MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

1.27.2020

'तुम-मैं-वह-हम'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     27 January     कविता     No comments   

ज़िन्दगी में हरेक व्यक्ति के लिए अपने-अपने किरदारों को समझना आसान नहीं है, परंतु यह मुश्किल भी नहीं है !
आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं लेखिका व कवियत्री सुश्री कल्पना पांडेय जी के फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी अद्वितीय रचना और समझते हैं ज़िंदगी के किरदारों को...


सुश्री कल्पना पांडेय

तुम...
मैं...
वह...
हम...
ये चार सर्वनाम नहीं,
ज़िन्दगी के ऐसे किरदार हैं
जो चिर व्यस्त रहते हैं।
सुबह से शाम तक,
उस अकेले--
बिल्कुल अकेले,
कर्मठ सूरज की तरह,
उगते
विचरते
फिर अस्त रहते हैं।
ऐसे ही
अपने आप से
अपने आप में
जिंदगी भर के
अभ्यस्त रहते हैं
और कोई पूछे तो
कहते फिरते हैं,
हम तो यूँ भी
मस्त रहते हैं।
भीड़ में भी अकेले
अकेलों की भीड़ में
एक विशेषण
सफल
का लगाये हुए
ये सारे सर्वनाम फिरते हैं।
तुम,
मैं,
वह,
हम !

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • 'जानकीपुल.कॉम' के शिल्पकार श्री प्रभात रंजन से 'इनबॉक्स इंटरव्यू'
  • "एक शरीफ़ लेखक की शरीफ़ाई 'कोठागोई"

Categories

  • अभियान
  • आपबीती
  • आलेख
  • मन की बात
  • मैसेंजरनामा
  • लघुकथा
  • शोध आलेख
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART