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2.12.2019

'धूप आँगन की' : एक कॉपीराइट समीक्षा (सुश्री शशि पुरवार की कलम से)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     12 February     समीक्षा     No comments   

साहित्य न सिर्फ कल्पनाओं से जगमगाती दुनिया है, अपितु यहाँ वास्तविकता भी चिरनीत है, जो सीधे प्रहार न कर झूठ की विद्रूपता को अट्टहास वातावरण देकर व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है, लेकिन ऐसी निनाद जो हो, परंतु यहाँ वैचारिक तर्क अब विवाद का रूप लेती जा रही है । जिस तरह दुनिया गोल है, ठीक इसी भाँति यानी साहित्य को शब्दशः व अक्षरशः समझना बेहद मुश्किल है । आज 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' में पढ़ते है, सुश्री शशि पुरवार की साहित्यिकता लिए यात्रा से जन्मी एक अजीब किताब ! आइये, इस किताब के बारे में जानते हैं, उन्हीं की लेखनी से ---




"धूप आँगन की" (सम्प्रति साहित्यकार की पुस्तक) जैसे आँगन में चिंहुकती हुई नन्ही परी की अठखेलियां, कभी ठुमकना तो कभी रूठ जाना, कभी नेह की गुनगुनी धूप में पिघलता हुआ मन है, कभी यथार्थ की कठोर धरातल पर पत्थरों सा धूप में सुलगता हुआ तन है । कभी बंद पृष्ठों में महकते हुए मृदु एहसास हैं, तो कहीं मृगतृष्णा की सुलगती हुई रेतीली प्यास है। कहीं स्वयं  के वजूद की तलाशती हुई धूप है, तो कहीं विसंगतियों में सुलगती हुई धूप की आग है ।  हमारे परिवेश में बिखरे हुए संवेदना के कण है ---धूप का आँगन।

जहाँ आदमी की दरकार है, वहीं धड़कनों से तकरार है। कहीं वेदना के स्वर है तो कहीं चिलचिलाती धूप पाँवों  में बेड़ियाँ डालती है।  जहाँ हवाओं में नमी है, वहीं हौसलों से प्यार भी  है। कहीं आँखों में टिमटिमाते ख्वाब है, तो कहीं ख़ामोशियों को तोड़कर मंजिल बनाता हुआ नया आकाश है । हमारे परिवेश में बिखरी हुई संवेदना के इन कणों को, क्यों न अपने स्नेह की नरम धूप से सहला दें। आओ इक सुन्दर सा आकाश बना ले।

हमारे प्रयास है, आपके दिलों में इक छोटी-सी जगह बना लें । आंगन की धूप को आप अपने हृदय से लगा लें । हम आपके प्यार को अपना आकाश बना लें । आंगन की धूप से सुप्त कणों को जगा दें !


नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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2.08.2019

'परीक्षा पे चर्चा 2.0'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     08 February     विविधा     No comments   

माननीय प्रधानमंत्री जी ने बेहद अनोखे अंदाज में विगत सप्ताह 'परीक्षा की बात प्रधानमंत्री मोदी के साथ' पर चर्चा की, जहाँ देश-विदेश के स्टूडेंट्स ने बहुत मूल व आधारभूत बातें प्रधानमंत्री से पूछे और माननीय प्रधानमंत्री जी ने विद्यार्थियों के सवालों का जवाब संतुष्टि पूर्ण रूप से दिये, यदि हमारा समाज व parents माननीय प्रधानमंत्री की बातों को लागू करें, तो सोने पर सुहागा होगी ! आइये आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, परीक्षा पे चर्चा 2.0 की कुछ अनोखी बातें ---


परीक्षा पे चर्चा 2.0 के माध्यम से शानदार बातें माननीय प्रधानमंत्री जी आपने कही खासकर 'अवसाद' वाली बातें, परंतु परिवार व समाज को भी सुधरना होगा औऱ उन्हें जानना होगा, क्योंकि जीवन कागज के पन्नों में छपे ग्रेड पर नहीं चलती है । शुक्रिया आदरणीय प्रधानमंत्री जी, इतने नाजुक मुद्दों पर बेहतरीन राय के लिये, लेकिन हर जिले में स्कूलों के विद्यार्थियों को शहर के टाउन हॉल में एकत्रित कर जिला पदाधिकारी द्वारा इस मुद्दे पर हर महीने चर्चायें होनी चाहिए !

-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।

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2.04.2019

'हैप्पी बर्थडे फेसबुक'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     04 February     फेसबुक डायरी     No comments   

आज फेसबुक का बर्थडे है, हाँ वही जिनके हम सब दीवाने हैं और जिन्हें प्यार से FB कहते हैं, जहाँ लॉगिन के बाद न कोई बूढ़ा होता है और न ही बच्चा ! यहाँ हर कोई सिर्फ दोस्त होते हैं ! न जाने कितनी ही प्रेम कहानियों को फेसबुक ने जन्म दिया और न जाने कितने ही प्रेम कथाओं को ब्रेक अप के कगार पर भी पहुँचा दिया। मात्र 15 साल का यह बच्चा न जाने कितने लोगों के रहस्यों को अपने प्राइवेसी वाले पेट में छुपाएँ रखा है और हो भी क्यों नहीं इतना चालक, क्योंकि इनके पिता जो जुकरबर्ग है ! बहुत सारी बाते हैं फेसबुक के बारे में, लोगों का व्यापार, लेखकों का रोजगार आदि-आदि सारे अधूरे काम यहीं तो होते हैं । आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, फ़ेसबुक के बारे में जानी-अनजानी बातें ----



जन्मतिथि - 04/02/2004
लिंग - FEMALE, MALE & CUSTOM
नाम - FACEBOOK
जन्मस्थान - CAMBRIDGE MASSACHUSETTS,
माता और पिता का नाम - मार्क ज़ुकेरबर्ग, एडुआर्दो सॅवेरिन, डस्टिन, मॉस्कोविट्ज़, क्रिस ह्यूज़ेज,
कार्य - विलक्षण प्रतिभा के धनी व गुमनाम लोगों को पहचान दिलाने में माहिर।


आज से 15 साल पहले 2004 में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के एक छात्र मार्क जुकरबर्ग व उनके 4 सहयोगियों ने मिलकर फेसबुक की स्थापना की ! फेसबुक इंटरनेट पर स्थित एक फ्री सोशल नेटवर्किंग साइट्स है, जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ संपर्क रख सकते हैं, बातें कर सकते हैं व अन्य बहुत सारी चीजें भी ! 15 साल पहले इसका नाम 'द फेसबुक' था। शुरुआत में कॉलेज नेटवर्किग के रूप में आरंभ के बाद शीघ्र ही यह कॉलेज परिसर में लोकप्रिय होती चली गई। कुछ ही महीनों में यह नेटवर्क पूरे यूरोप में पहचाना जाने लगा व अब पूरी दुनिया में। अगस्त 2005 में इसका नाम 'फेसबुक' कर दिया गया। फेसबुक अन्य भाषाओं के साथ हिन्दी में भी काम करने की सुविधा देती है और आज विश्व में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिन्हें शायद फ़ेसबुक से लगाव न हो, लेकिन तकनीक के बड़े बदलाव के बाद जहाँ बहुत सारे कार्य आसान हुए हैं, वहीं विज्ञान अभिशाप बनती जा रही है । फ़ेसबुक यूँ ही फलता-फूलता रहे । उन्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें पर मानवता के इस गूगलिंग युग में रिश्तों की भावनाओं को कोई ठेस न हो, फ़ेसबुक से हम भारतवासियों का यह अनुरोध है ।

-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।

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2.03.2019

'जा पगले जा'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     03 February     कविता     No comments   

हम हर साल 'मातृ-दिवस' मनाते हैं, परंतु हे माँ ! आज के बच्चे 'मातृ-दिवस' भी मनाते हैं और 'माँ' पर गालियाँ भी बकते हैं ! सासरूपी माँ को आदर तक देते नहीं I पता नहीं, ये कैसी 'मदर-डे' है, जो वे मनाते हैं ? चूँकि मातृ-दिवस पश्चिमी सभ्यता से अपनाई गई है, लेकिन हम भारतीय होकर सिर्फ एक दिन ही माँ के नाम की आराधना करें, यह हमें शोभा नहीं देता ! हम उस माँ को भूल रहे हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को सरहदों पर धरती माँ की रक्षा के लिए भेज रखी हैं  और अपनी गोदसुनी कर रही हैं और वे जवान (उनके बेटे) भी खुशी-खुशी भारतमाता की रक्षा के लिए दुश्मनों को उनके देश में जाकर मारते हुए शहीद होने का गौरव प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन हम उन शहीद बेटे की माँओं को कभी याद नहीं करते ! क्यों न एक दिन उन वीर शहीदों की माँ के नाम भी हो ! आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, एक कविता ---



जा पगले जा !
जाते-जाते शुभकामनायें लेकर जा,
उन वीरों के लिए --
जिन्होंने दी जान,
माँ भारती की रक्षा के लिए --
उन्हें बता जा,
तुम्हारी माँ भूखे तो नहीं --
लेकिन विवश जरूर है,
तुम्हारी पत्नी रुआंसी तो नहीं --
लेकिन घबराई जरूर है,
तुम्हारी बहनें दीवानी तो नहीं --
लेकिन पीड़िता जरूर हैं,
तुम्हारे बच्चे घायल तो नहीं,
लेकिन बेबस जरूर हैं --
जा पगले जा !
जाते-जाते शुभकामनायें लेकर जा ।

-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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1.30.2019

"2019 की पहली 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए शिक्षिका, लेखिका, कवयित्री और समाजसेविका डॉ. सुलक्षणा अहलावत से !"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     30 January     इनबॉक्स इंटरव्यू     2 comments   

नूतन वर्ष 2019 के  प्रथम माह में प्रवेश.... एकसाथ नववर्ष, मकर संक्रांति, गणतंत्र दिवस, राष्ट्रीय मतदाता दिवस और अब शहीद दिवस भी । हर माह की तरह 2019 का प्रथम माह, जो कि लेकर आई है, 'इनबॉक्स इंटरव्यू' । यह स्तम्भ 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' का नियमित मासिक स्तम्भ है । 
21वीं सदी की सबसे अमूल्य भावना पढ़ाई है और अगर आप शिक्षक हैं, तो एक बेहतर समाज व माहौल देने का हरसंभव प्रयास करते रहेंगे ! मुझे बचपन से पढ़ने में रुचि रही है, तभी तो मैंने कुल 6001 वां किताब इसी माह पढ़कर खत्म की है, लेकिन पढ़ने के साथ-साथ हमने उस पढ़ाई को अनुशासन के लिए संग्रहित रखे रहा, यह भी महत्वपूर्ण है । मैं कोशिश करता हूँ कि जितनी भी किताब पढ़ूँ, उनका कुछ प्रतिशत गुण अपने जीवन में भी लागू करूँ । कुछ प्रतिशत इसलिए, क्योंकि प्रकृति ने कुछ गुण हमें जन्मजात भी दिये हैं । आज यहाँ ऐसी बातों को इसलिए उद्धृत कर रहा हूँ, क्योंकि इस साक्षात्कार में हम जिस शख्सियत से पाठकगणों को मिलाने जा रहे हैं, वे सर्वगुण सम्पन्न हैं ।
तो आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में रू-ब-रू करा रहे हैं व इनबॉक्स इंटरव्यू में पढ़ रहे हैं, जहां हम आपसे मुलाकात कराने जा रहे हैं व 14 गझिन सवालों के सुलझे जवाब दे रही हैं.... आदरणीया लेखिका, कवयित्री और शिक्षिका डॉ. सुलक्षणा अहलावत जी ! आइये पढ़ते हैं, उनकी ज़िंदगी के बारे में हमारे अनसुलझे सवालों के साथ....


डॉ. सुलक्षणा अहलावत

प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ? 

उ:-

लिखने के प्रति उस वक्त तक कोई रुचि नहीं थी, किन्तु शादी के बाद पति से प्रेरणा पाकर वर्ष 2014 से लेखन-कार्य शुरू की और पहली बार फेसबुक पर लिखी !

प्र.(2.)आप किस तरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?


उ:- 

मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ और मेरी शादी भी मध्यमवर्गीय परिवार में हुई है। पिता जी नेवी में कार्यरत थे, इसलिए घर से ही अनुशासन की सीख मिली । पिताजी से ही यह सीख पाई कि कर्म प्रधान होता है और इसलिए भी आज यह मुकाम हासिल हुई है।

प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?


उ:- 

देखिये, बतौर 'शिक्षिका' देश का भविष्य मेरे हाथ में है, क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं, उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी मेरे हाथों भी है। दूसरी तरफ एक लेखिका होने के नाते भी अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को जागरूक करने की जिम्मेदारी भी मेरे हाथों है । दोनों ही सूरतों में अच्छी शिक्षा और साफ-सुथरे साहित्य का सृजन कर मैं लोगों को व समाज को एक दिशा देने का प्रयास करती रहती हूँ।

प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?


उ:- 

रुकावट और बाधाएं तो जीवन में बहुत आई। स्थायी नौकरी के लिए नौ साल से ज्यादा संघर्ष करना पड़ी। लेखन के क्षेत्र में भी अपने आप को स्थापित करने के लिए भी बहुत संघर्ष करनी पड़ी ।

प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ? 


उ:- 

लेखन कार्य में आर्थिक दिक्कत तो आज भी है, यही वजह है कि तबतक मेरी कोई भी किताब प्रकाशित नहीं हुई थी, किन्तु मेरी मेहनत रंग आई और अब 'मन का के ठिकाना' मेरी हरियाणवी काव्य-संग्रह पाठकों के लिए ला पाई हूँ ।

प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !




उ:- 

मुझे शिक्षिका बनाना तो मेरे पिताजी का सपना था और लेखिका अपने पति की प्रेरणा से बनी। मेरे दोनों कार्यों से मेरे दोनों परिवार बहुत खुश हैं। 

प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !


उ:- 

आप सभी मेरे सहयोगी हैं, क्योंकि एक लेखिका अपने पाठकों के बगैर कुछ भी नहीं है, परंतु लेखन कार्य में मेरे सहयोगी मेरे पति हैं, यदि वो नहीं होते, तो आज मैं एक लेखिका के रूप में भी नहीं होती।

प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?


उ:- 

मैं शिक्षिका एवं लेखिका दोनों के तौर पर अपनी संस्कृति से जुड़ी हुई हूँ। मेरी प्रयास यह रहेगी कि मैं अपनी संस्कृति को जीवित रखूँ और जन-जन तक इसे पहुँचाऊँ । मेरी रचनाओं में आपको भारतीय और हरियाणवी संस्कृति की झलक तथा अपनी मिट्टी से सौंधी खुशबू जरूर आएगी।

प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !


उ:- 

एक शिक्षिका के तौर पर बच्चों में राष्ट्रहित की भावना को भरकर, नैतिक मूल्यों से अवगत करवाकर, संस्कृति और सभ्यता के प्रति उनमें लगाव पैदा करके और एक लेखिका होने के नाते अपनी लेखनी से लोगों को जागरूक कर भ्रष्टाचारमुक्त राष्ट्र के निर्माण का प्रयास लिए सतत प्रयत्नशील है।

प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।


उ:- 

आर्थिक सहयोग तो नहीं मिला, परन्तु अनेक समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और वेबसाइट्स के संपादकों का सहयोग मिला । अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में और समाज को दिशा देने में  ऐसे सहयोग भी मेरे लिए अनमोल हैं ।

प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?


उ:- 

शिक्षा के क्षेत्र में कहूँ तो अधिकारियों का पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाती। अगर लेखिका के तौर पर कहूँ, तो एक बात से बहुत कष्ट पहुंचती है कि जब मेरी ही रचना किसी अन्य के नाम से मेरे पास आती है। उस वक़्त दिल टूट जाता है कि हमें एक नाम ही तो मिलता है, वो भी हमसे छीना जा रहा है।

प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?




उ:- 

जी ! अभी हाल फिलहाल ही मेरी हरियाणवी काव्य संग्रह प्रकाशित हुई है, तो लगभग 60 से अधिक समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, ब्लॉग्स और वेबसाइट पर मेरी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जो अब भी नित्य नूतन होती रहती हैं।

प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?




उ:- 


@ 13 नवंबर 2016 को शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने पर शिक्षा दीक्षा शिरोमणी सम्मान - 2016 प्राप्त,

@ 01 जनवरी 2017 को हरियाणवी लेखन के लिए "बोल हरियाणा उत्सव - 2017" में माननीय शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार श्री राम बिलास शर्मा जी द्वारा सम्मानित,

@  22 जनवरी 2017 को उन्नत हरियाणा फाउंडेशन (रजि) द्वारा "उन्नत हरियाणा सम्मान" से नवाजी गई,

@ 02 फरवरी 2017 को इन्द्रधनुष साहित्यिक संस्था, धामपुर (उत्तर प्रदेश) द्वारा "काव्य मर्मज्ञ सम्मान" से सम्मानित,

@ 08 फरवरी 2017 को शैली साहित्यिक मंच, रोहतक (रजि) द्वारा "साहित्य-सोम" सम्मान से सम्मानित,

@ 25 फरवरी 2017 को एआर फाउंडेशन और निवेदिता फाउंडेशन द्वारा "ह्यूमैनिटी अचीवर्स अवार्ड - 2017" से सम्मानित, 

@ 08 मार्च 2017 को महिला दिवस पर "प्रेरणा समिति हरियाणा" के मंच पर कुरुक्षेत्र में उपायुक्त आदरणीया सुमेधा कटारिया जी द्वारा "नारी सशक्तिकरण सम्मान" से सम्मानित,

@ 08 मार्च 2017 को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर "मेरा स्वर्णिम हिन्द" संस्था के मंच पर गाँव- रधाना (जिला-जींद) में पुलिस अधीक्षक आदरणीय शशांक आंनद जी द्वारा शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों के लिये सम्मानित,

@ 08 मार्च 2017 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर "गहमर वेलफेयर सोसाइटी" गहमर उत्तर प्रदेश द्वारा शिक्षा एवं साहित्य के लिए "तेजस्विनी सम्मान - 2017" से नवाजी गई,

@ 11 मार्च 2017 को नई दिल्ली में आगमन साहित्यिक संस्था द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर "प्राइड ऑफ़ वीमेन अवार्ड - 2017" से सम्मानित,

@ जनवरी 2017 में साहित्यपिडिया डॉट कॉम वेबसाइट द्वारा आयोजित साहित्यपिडिया काव्य प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुई,

@ 14 मई 2017 को मातृ दिवस के अवसर पर "प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति" द्वारा करनाल में महाराणा प्रताप को समर्पित "नेशन प्राइड अवार्ड" फ़िल्म अभिनेता आदरणीय रज़ा मुराद जी के हाथों ससम्मान प्राप्त,


@ 14 मई  2017 को मातृ दिवस के अवसर पर "आयरन लेडी संस्था" द्वारा रोहतक में भाजपा के करनाल से सांसद आदरणीय अश्वनी चोपड़ा जी की धर्मपत्नी श्रीमती किरण चोपड़ा के हाथों "आयरन लेडी अवार्ड"प्राप्त,

@ 28 मई 2017 को हरियाणा प्रेस क्लब द्वारा कुरुक्षेत्र में आयोजित हरियाणा स्वर्ण जयंती सम्मान समारोह में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री, हरियाणा सरकार माननीय कृष्ण कुमार बेदी जी के हाथों शिक्षा साहित्य अवार्ड प्राप्त,

@ 02 जून 2017 को बेटियाँ देश की शान फाउंडेशन द्वारा चरखी दादरी में शिक्षा व कला रत्न सम्मान से सम्मानित,

@ 04 जून 2017 को गज केसरी युग समाचार पत्र के विमोचन के अवसर पर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में सत्यम ग्रुप द्वारा सम्मानित ।


प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ? 


उ:- मेरी कर्मभूमि मेवात हरियाणा है। अपने समाज से एक ही अपील है कि वो शिक्षा का व्यापार ना होने दें और अच्छा साहित्य पढ़ें तथा अच्छे साहित्यकारों को प्रोत्साहित करते रहें।


  "आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !

नमस्कार दोस्तों !

मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो  हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों  के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !

हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com
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