आइए, मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं, डॉ. सदानंद पॉल के गणितीय सिद्धांत को...
डॉ. सदानंद पॉल |
डॉ. सदानंद पॉल की खोज "फर्मा का अंतिम प्रमेय (FLT) का 'आकृति संख्या' या नॉन-एफ.एल.टी. से आसान हल"
FLT प्रमेय को पहली बार 1637 में फ्रांसीसी अधिवक्ता और गणितज्ञ पियरे डि फर्मेट द्वारा अंकगणित की एक पुस्तक के एक पृष्ठ के हाशिये यानी मार्जिन में अनुमान लिए लिखा गया था और उन्होंने दावा भी किया था कि उनके पास सबूत है, किन्तु मार्जिन में इसे हल करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है !
The FLT theorem was first written in 1637 by French lawyer and mathematician Pierre de Fermat to estimate the margins of a page of a book of arithmetic in the margins, and he also claimed that he had proof, but to solve it in the margin there is not enough space for !
गणित की दुनिया का यह अद्भुत थ्योरम यानी फर्मेट या फर्मा का अंतिम प्रमेय (FLT) उनके निधन वर्ष 1665 से अनसुलझा है, जब उनके पुत्र द्वारा उक्त पुस्तक को आलमारी किसी कारणश: निकाली गई थी। आज के गणितज्ञ 17 वीं शताब्दी के गणितीय ज्ञान के समकक्ष ले जाने की नहीं सोचते हैं, इन्हीं कारणों से पियर डि फर्मा के प्रमेय का प्रमाण अब तक गणितज्ञ नहीं खोज सके हैं। इसे रायल सोसायटी, लंदन द्वारा इसे 1676 में प्रकाशित किया गया। फर्मा का हल 16 वीं शताब्दी के आसपास छिपा था, जिसे मैंने खोज निकाला है, वैसे कई गणित जानकारों, शिक्षकों और गणितज्ञों ने इनका हल व इनकी काट निकालने का दावा-प्रतिदावा किया है ! इसे मैंने (Sadanand Paul) "Non FLT" का नाम दिया है यानी यह वैसी प्रक्रियाएँ हैं, जिनसे FLT की काट हो।
This amazing theorem ie Fermat's or Ferma's final theorem (FLT) of the world of mathematics has been uncertain since his death in the year 1665, when the aforesaid book was removed by his son for some reason. Today's mathematicians do not think of carrying the equivalent of mathematical knowledge of the 17th century, for which reason mathematicians have not yet been able to find proof of Pier de Fermat's theorem. It was published in 1676 by the Royal Society, London. Format's solution was hidden around the 16th century, which I have discovered, by the way, many math experts, teachers and mathematicians have claimed to have solved it and cut it out! I (Sadanand Paul) have named it "Non FLT", that is, the processes by which FLT is cut.
पाइथागोरस प्रमेय (p^2 + b^2) = h^2 को लेकर पियरे D' FERMAT ने एक कल्पना प्रस्तुत किया था कि उक्त प्रमेय की भांति (p^n + b^n) = h^n में n = कोई भी संख्या हो सकता है या नहीं ! इसे FERMAT का अंतिम प्रमेय FLT कहा जाता है, किन्तु इसपर ध्यान देने से स्पष्ट होता है कि यह "त्रिभुज आकृति" के सूत्र है, यथा-
With regard to the Pythagoras theorem (p ^ 2 + b ^ 2) = h ^ 2, Pierre D'FERMAT presented a hypothesis that n = any of the above theorems (p ^ n + b ^ n) = h ^ n. Number may or may not! This is called FLT the last theorem of FERMAT, but it is clear from this that it is the formula for the "Triangle shaped Figure Number" :-
(3^2) + (4^2) = 5^2, जो कि वर्ग (square) के लिए ऐसा ठीक है, किन्तु घन (cube) या चतुर्घात या पंचघात या कोई घात ऐसी स्थिति में त्रिभुजीय सोच लिए ही संभव हो सकता है, किन्तु किसी संख्या की सोच लिए नहीं, इसलिए Non FLT सोच के साथ ये सब "आकृति संख्या" होगी , यथा-
(6^3) + (8^3) + (10^3) = 12^3
(9^3) + (12^3) + (15^3) = 18^3
(4^4) + (6^4) + (8^4) + (9^4) + (14^4) = 15^4
(8^4) + (12^4) + (16^4) + (18^4) + (28^4) = 30^4
.....इत्यादि आकृति संख्याएँ हैं।
That (3 ^ 2) + (4 ^ 2) = 5 ^ 2, which is exactly the case for a square, but cube or quadrilateral or panache or any power can only be possible for triangular thinking. Is, but not thinking of any number, so with non FLT thinking it will all be "Figure number", like-
(3^3)+(4^3)+(5^3) =6^3,
(6^3)+(8^3)+(10^3)=12^3,
(9^3)+(12^3)+(15^3)=18^3,
(12^3)+(16^3)+(20^3)=24^3
(4^4)+(6^4)+(8^4)+(9^4)+(14^4)
(8^4)+(12^4)+(16^4)+(18^4)+(
(12^4)+(18^4)+(24^4)+(27^4)+(
..... etc are figure numbers.
घन हेतु चतर्भुज और चतुर्घात हेतु षट्भुज आदि के प्रमेय सूत्र आकृति संख्या यानी Figure Numbers कहलाती हैं, इसलिए (x^n) + (y^n) = (z^n) केवल n = 2 के रूप में ही संभव है n > 2 के रूप में नहीं !
Theorems of the quadrilateral for cube and hexagon for quadrilateral etc. are called figure numbers i.e. Figure Numbers, so (x ^ n) + (y ^ n) = (z ^ n) is possible only as n = 2 n> 2. not as !
Non FLT अबतक खोजी गई "Fermat's Last Theorem" की काट के लिए अत्यधिक सटीक और सबसे लघुत्तम प्रक्रिया (Shortest Process) है। ध्यातव्य है, मैंने अल्पायु में गणित विषय व गणितीय-सूत्रों पर पहली डायरी की रचना की थी, जो दो-दो संस्करण लिए 'सदानंद पॉल की गणित-डायरी' के नाम से प्रकाशित भी हुई थी।
Non FLT is the most accurate and shortest process for cutting "Fermat's Last Theorem" discovered so far. It is noteworthy that I had composed the first diary on the subject of Mathematics and Mathematical Formulas at an early age, which was also published as 'Sadanand Paul's Mathematics Diary' with two editions.
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