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10.09.2020

'हम-दोनों...' (कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     09 October     कविता     4 comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं सुश्री निधि चौधरी जी की साधारण शब्दों में लिखी गयी असाधारण कविता...

कवयित्री निधि चौधरी


एक लंबा सफर तय करना है

मुझे तुम्हारे साथ, 
पर जुदा-जुदा,
जब भी तुम ठहर जाते हो,
मैं भी थम सी जाती हूँ।
तेरी चाल पर ही मैं तो रम सी जाती हूँ।
तुझे कुछ हो जाए तो,
मेरा जीवन व्यर्थ है,
बिन तेरे मेरा कोई न अर्थ है।
चलना है साथ,
रुकना है साथ,
बारिश में साथ,
दर्द, रंजिश में साथ,
धूप में, गर्मी में साथ,
जाड़े में सर्दी में साथ,
मैदानों में साथ,
पहाड़ों में साथ,
जीत में साथ, हार में साथ,
साथ चलते रहेंगे सनम दोनों,
पर मिल नहीं सकते हम दोनों,
साथ तो हैं हम पर डर लगता है मिलने पर,
हमारा मिलन ज़माने की नज़रों में पाक नहीं,
और कभी जो गलती से मिल गए हम तो, 
यह ज़ालिम ज़माना हमें अलग कर देता है,
कि कहीं कोई अपशकुन न हो जाए,
हमारा प्यार चप्पल की तरह ही तो है,
साथ तुम्हारा जीने की वजह ही तो है।

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4 comments:

  1. Chaman LalOctober 05, 2020

    अति उत्कृष्ट रचना। बहुत ही भावात्मक।

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      Reply
  2. Chaman LalOctober 05, 2020

    अति उत्कृष्ट रचना। बहुत ही भावात्मक।

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    Replies
      Reply
  3. Chaman LalOctober 07, 2020

    बहुत ही उम्दा रचना है यह।गहन अध्ययन के बाद पुनः टिप्पणी करूँगा।

    ReplyDelete
    Replies
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  4. Chaman LalOctober 07, 2020

    बहुत ही उम्दा रचना है यह।गहन अध्ययन के बाद पुनः टिप्पणी करूँगा।

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