MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

2.12.2022

'गेहूँ के जड़ के पास बथुआ उगा था...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     12 February     कविता     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवि श्री मिथिलेश कुमार राय की कविता.......

श्री मिथिलेश कुमार राय

मेड़ पर जाकर दो मिनट खड़े होइए

तो नथुने तक जो हवा आएगी

लगेगा कि उसमें कोई खुशबू मिली है,

आप चारों तरफ निहारेंगे

लगेगा कि खेतों में फसल की एक दुनिया बसती है

उसमें एकता इतनी है कि जब हवा बहती है

सारे साथ झूमते हैं,

गेहूं जो है उसकी जड़ों के पास बथुआ ऊगा था

जितना भी खाद-पानी गेहूं को मिला था

उसने वह बथुआ को भी दिया

बदले में उसने

सबको एक नए स्वाद से अवगत कराया,

खेत के चारों ओर सरसों के पौधे उगे

और उनमें जो फूल आए

इससे समूचे दृश्य को रौनक मिली

फिर यह रौनक लोगों के चेहरे पर पसरी

मटर जल्दी-जल्दी बढ़े

उसे गेहूं से पहले पकना था

सरसों के डंठल ने सहारा दिया

लता उस पर चढ़कर खूब खिली,

बगल के खेत में राजमा के पौधे थे

उसमें भी फूल आए

उसके बगल में तेजी से बढ़ते मक्के के पौधे जैसे किसी से होड़ ले रहे थे

और ऐसा लगता था मानो

कि वह हवा में पत्ते को तलवार की तरह लहरा रहे हैं,

सरसों के फूल बहुत देख लिए होंगे आपने

कभी मटर के फूल देख आइए

जिस सुगंध को मैं सांस खींचते हुए महसूस कर रहा हूँ

वो इसी के फूलों से निकल रही है।

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART