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11.29.2014

'बयान 6 : राजा हंसध्वज'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     29 November     कविता     No comments   


"*सुधन्वा*" (गीति नाट्य) -- डॉ. एस पॉल ।
(प्रस्तुत गीति-नाट्य में 12 पात्र 12 आयामों का प्रकटीकरण है, यथा:- कालचक्र, अश्वमेध-यज्ञ, अश्व, महाभारत, काल, चम्पकपुरी, राजा हंसध्वज, शंख-लिखित, अवतार, भारतवर्ष, कृष्णार्जुन और सुधन्वा । ध्यातव्य है, 'सुधन्वा' ऐतिहासिक नायक थे । )


राजा हंसध्वज
-----------------
समाचार  यहाँ ,   घोड़ा  यज्ञ  का ,  नगर  -  प्रवेश  किया  है ,
पकड़ो  -  पकड़ो  का  आदेश  ,  हंसध्वज  महेश  किया  है ।
स-अक्षर   के   साक्षर   पुत्र,   पंच   पुत्र  थे  पांडव    समान ,
एक  -  एक  बल  -  आज्ञाशाली, वे  किशोरवय   के  जवान ।
सुगल  ज्येष्ठ  पुत्र  थे  ताकतवर , ब्रह्मास्त्र   वह   पाया   था  ,
दिशा   उत्तर   का    रक्षा - भार  ,  संभालने  वह  आया  था ।
मंझले   पुत्र    सुरथ     ने ,   रथ   -    कवचास्त्र    पाया था  ,
दक्षिण दिशा का रक्षा - भार , हाँ, वह संभालने आया  था    ।
सम  नाम   था,  संझले   का ,  की  सर्वास्त्र  वह   पाया   था ,
रक्षक  बने  वो  पूर्व  दिशा  के , वे  ही  संभालने    आया था ।
चौथे   पुत्र   सुदर्शन   ने , मोह   दर्शन  के  मोहास्त्र  पाया था ,
पश्चिम  दिशा  का  रक्षा  -  भार ,  संभालने   को  आया  था ।
औ'   कनिष्ठ   थे   सुधन्वा  , घोड़ा  उसे   ही   पकड़ना   था ,
किशोर थे  विवाहित वे,  हा - हा ,  युद्ध    उसे ही लड़ना था ।


क्रमशः...
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