॉ. अंबेडकर (14 अप्रैल), अमर सेनानी कुँवर सिंह (23 अप्रैल), तो 24 अप्रैल को भारतरत्न सचिन तेंदुलकर के जन्मदिवस सम्मिलित हैं। आइए, मैसेंजर ऑफ आर्ट के मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' (अप्रैल 2022) के लिए हम लेखिका और शायरा प्रो. सोनिया 'अक्स' उर्फ़ सोनम 'अक्स' से रूबरू होते हैं....
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सुश्री सोनिया सोनम 'अक्स' |
प्र.(1.) आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?
उ:-
मैं सोनिया 'अक्स'। सोनम 'अक्स' के नाम से साहित्यिक सफ़रनामा में हूँ, पेशे से अंग्रेजी प्रवक्ता हूँ। इनसे पहले गणित प्रवक्ता पद पर थी। मेरे अधिकांश परीक्षा परिणाम बेहद शानदार रहे हैं। लगभग 30 साल की नौकरी हो चुकी है। मेरे अनेक विद्यार्थी उच्च पद पर आसीन हैं। मेरे छात्रों को गणित में पूरे नम्बर आते हैं, तो अंग्रेजी में भी उन्हें पूरे नम्बर आते हैं। मुझे हिन्दी दिवस, शिक्षक दिवस, पर्यावरण दिवस, ग्लोबल बेस्ट टीचर्स अवॉर्ड (नारी कल्याणी समिति से) सहित अनेक संस्थाओं से सम्मानित किया जा चुका है।
प्र.(2.) आप किसप्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मैंने सिर्फ 11 वर्ष की आयु से लिखना शुरू किया।आकाशवाणी, रोहतक से मेरे अनेक कार्यक्रम हो चुके हैं। देश-विदेश से प्रकाशित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानियां, कवितायें, ग़ज़ल, छंद, मुक्तक, दोहे इत्यादि छपते रहते हैं।मेरे नाना जी गणित के अध्यापक थे। मेरी माता जी अध्यापिका थी। मेरे नाना जी, पिताजी और बुआजी से लिखने और मंच की निज़ामत करने की कला सहित उर्दू शायरी मुझे विरासत में मिली। मैं साबिर पानीपती घराने से हूँ। बचपन से ही मंच संभालना, लीडरशिप आदि मुझमें रही है। मुझमें हर परिस्थिति से लड़ जाना, हिम्मत ना हारना, जुनून, आत्मविश्वास जैसे शब्द कूट-कूट कर भरे हैं और इन सबों के साथ हर आम-खास की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती हूँ, यथा-
"मैं ऐसी बूंद हूँ, जिसे छूकर बादल महकता है,
समुन्दर मेरी खातिर सूखे अपने होंठ रखता है।"
प्र.(3.) आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आम लोग किस तरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?
उ:-
मेरे कार्यक्षेत्र है- पहला, अध्यापन। मैं सरकारी संस्थान में कार्यरत हूँ, पिछले 30 वर्षों से गरीब बच्चों की फीस, किताबें और कपड़े तक की मदद करना, छोटी लड़कियों की शादी रुकवाना या कुछ भी ग़लत होने पर उनका साथ देना इत्यादि मेरे सामाजिक कार्य हैं। दूसरे कार्यक्षेत्र यानी शायरा व कवयित्री होने के नाते प्राय: हर विषय पर लेखनकार्य की है और अभिव्यक्ति प्रदान की है। शब्दों से समाज में जागरूकता लाने का प्रयास करती रहती हूँ।
प्र.(4.) आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?
उ:-
नारी कल्याणी समिति की तूणीर पत्रिका की ब्यूरो चीफ़, गृहस्वामिनी इंटरनेशनल की ब्रांड अम्बेसडर होने के नाते समय-समय पर सामाजिक कार्य करते रहना तथा छोटी बच्चियों से दुर्व्यवहार रोकना, नाबालिगों की शादी रोकना, लड़कियों को पढ़ने न देना, घरेलू हिंसा इत्यादि समस्याओं से जूझना पड़ा है, बावजूद डटकर खड़े रहे।
प्र.(5.) अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?
उ:-
नहीं।
प्र.(6.) आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !
उ:-
मेरे तीन कार्यक्षेत्र हैं- शिक्षक, जो कि मेरे घर में बहुत से हैं और मैं और मेरे घर के सभी इस कार्य से संतुष्ट हैं। साहित्यकारा, कुछ लोग साथ हैं तो कुछ विरोध में, पर ज्यादातर साथ हैं और इस क्षेत्र में भी मैं विस्तार से कार्य कर रही हूँ।पत्रिका की ब्यूरो चीफ़ के रूप में- कुछ साथ हैं तो कुछ नहीं, पर जो करने की ठान लेती हूँ, करती हूँ और कर भी रही हूँ।
प्र.(7.) आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?
उ:-
मेरे शिव, मेरे नानाजी जो अब नहीं हैं, मेरे पिताजी जो अब नहीं हैं और मेरे गुरु सोनी कोशल फ़रहत जी।
प्र.(8.) आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?
उ:-
मैं मोटिवेशनल, देशभक्ति, सर्वधर्म समभाव, रूहानी, श्रृंगार यानी लगभग हर विधा में लिखती हूँ, तो प्रभावित होना स्वाभाविक है और नारी दर्द, समस्याओं और उनका समाधान इत्यादि पर भी मेरी कलम चलती रहती हैं।
प्र.(9.) भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
बेशक होगें ! एक अध्यापक, साहित्यकार और संपादक होने के नाते तीनों सशक्त माध्यम से मैं देशहित, जनहित और समाजहित में कार्य कर रही हूँ।
प्र.(10.) इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?
उ:-
अर्थिक सहयोग नहीं मिला है अब तक।
प्र.(11.) आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !
उ:-
नहीं कोई दोष नहीं ! हाँ, मुशायरों में थोड़ी चापलूसी होती है, जो मैं नहीं कर सकी कभी, इसलिए थोड़ा पीछे रह गई इनमें।
प्र.(12.) कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?
उ:-
कुछ प्रकाशनाधीन हैं, तो 3 एकल, 3 साझा संग्रह और अनेक रचनायें पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।
प्र.(14.)कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
लेक्चरर हूँ 30 साल से सरकारी नौकरी में। कहना है- जल की नन्हीं-नन्हीं बूंदों के बिना गागर, नदियों के बिना सागर, आसूं बिना आंख,भक्तिहीन भगवान भी कोई महत्व नहीं रखते, तो क्यों न हम भी कुछ पाने की बजाय कुछ खोना सीखें और निरर्थक बड़ा होने की बजाय सार्थक छोटा होना सीखें !
आप यूँ ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !