ज़िन्दगी में हरेक व्यक्ति के लिए अपने-अपने किरदारों को समझना आसान नहीं है, परंतु यह मुश्किल भी नहीं है !
आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं लेखिका व कवियत्री सुश्री कल्पना पांडेय जी के फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी अद्वितीय रचना और समझते हैं ज़िंदगी के किरदारों को...
तुम...
मैं...
वह...
हम...
ये चार सर्वनाम नहीं,
ज़िन्दगी के ऐसे किरदार हैं
जो चिर व्यस्त रहते हैं।
सुबह से शाम तक,
उस अकेले--
बिल्कुल अकेले,
कर्मठ सूरज की तरह,
उगते
विचरते
फिर अस्त रहते हैं।
ऐसे ही
अपने आप से
अपने आप में
जिंदगी भर के
अभ्यस्त रहते हैं
और कोई पूछे तो
कहते फिरते हैं,
हम तो यूँ भी
मस्त रहते हैं।
भीड़ में भी अकेले
अकेलों की भीड़ में
एक विशेषण
सफल
का लगाये हुए
ये सारे सर्वनाम फिरते हैं।
तुम,
मैं,
वह,
हम !
आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं लेखिका व कवियत्री सुश्री कल्पना पांडेय जी के फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी अद्वितीय रचना और समझते हैं ज़िंदगी के किरदारों को...
सुश्री कल्पना पांडेय |
तुम...
मैं...
वह...
हम...
ये चार सर्वनाम नहीं,
ज़िन्दगी के ऐसे किरदार हैं
जो चिर व्यस्त रहते हैं।
सुबह से शाम तक,
उस अकेले--
बिल्कुल अकेले,
कर्मठ सूरज की तरह,
उगते
विचरते
फिर अस्त रहते हैं।
ऐसे ही
अपने आप से
अपने आप में
जिंदगी भर के
अभ्यस्त रहते हैं
और कोई पूछे तो
कहते फिरते हैं,
हम तो यूँ भी
मस्त रहते हैं।
भीड़ में भी अकेले
अकेलों की भीड़ में
एक विशेषण
सफल
का लगाये हुए
ये सारे सर्वनाम फिरते हैं।
तुम,
मैं,
वह,
हम !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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