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6.03.2022

'जुमलों का फ़साना बदलेगा...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     03 June     कविता     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवि श्रीमान शैलेंद्र शांत की अद्वितीय कविता.......

श्रीमान शैलेंद्र शांत
कुछ तुम सोचो,
कुछ हम सोचे 
कुछ तुम बोलो 
कुछ हम डोलें 
गांठें थोड़ा तुम खोलो-
गांठें ढीली करें हम थोड़ा 
जब हम तुम थोड़ा बदलेंगे 
तभी तो जमाना बदलेगा-
बदलेगा जी बदलेगा 
जुमलों का फ़साना बदलेगा !

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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