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6.30.2017

"इनबॉक्स इंटरव्यू' में 14 गझिन उत्तरों के साथ 'मनीषा श्री' को पढ़िये"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     30 June     इनबॉक्स इंटरव्यू     1 comment   

बिहार के छोटे-से कसबा की एक नन्हीं परी, दिल्ली और रुड़की से छनती - छानती 'भूवैज्ञानिक' बन मलेशिया और उनसे आगे तक की अनथक सफर करती हुई 'ज़िन्दगी' की गुल्लक' में कैद हो क्षणशः ठिठक 'गुल्लक' से भी निकल 'रिक्ता' की रिक्तता से पहचान बनाने वाली 'मनीषा श्री' जहाँ 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' में इस माह के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में आदरणीया अतिथि हैं । आइये, हम मनीषा जी के 14 गझिन उत्तरों से रूबरू होते हैं:---



प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र  के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को  सुस्पष्ट कीजिये ? 

उ:- पेशे (कार्यक्षेत्र) से कहना फ़िलहाल ग़लत होगा, क्योंकि पिछले दो सालों से इस क्षेत्र में कुछ ख़ास योगदान नहीं दे पाई हूँ । मगर हाँ ! देखा जाय तो मैं एक भू-वैज्ञानिक हूँ और 11 सालों से देश-विदेश की कई कंपनी में काम कर चुकी हूँ । फ़िलहाल अपने उस पेशे से ब्रेक पर हूँ और सिर्फ लिख रही हूँ...... किस्से, कहानी, कविता इत्यादि साहित्यिक विधा के जरिये अपना दिल की सुना लेती हूँ और सुकून के पल जी लेती हूँ।

प्र.(2.)आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उ:- मेरा जन्म बिहार में हुआ और परवरिश delhi में हुई । पढ़ाई delhi और रूड़की से किया हूँ । पापा 'कोचिंग सेंटर' चलाते थे और माँ घर । घर में सबसे बड़ी और सबसे लाडली मैं हूँ । पढ़ाई के बाद 3 साल नौकरी किया और फिर अपनी मर्जी और पारिवारिक सहयोग से ही शादी की । एक राजकुमार-सा बेटा है, जो मुझे मुक़म्मल करता है।




प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किस तरह से इंस्पायर अथवा  लाभान्वित हो सकते हैं ?

उ:- मैं ज़िन्दगी के हर पल को जीने में विश्वास रखती हूँ और उन्हीं पलो को लिखती भी हूँ । पता नही मेरी सृजन किसी के काम के हैं भी कि नहीं, मगर मेरी उम्मीद सबसे ज्यादा चहकती है । हाँ,यह उम्मीद अगर किसी को मुस्कराहट दे देते हैं, तो मेरे शब्द पढ़ते-पढ़ते आप कह सकते हैं कि मेरा लिखना inspiration दे रहा है ।



                                 
प्र.(4.)आपके कार्य में आए जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?

उ:- अब तक तो ऐसा नहीं हुआ । शायद मुझे दोस्तों की दुआ ने बचा रखा है !

प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?  

उ:- मेरे लिए अभी तक लिखना सिर्फ अपने मन की भड़ास निकालना भर ही है। इससे कुछ खास कमाई अभी तक शुरू नहीं हुई है,लेक़िन अगर इनसे अवसर मिला तो इसे मैं 'सोने पे सुहागा' कहूँगी ।

प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !

उ:- सपनो को जीने का अब तो मौका मिली है,कैसे गँवा देती ? हमारा परिवार मेरे सपनों की कद्र करती है ।

प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !

उ:- मेरे पाठक, दोस्त और परिवार ।






प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ?  इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?

उ:- मेरी हर कहानी में हमारा देश और हमारी संस्कृति ही होती है ।





प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !

उ:-साहित्य समाज का दर्पण है और दर्पण 'भ्रष्टाचारमुक्तता' के प्रतीक है ।

प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।

उ:-रेडियो के लिए लिखती हूँ, वहाँ से मदद मिलती है ।

प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी  धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?

उ:- नहीं ।

प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?

उ:- जी ! 
    'ज़िन्दगी की गुल्लक' और 'रिक्ता' ।



प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?

उ:- अभी तक तो सिर्फ़ दोस्तों और पाठकों ने ही हौसलाअफ़जाई किये हैं और मैं मानती हूँ, यह ही सबसे बड़ा पुरस्कार है ।

प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ? 

उ:- मेरी दो किताबें आई है । 'ज़िन्दगी की गुल्लक' और 'रिक्ता' ....towards completness।
'ज़िन्दगी की गुल्लक' में मैंने अपनी कविताओं की कहानी सुनाई थी और 'रिक्ता' ज़िन्दगी की कहानी है ।
इसके अलावा पत्र-पत्रिकाओं और रेडियो के लिए लिख रही हूँ । लिखना वो 'कहना' है, जिसे एक साथ कई लोग सुन सकते हैं, इसलिए लिखकर अपना दिल की सुनाती हूँ ।

                  आप यू ही हँसते रहे , मुस्कराते रहे , स्वस्थ रहे-सानन्द रहे ...



और आपकी ज़िंदगी 'गुल्लक' से निकल और भी विस्तार पाए -- 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएं !




नमस्कार दोस्तों ! 

मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो  हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों  के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com


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1 comment:

  1. nagrikJune 10, 2018

    जबरदस्त ................शानदार इंटरव्यू..................ईमानदार पोसटमार्टम..........सहज सवाल

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