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10.11.2020

'हर दरवाज़ा किसी प्रतीक्षा में...'(कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     11 October     कविता     No comments   

मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं कवयित्री मनीषा श्री रचित अतुलनीय कविता ! आइये, देर न करते हुए इसे पढ़ ही लेते हैं......

हर दरवाज़ा किसी प्रतीक्षा में 
यह मेरी प्रतीक्षा में था
हर दरवाज़े के पीछे 
कुछ जोड़ी आँखे राह देखती हैं
कोई मेरी राह ताक रहा था
मुश्किल था दरवाज़े को खोलना
उसका धर्म दुरुस्त था
कठिन था मुझे रोकना
मेरी जिज्ञासा असीमित थी
दरवाज़ा निर्जीव था
इंतज़ार साँस ले रहा था
मैं जीवन के साथ थी
जीवन के साथ हूँ
दरवाज़ा खुल गया
जीवन मुक्त हो गया।

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।


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