अगस्त माह कई दृष्टियों से ऐतिहासिक और महान है। भारतीय स्वतंत्रता, 1942 क्रांति का माह 'अगस्त' हर भारतवासियों के लिए हमेशा ही महान और प्रासंगिक रहेगा, पर जापान के लिए यह माह (6 और 9 अगस्त) अणुबम की बमबारी को लेकर 77 साल बाद भी दुःखदायी और कष्टदायी है और रहेगा। दोनों देश की ये घटनाएँ स्वयं में सुख और दुःख को लेकर अलग-अलग बानगी लिए आज भी जीवंत है। 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' अपने बहुचर्चित मासिक स्तंभ 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के अगस्त 2022 अंक में युवा लेखक श्री अंकुर मिश्रा को सादर स्थान दिया है। सनद रहे, अंकुर जी "साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2022" के फाइनलिस्ट/शार्टलिस्टेड लेखक हैं। आइए, श्री अंकुर मिश्रा को हम जानते हैं, उन्हीं की जुबानी....
प्र.(1.) आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?
उ:-
नमस्कार, सबसे पहले तो मैं 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' को धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने मुझे इस सम्मान के लिए चुना। मैं एक सरकारी बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत हूँ।
प्र.(2.) आप किसप्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मैं एक मध्यम वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखता हूँ। साहित्य के क्षेत्र में मेरा रुझान बचपन से है। मेरे नाना जी और उनके पिताश्री साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं तथा कई पुस्तकों के रचयिता हैं। मुझमें साहित्यिक रुझान वहीं से है। इसके अलावा मेरे पिताजी श्री सुबोध मिश्र जी का मेरे लेखन और पठन-पाठन का स्वभाव विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं। पिताजी ने मुझे बाल्यावस्था से ही बाल कहानियाँ और किशोर उपन्यास लाकर देते रहे हैं, जिसे लेकर मेरी ऐसी आदत बन गई कि बगैर पढ़े मुझे नींद ही नहीं आती थी। मैंने कॉलेज के दिनों में कई नाटक लिख डाले, जिनका मंचन भी हुआ। मेरी प्रथम पुस्तक "the ज़िंदगी" सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक के लिए मुझे सर्वभाषा ट्रस्ट की ओर से "सूर्यकांत त्रिपाठी निराला साहित्य सम्मान" प्राप्त हुआ। साल 2020 में दूसरी पुस्तक "कॉमरेड" प्रकाशित हुई। इस पुस्तक को यश प्रकाशन द्वारा "नवलेखन उपक्रम" के तहत चुना गया और प्रकाशित किया गया। तत्पश्चात "गंगापुत्र भीष्म" पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 2021 में प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा किया गया। इस पुस्तक को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा "बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार" की घोषणा हुई है।
प्र.(3.) आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?
उ:-
मेरे कार्यक्षेत्र में रोज ही मेरी मुलाकात लगभग 300-400 लोगों से होती हैं। इस दौरान मेरा प्रयत्न यह रहता है कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह उन सभी में कर सकूँ। मैं अपने बैंक में अधिकारी यूनियन का महासचिव भी हूँ। मेरे पास लगभग 3,000 अधिकारियों के हितों की रक्षा का दायित्व भी है। मेरा सदैव यही प्रयास रहता है कि अपने माध्यम से समाज को कुछ दे सकूँ।
प्र.(4.) आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?
उ:-
सांगठनिक रूप से बाधा अथवा रुकावट कोई नहीं है। हाँ, व्यक्तिगत क्षमताएँ और व्यक्तिगत मान्यताएँ अपना स्थान जरूर रखती हैं।
प्र.(5.) अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?
उ:- आर्थिक रूप से कोई समस्या नहीं है।
प्र.(6.) आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !
उ:-
मुख्यत: यह क्षेत्र ऐसा है, जहाँ मैं रोज ही आमजनों से मिलता-जुलता हूँ और उनकी विभिन्न समस्याओं के समाधानार्थ यथासंभव सहायता भी करता हूँ। मुख्य रूप से कथावस्तु यानी कहानियाँ हमारे परिवेश और आसपास से ही निकलती हैं, सिर्फ लेखक की दृष्टि सूक्ष्म, रससिक्त और संवेदनशील होनी चाहिए। मेरे कार्यक्षेत्र से ही मुझे अनेक कहानियाँ प्राप्त हो जाती हैं। पारिवारिक सदस्य मेरे कार्यक्षेत्र से प्रसन्न हैं। मेरी पत्नी स्वयं भी एक बैंकर हैं।
प्र.(7.) आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?
उ:-
लेखन क्षेत्र में मेरे सहयोगी साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से पुरस्कृत लेेेखक श्री भगवंत अनमोल जी हैं, जो अपनी कुशल राय सदैव देते रहते हैं।
इसके अलावा पारिवारिक सदस्य मेरे सबसे बड़े सहयोगी हैं, जिनके हिस्से के समय में से काट-छाँट कर मैं लेखन को देता हूँ। इसके बाद भी उन सभी के व्यवहार मेरे प्रति सदैव ही सहयोगात्मक रहा है।
प्र.(8.) आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?
उ:-
मेरा उद्देश्य है कि मैं महाभारत के मुख्य पात्रों की जीवनदशा और मानसिक दशा को पाठकों के सम्मुख कथारूप में एक अलग तरह से प्रस्तुत करूँ। हमारी संस्कृति इससे दृष्टिगोचित होती है।
प्र.(9.) भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
मेरे पास लगभग 3,000 लोगों की जिम्मेदारी है। मैंने कई विषयों में अपने कई साथियों की सहायता की है।
प्र.(10.) इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?
उ:-
किताब 'गंगापुत्र भीष्म' के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से ₹75,000 का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। मेरे लिखने का मुख्य उद्देश्य अपनी बातों को लोगों तक पहुँचाना है, ना कि धनोपार्जन करना है।
प्र.(11.) आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !
उ:-
अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं अपने अधिकारी संगठन में महासचिव हूँ। मेरा कार्य उनको ऐसे किसी धोखाधड़ी से बचाना और उनकी सहायता करना है।
प्र.(12.) कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?
उ:-
मेरी तीन किताबें प्रकाशित हैं:-
(i) The ज़िंदगी (कहानी संग्रह)
(ii) कॉमरेड (कहानी संग्रह)
(iii) गंगापुत्र भीष्म (उपन्यास)
--इसके अलावा कई समाचारपत्रों, पुस्तकों में लेख आ कहानियाँ आदि का प्रकाशन हुआ है।
प्र.(13.) इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
पुस्तक 'the ज़िंदगी' के लिए "सूर्यकांत त्रिपाठी निराला साहित्य सम्मान" और पुस्तक 'गंगापुत्र भीष्म' के लिए "बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार" प्राप्त हुआ है। इसके अलावा पुस्तक 'कॉमरेड' को यश प्रकाशन के द्वारा "नवलेखन उपक्रम" के अंतर्गत चुना गया है।
प्र.(14.) कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:- बैंकिंग व लेखन ही मेरे दो कार्यक्षेत्र हैं।
नमस्कार दोस्तों !
रोचक इंटरव्यू रहा। अंकुर जी के विषय में विशेषकर उनके कार्यक्षेत्र के विषय में जानना अच्छा लगा। आभार।
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