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7.04.2018

"कई किरण, माँ एक : सबकी हैं 'माँ' प्रेरक" (सुश्री किरण की मार्मिक-कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     04 July     कविता     No comments   

छायावादी पीढ़ी के बाद प्रगतिवादी युग की शुरुआत हुई, जो आधुनिकतावादी युग का आग़ाज़ था ! हर युग में कविता-कला नियमित ढर्रे से अलग होती चली गयी । नई कवयित्री हो या नए कवि कुछ अलग ही कहना चाहते हैं, लेकिन पुरानी कविता में लोग अक्षरशः, शब्दशः और भावश: उनके अर्थ समझ लेते थे, परंतु इस अतिआधुनिकतावादी युग में जहां कविताओं ने गतिशीलता पायी, वहीं साधारण से साधारण शब्द बड़े अर्थ दे देते हैं !

बचपन में दादाजी के मुखारविंद से सुना करता था--
"कभी अकेला हो और किसी न किसी प्रसंगश: या कारणश: भय व डर सताने लगे, तो अंतर्मन से 'माँ' को याद कर लेना ।" मैंने भी माँ के अंदर स्थापित 'ममता' को लिए अभियांत्रिकी-से अन्वेषण कर उनसे निःसृत स्वकविता में अपनी भावना डाल दिया हूँ, यथा--
"माँ तो माँ है,
सार्थ शमाँ है ।
'पड़ौस की आँटी'
चाहे हो कितनी सुंदर ?
पर, अपनी माँ ! बस, माँ होती है ।"

आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं कवयित्री किरण यादव की दो कविता, एक तो माँ की स्मृति में और दूजे 'लिबास' में रमते हैं, दर्दीली दास्ताँ सुनाते-सुनाते तथा दरियादिली दिखाते-दिखाते.... तो देर न करते हुए आइये पढ़ते हैं ....


कवयित्री किरण यादव


मेरी माँ 

हे ईश्वर ! 

कहाँ लेकर चले गए,
मेरी माँ को 

तुम !

नम आँखों से देखता हूँ 

नित्य दिन, पल-प्रतिपल अपनी चारों ओर जो भी है 
कि मेरे पास दिखाई नहीं देती है !


दूर तक फैले आकाश में
उन चाँद-सितारों को देखता हूँ
टिमटिमाते भर हैं, शायद उनके 
वजूद ख़त्म हो रहे हैं।

उनकी रोशनी बेरंग लगती है 
अंधेरों के थपेड़े में, सब धुँधला पड़ गया है 
उन रास्तों में भटक रहा, स्वयं में सवाल कर रहा
कहाँ लेकर चले गए, मेरी माँ को तुम !


मेरी माँ से जुड़ी सभी दिशाओं को निहारता हूँ 
कभी जिसे प्यार से पुकारती थी
स्नेह उड़ेलती थी, ममता की छाँव देती थी
मन में उमड़ते-घुमड़ते सवाल, आज आँखों बरसते हैं !


वो चमकते सितारे, सुबह होते ही लुप्त हो जाते हैं
जान गया हूँ मैं, मेरी माँ घर से विदा होकर 
यहीं, घर की दीवारों में स्थापित हो गई है

कि माँ को याद कर, अब तो और भी रोता हूँ !

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★


लिबास

लिबास, जिसे हम ओढ़कर सो जाते हैं,
तड़के ही दिखता है उसमें,
एक नया छेद !
पैबंद लगा कर

होती--
नए दिन की शुरूआत !


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email - messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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