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10.02.2014

'बयान 5 : चम्पकपुरी'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     02 October     कविता     No comments   


"*सुधन्वा*" (गीति नाट्य) -- डॉ. एस पॉल ।
(प्रस्तुत गीति-नाट्य में 12 पात्र 12 आयामों का प्रकटीकरण है, यथा:- कालचक्र, अश्वमेध-यज्ञ, अश्व, महाभारत, काल, चम्पकपुरी, राजा हंसध्वज, शंख-लिखित, अवतार, भारतवर्ष, कृष्णार्जुन और सुधन्वा । ध्यातव्य है, 'सुधन्वा' ऐतिहासिक नायक थे । )




चम्पकपुरी
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मिथिलांचल में पाटलिपुत्र-सा, कुशध्वज की रज्जधानी थी ,
अवतार वैदेही   माता जानकी, कि  स्वयं शक्ति भवानी थी ।
पुष्प   पाटल  की  सुरभि  में , चंपा   भी  एक   सहेली  थी ,
कि   मैके - माँ  की  घर  में , दम   खेल  मेल'से  खेली  थी ।
चम्पक   वन  में  चमचम - सी , नगरी  चम्पकपुरी  बसी थी,
राज - दुलारे    गगन - सितारे, चकमक'से   रवि - शशि थी ।
मंथन  पर  सागर  को  जहाँ ,  अमृत  और  विष देना पड़ा  ,
नीलकंठी - कल्याणकर - शिव को,विषपान क्यों लेना पड़ा ?
चम्पकपुरी  थी  सौम्य - सुन्दर , हा-हा  सत्य कैलाशपुरी थी ,
राजा  -  प्रजा  के  बीच  समन्वय , समता   न्याय - धुरी थी ।
हंसध्वज    थे   वीर   राजा ,  पर   धीर  -   गंभीर   नहीं   थे ,
श्रवण  -  शक्ति   क्षीण   उनकी ,  मंत्री  वाक्  -  पटु सही थे ।
रीति - प्रीति  की  बात  समर  में ,  रेणु   ही  अणु  बनती  है ,
धर्म  के  निर्  महाप्राण में ही  , उत्तम परम - अणु  बनती  है ।

क्रमशः...
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