आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवि श्रीमान शैलेंद्र शांत की अद्वितीय कविता.......
कुछ तुम सोचो,श्रीमान शैलेंद्र शांत
कुछ हम सोचे
कुछ तुम बोलो
कुछ हम डोलें
गांठें थोड़ा तुम खोलो-
गांठें ढीली करें हम थोड़ा
जब हम तुम थोड़ा बदलेंगे
तभी तो जमाना बदलेगा-
बदलेगा जी बदलेगा
जुमलों का फ़साना बदलेगा !
नमस्कार दोस्तों !
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