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10.11.2017

"देश का मान बढ़ा रही बेटियां"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     11 October     अतिथि कलम     No comments   

आज देश में हर तरफ भारतीय महिलाओं की गुणगान हो रही हैं, 22 साल की छोटी उम्र में पी.वी.सिंधु ने कई कीर्तिमान अपने नाम की है, वहीं क्रिकेट में मिताली राज की रिकार्ड्स को फिलवक्त तोड़ पाना मुमकिन नहीं है । बॉक्सिंग क्वीन एम सी मैरी कॉम को शायद ही कोई भूल पाएं, लेकिन इन सभी महिलाओं ने अपनी किस्मत को इतना आसान बनाने में जिस मेहनत और जुनून को कुर्बान किया है, लोग उन्हें भूल जाते हैं। मात्र साढ़े 22 साल की उम्र में जाबना चौहान सबसे कम उम्र की सरपंच बनी और अपने बुलंद हौसलें के दम पर जाबना ने नशाखोरी से लेकर अन्य समस्याओं के खिलाफ सशक्त आवाज उठाई । हमें इन युवाओं के शब्दकोटी सोच से प्रेरणा लेकर देश को उन्नति की दिशा पर आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि स्वामी विवेकानंद ने कहा था --युवा भविष्य के कर्णधार हैं । आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पढ़ते है सुश्री अर्चना कुमारी की अंतरराष्ट्रीय युवती दिवस पर लघु आलेख...!!

सुश्री अर्चना कुमारी
एक तरफ आज हम 'अन्तरराष्ट्रीय युवती दिवस' मना रहे हैं और दूजे तरफ हम 'बेटी बचाओ' और 'बेटी पढ़ाओ' के बीच काफी अंतर दिखा रहे हैं । जहाँ आज के समाज हिंदी फिल्म 'पिंक' के लड़कों की तरह 'लड़कियों' के बारे में सोचते हैंं, वहीं दूजे तरफ अब भी ढेर सारे अभियान सरकार और गैर सरकारी संगठन द्वारा चलाने के बावजूद भी लड़कियों के जन्म पर रोक जारी है, जन्म ले भी रही है तो उसे बेटे के आगे अच्छी शिक्षा नहीं दे देते हैं । कन्या योग्य होने के बावजूद उनकी विकट समस्या शादी की आती है, ऐसे में निर्धन माँ-बाप के लिए दहेज आड़े आती है । 

                       बिहार सरकार ने  2 अक्टूबर से बाल विवाह पर रोक और दहेज प्रथा उन्मूलन को लेकर कड़ाई से पालन को लेकर अभियान चलाए हैं ! समाज में सामूूूहिक तौर पर ऐसी घटनाओं को कोई रोकने का प्रयास करता भी है, तो बाल-विवाह से करने व करानेवाले कन्याओं के परिवार वाले यही कहते पाये जाते हैैं--  "मेरी बेटी है, इसे मैं कुछ भी करूँ और यदि आपको इतना ही सभ्य नागरिक का फर्ज निभाना है, तो मेरी बेटियों को आप ही पालिये/रखिये व आप ही शाादी कर लीजिये ।" ऐसे जैसे वाक्य जहाँ लोगों में मदद करने की भावना को खत्म कर रही है, वहीं सामाजिक कार्यकर्ता को एतदर्थ धमकियां मिलना आम बात हो गयी हैं । 
                  इसके साथ ही उच्च शिक्षित और नौकरीशुदा बेटियों की शादी भी विकट समस्या होती जा रही है। समाज और प्रशासन को इसपर भी ध्यान देने चाहिए ।

नमस्कार दोस्तों ! 

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