MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

9.30.2022

"सितंबर 2022 के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में पढ़िए मोटिवेशनल शिक्षक और लेखक डॉ. अभिलाष मोदी से"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     30 September     इनबॉक्स इंटरव्यू     No comments   

मैसेंजर ऑफ आर्ट प्रत्येक माह 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पिछले कई सालों से प्रकाशित और प्रसारित करते आ रहे हैं। सितंबर 2022 का 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में हमारे पाठकबंधु डॉ.अभिलाष मोदी से रूबरू हो रहे हैं, जो एकसाथ लेखक, टील्स (TILS) एजुकेशन के फाउंडर, रचनात्मक टीचर और सबसे महत्वपूर्ण जीवन को समझने के क्रम में जिन्दगी के अनुशासित विद्यार्थी हैं। वह कई सालों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं, यथा- कौशल रूप में वह बच्चों को अंग्रेजी सीखा रहे हैं और मानसिक रूप में वह बच्चों को सही समझ देने का प्रयास कर रहे है। डॉ. अभिलाष जी का कहना है कि जब आप काम में अपना शत-प्रतिशत देते हैं, तो छोटी-छोटी परेशानियाँ खुद-ब-खुद ख़त्म हो जाती हैं। आइए, सितंबर 2022 के 'इनबॉक्स इंटरव्यू में पढ़ते हैं और जानने की कोशिश करते हैं श्रीमान अभिलाष मोदी को, जिनके कार्य जहां युवाओं को प्रेरित करेंगे, वहीं आदरणीय पाठकगण उनके कार्यों को आत्मसात भी करेंगे...

डॉ.अभिलाष मोदी

प्र.(1.)आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?
उ:- 

वर्तमान में मैं अंग्रेजी शिक्षक हूँ और ज्यों-ज्यों यह जीवन समझ में आ रहा हैं, इस अनुभव के सापेक्ष मैं भाषा के साथ ही अपने विद्यार्थी के भाव को सही करने की कोशिश कर रहा हूँ। कुछ ही समय हुआ है, मेरा चयन राजस्थान पत्रिका की पॉवर लिस्ट में हुआ है, जो कि मुझे 11 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में बच्चो को भाषा का अध्यापन के द्वारा व्यक्तित्व विकास का कार्य करने के लिए चुना गया। आगामी 5 वर्षों तक मेरे जीवन का उद्देश्य यही हैं कि मैं अंग्रेजी भाषा को आसान कर पाऊं, ताकि कोई भी इसे आसानी से सीख सकें, उसी को लेकर मेरे 3 शोधपत्रों को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ इंग्लिश एंड स्टडीज-आईजोस ने प्रकाशित किया हैं। अंग्रेजी भाषा व साहित्य के शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ इंग्लिश एंड स्टडीज दुनिया के प्रमुख जर्नल्स में एक हैं। शोधपत्रों में फल विषय टेंसेज का संज्ञानात्मक दृष्टिकोण, दूसरा विषय पेसिव वॉयस को सीखने की सरल बारीकियां और तीसरा विषय भाव, विचार व भाषा का सम्बन्ध है। इनसे पहले भी अंग्रेजी भाषा को आसान बनाने के लिए अपने 2 साथियों के साथ मिलकर मैंने एक रैप सोंग कंपोज़ किया था, जिसे भारत सरकार के एम.एस.डी.ई. मंत्रालय द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। हमने एक गेम लेक्सो भी बनाया है, जिसे इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में शामिल किया जा चुका हैं। मेरा उद्देश्य है कि लोग मेरे जिन्दगी से कुछ भी प्रेरणा लेकर खुशहाल और समृद्ध जीवन जीये।


प्र.(2.)आप किसप्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-

अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के बाद मैंने एक फैक्ट्री में मजदूर के रूप में कार्य किया है। मेरे मन में हमेशा ही समाज के लिए कुछ सही करने का जज्बा बना रहता है। जब कड़ी मेहनत और लगन के बाद मुझे एक शिक्षक बनने का मौका मिला, तो 2 साल शिक्षक रहने के बाद ही मुझे इस बात की गहराई से एहसास हो गया कि शिक्षक होना एक सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारी है। एक आदर्श शिक्षक आगामी समय के लिए एक सही परिवार और एक सही समाज तैयार करता है। मैं इस बात को गहराई से मानता हूँ कि शिक्षक केवल किसी कौशल को हासिल करके कमाने का नाम नहीं, बल्कि सही मानसिकता के साथ आनेवाली पीढ़ियों के लिए एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिसमें आनेवाली पीढ़ी का हर बच्चा जिंदगी जीने के लिए भी उत्साही हो सके। ध्यातव्य है, मैं वर्ष 2011 से अंग्रेजी पढ़ाने के साथ-साथ 'बच्चों को जिंदगी कैसे जीने हैं' की सीख दे रहा हूँ। शुरुआत में यह सफर काफी कठिन था, पर जैसे-जैसे विद्यार्थियों को अपने अंदर सकारात्मक परिवर्तन दिखने लगे, ठीक वैसे-वैसे अंग्रेजी सीखने के साथ ही व्यक्तित्व को अच्छा करने के ऊपर बच्चों का ध्यान जाता गया। मेरा एक ही उद्देश्य रहा है कि मेरी जिंदगी शेष जिंदगियों के लिए प्रेरणा बन सके। इसे लेकर मैंने कई राष्ट्रीय और विश्व कीर्तिमान हासिल किया है। मेरे द्वारा अंग्रेजी भाषा और व्यक्तित्व विषय पर लिखी किताबें लोगों को बेहतर भाषा और व्यक्तित्व निखारने में मदद कर रही है। मेरी कहानी को जोश टॉक्स व टेड ऐक्स पर भी दिखाया जा चुका है। मेरा मानना हैं कि हर युवा का एक ही लक्ष्य है- स्वयं में समाधान पाना, परिवार में संदेहमुक्त होना, नौकरी या व्यवसाय में समृद्ध होना और अगर यह तीनों एक युवा में होता है तो समाज हर डर से मुक्त हो जाएगा, एतदर्थ हर युवा को इसी लक्ष्य के लिए मेहनत करनी होगी, ताकि पीढ़ी दर पीढ़ी हम एक बेहतरीन इंसान को पा सकें। मेरा उद्देश्य और जीवन का लक्ष्य हैं कि मैं बच्चो को शिक्षा में कौशल के साथ-साथ मानसिकता की भी महत्ता को जन-जन तक पहुंचा पाऊं।


प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?
उ:-

अभी तक एक लाख से ज्यादा लोगों के संपर्क में आ चुका हूँ, जिसे लेकर मैंने जिन्दगी को खुशियों के साथ जीना सिखाने की कोशिश कर रहा हूं, हालाँकि यह समझना 2 से 3 महीने की क्लास करने भर नहीं, अपितु इन्सान को अगर ये समझ में आ जाए कि वो हमेशा अपने परिवार के साथ रहकर भी खुश हो सकता हैं, तो वह करियर के लिए घरवालों का उपयोग न करके करियर को केवल भौतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए करेंगे। जो विद्यार्थी मेरे साथ एक विद्यार्थी-शिक्षक सम्बन्ध को ठीक से समझ पाते हैं, उनके पास लाइफ को लेकर ज्यादा समझ और आत्मविश्वास होता है और यह किसी भी प्रकार के भौतिक अचीवमेंट से कई गुना बड़ा है। मेरे प्रयास को उद्धृत लिंक से दृष्टिगोचित किया जा सकता है, यथा-

https://abhilashmodi.com/testi.php


प्र.(4.)आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?
उ:-

मुझे वैसे ऐसी कोई समस्या नहीं आई है या यूँ कह सकते हैं कि जब आप काम में अपना शत-प्रतिशत देते हैं, तो छोटी-छोटी परेशानियाँ खुद-ब-खुद ख़त्म हो जाती हैं।


प्र.(5.)अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?  
उ:-

जब आप इंग्लिश क्लास में लाइफ को सही से जीने की बात करते हैं, तो दिक्कत आना स्वाभाविक है, पर दुनिया में नकारात्मकता जैसे-जैसे बढ़ती गयी, वैसे-वैसे ही मेरा इंग्लिश क्लास में इसे पढ़ाना आसान हो गया, क्योंकि लोगों को इसकी ज्यादा जरूरत महसूस होने लग गई।


प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ?  आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !

उ:-

हर इंसान अपनी उपयोगिता को साबित करने के लिए इच्छाशक्ति को बरकरार रखकर और उसे जानकर ही तृप्त होता है। जब मैं क्लास में पढ़ाता हूँ, तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं कोई स्प्रिचुअल काम कर रहा हूँ। जैसा मैंने पहले भी बताया है कि शिक्षक बन कर कोई दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने में जो सहयोग दे सकते हैं, वह कोई और पेशे का इन्सान सोच भी नहीं सकता। खुद के परिवार के लोग ही नहीं वरन कई सारे परिवार के लोग खुश होते हैं, जब आपकी सही सोच से बच्चा केवल किसी कौशल को नहीं सीखता है, बल्कि एक सही मानसिकता के साथ भी जी पाता हैं।


प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?
उ:-

दुनिया में अगर कोई भी इंसान कुछ कर पाते हैं, तो उसका सबसे बड़ा कारण होता है- उनका परिश्रम और साथ में उसके जीवन में कुछ ऐसे लोगों का होना, जो हमेशा उसे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देते हैं। मेरे जिन्दगी में कई लोग रहे हैं, जिसे मैं कभी नहीं मिला, पर मैं उन्हें अपनी प्रेरणा मानता हूँ, क्योंकि उन्हीं के सहयोग से मैं जीवन में सही मुकाम पर पहुँच पाया। ऐसे लोगों में- संदीप माहेश्वरी, सद्गुरु, मिल्खा सिंह, डॉ. अब्दुल कलाम, महात्मा गाँधी इत्यादि। इन्हीं लोगों के साथ- साथ ऐसे भी कुछ लोग रहे हैं, जिन्होंने मेरी जिन्दगी को आसान बनाने में बहुत सहयोग दिए, वे हैं- दिव्यांशी शुक्ला, अजय सिंह चौधरी, प्रतीक सैनी, अनिरुद्ध वैष्णव भैया, सोम भैया, मेरी माँ श्रीमती मधु मोदी, रमेश सिंह दरोगा, मेरे परिवार के सभी सदस्य व मेरे सभी प्यारे स्टूडेंट्स।


 प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?
उ:-

मैं खुद भी जीवन को जीने की तरह जीना सीख रहा हूँ। इसके अनुसार यह भी समझ पा रहा हूँ कि संस्कृति का अर्थ है- जीने का ऐसा तरीका, जिनसे सभी लोग एक खुशहाली का जीवन जी सके और आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा दे सके। भारतीय संस्कृति को बेहतर करने में मेरा कार्य मदद कर रहा है या करा रहा हैं।


प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-

भ्रष्टाचार का आधार है- इंसान की अधूरी समझ का होना। समाज में कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें लगता हैं कि पैसा ही उनके सुख का एकमात्र कारक है, तो वह भ्रष्टाचार नहीं करेंगे तो क्या करेंगे ? मैं टीचिंग के माध्यम से बच्चों को एक बेहतर इंसान बनाने की सतत कोशिश कर रहा हूँ, क्योंकि लोगों की मानसिकता ठीक होगी, तो कोई भी भ्रष्टाचार नहीं करेगा।


प्र.(10.) इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?
उ:-

नहीं, न ही कभी ऐसी कोई जरूरत महसूस हुई।


प्र.(11.)आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !
उ:-

नहीं।

प्र.(12.)कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?
उ:-

मैं अबतक 4 पुस्तकों का प्रणयन किया है, जिनमें से 2 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनका नाम है- जस्ट स्पीक व विल डवलपमेंट। मेरे द्वारा अंग्रेजी भाषा और व्यक्तित्व निखारने पर अध्यापन को लेकर कई लोगों की भाषा बेहतर हुई है और व्यक्तित्व को लेकर समझ विकसित हुई है। लेखन के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा हैं। इस संबंध में लिंक देखिए- 

https://abhilashmodi.com/gallery_News_Article.php 


प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?

उ:-

-- अभी तक मेरे द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय, सरकारी संस्थानों, निजी व सरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय जैसे- आईसीएआई, आईसीएसआई, आईसीएमएआई में 1,00,000 से अधिक छात्रों को जीवन कौशल और सही व्यक्तित्व विकास की शिक्षा दी गई है। 

-- मेरे और मेरे कुछ मित्रो के द्वारा 'आई एम योर दोस्त' के जरिए 200 लोग को डिप्रेशन से बाहर निकालने का प्रयास किया गया है, यथा-

https://abhilashmodi.com/IAmYourDost.php

 --विभिन्न सामाजिक कार्यों के लिए गिनीज, लिम्का वर्ल्ड रिकॉर्ड और 8 बार इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मेरा नाम शामिल हो चुका है।

-- TEDx टॉक (सबसे बड़ा वैश्विक मंच) के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया गया है और जोश टॉक्स (सबसे बड़े भारतीय मंच) में भी आमंत्रित किया गया है।

-- अंग्रेजी सीखने के लिए दुनिया का पहला रैप गीत बनाने के लिए भारत के कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया गया था।

इस प्रकार की और उपलब्धियों को जानने के लिए कृपया नीचे उद्धृत लिंक को देखिए-

https://abhilashmodi.com/gallery.php


प्र.(14.)कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ? 
उ:-

अभी मैं टील्स संस्थान व कई सारी दूसरी संस्थाओं पर बच्चों को अंग्रेजी व व्यक्तित्व निखार विषय पढ़ाता हूँ। मेरा ऐसा मानना हैं कि इंसान की भौतिक जरूरतें इतनी ज्यादा नहीं होती, जब उसकी भावनात्मक जरूरतें पूरी तरीके से नहीं भरती, तो वे भौतिकता से अपनी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते हैं और उसी के कारण उसके जीवन का एक बड़ा वक्त वो आजीविका के लिए देता हैं।

 आप हँसते रहें, मुस्कराते रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें....... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !

नमस्कार दोस्तों !

'मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा। आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो  हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com


  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'कोरों के काजल में...'
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART