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2.18.2021

कालजयी कृति 'दामुल का कैदी' का पोस्टमार्टम...(लघु प्रेरक समीक्षा)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     18 February     समीक्षा     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की ताजा कड़ी में पढ़ते हैं, वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की अजीब कथा दामुल का कैदी की लघु प्रेरक समीक्षा...

मैसेंजर ऑफ आर्ट

'दामुल का कैदी' एक ऐसी कहानी है, जिसमें कथा सम्राट के पारंपरिक लेखनकला से भटकाव मालूम पड़ते लगते हैं। कहानी उसी शोषणवाली दु:स्थिति पर लिखी गयी है, जिसके कारण हम सब कोई उन्हें यानी प्रेमचंद को जानते हैं। वहीं कहानी के पात्रों पर बात करूँ, तो कथा सम्राट ने खूबचन्द जी का हृदय परिवर्तन कराकर और कृत्य घटना को बेचारगी से जोड़कर तथा चेहरों का हेरफेर कर एक 'असाधारण' कहानी को आखिरकार साधारण विन्यास पर लाकर पटक दिये !

संदर्भित कथा लिखते-लिखते कहानीकार जी इतने मगन हो जाते हैं, इतने रम जाते हैं या यूँ कहिए कि इतने डूब जाते हैं कि उन्हें यह भी अंदेशा नहीं लग पाता है कि कथाकार का काम जो 'रियल सोशल एनवायरनमेंट' का होना चाहिए था, उनसे मीलों दूर भागते नजर आते हैं यानी पाठ समझते-समझते माहौल ही बदल जाता है !

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।

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