MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

5.29.2022

"सीखने की जिज्ञासा कभी खत्म होने न दीजिए' मई 2022 के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कवयित्री सुश्री गुड़िया कुमारी से"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     29 May     इनबॉक्स इंटरव्यू     No comments   

मई 2022 कई मायने में इतिहासवृंत हैं, जैसे- वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को महर्षि मेंहीं जयंती, तो वैशाख पूर्णिमा को महात्मा बुद्ध की जयंती आदि। देश में कभी इसी माह परमाणु परीक्षण भी हुए थे, किन्तु तब बुद्ध मुस्कराए थे। आज रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने से वैश्विक स्तर पर परमाणु युद्ध का खतरा मँडरा रहा है। कोरोना के विरुद्ध पहला वैक्सीन देनेवाले रूस जिसतरह से इस युद्ध में सबसे महती और आक्रामक पक्ष हैं और जिनसे निर्दोष लोगों की मौत और उनकी सम्पत्तियाँ नष्ट हो रही हैं, ऐसा नहीं लगता कि कोरोनाजन्य मौत से बाहर निकालने में उनके महती सहयोग भी रहे होंगे ! हालाँकि इस युद्ध में दोनों पक्ष सहित तृतीय और चतुर्थ पक्ष भी दोषी हैं तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका एकबार फिर फिस्स हो गई है। बुद्ध ने कहा है- वैर का अंत वैर से नहीं होता। ऐसे में साहित्य हमें जीने का आसरा देती है। 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' में प्रत्येक माह प्रकाशित हो रही 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में इसबार हम युवा कवयित्री सुश्री गुड़िया कुमारी से रूबरू करा रहे हैं। आइये, सुश्री गुड़िया कुमारी की साहित्यिक सफ़र व अवदान को हम उन्हीं की कलमबद्ध जानने का प्रयास करते हैं और उसे समझते हैं....

सुश्री गुड़िया कुमारी

प्र.(1.) आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?

उ:- 
जी, मैं पिछले तीन वर्षों से हिंदी साहित्य के कई विधाओं में, जैसे- शायरी, कविता, कहानी, आलेख इत्यादि लिख रही हूँ, साथ ही साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी भी कर रही हूँ। इन तीन वर्षों में 'कहानी मेरी कलम से' नामक साझा कहानी संग्रह सहित 'संभावनाओं के स्वर', 'पहल', 'आया सावन झूम के', 'पल-पल दिल के पास' नामक चार साझा काव्य संग्रह तथा अभी हाल ही में 74 कविताओं का एक संकलन "तुम अपना ख़्याल रखना" प्राची डिजिटल पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई है।


प्र.(2.) आप किसप्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उ:- 
जी, मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। मेरे इस साहित्यिक यात्रा में मुझे परिवार, समाज, मित्रो और रिश्तेदारों का भरपूर सहयोग मिला है। मैं पूर्णिया, बिहार से हूँ और अंग्रेजी भाषा-साहित्य में स्नातक हूँ। उच्च शिक्षाध्य्यन जारी है।


प्र.(3.) आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?

उ:- 
जी, साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्य समाज के हर अच्छी-बुरी चीजों और प्रथाओं को उजागर करता है। इतना ही नहीं, साहित्य  हमें विनम्र और सहनशील बनाता है। तभी तो साहित्य के अध्ययन से हमारे व्यक्तित्व में निखार आते हैं और मानसिक स्थिति से भी हम काफ़ी सामर्थ्य हो जाते हैं।


प्र.(4.) आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?

उ:- 
जी, जब मैं हिंदी साहित्य में पदार्पण किया था, उस वक़्त कुछ परेशानियां हुई थीं। अभी सब ठीक है।


प्र.(5.) अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?  

उ:- 
जी, शुरुआती दौर में मुझे कुछ आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। मुझे अपनी रचना प्रकाशित करवाने के लिये काफ़ी खर्च करने पड़े थे।


प्र.(6.) आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !

उ:- 
जी, साहित्य में रुचि होने के कारण मैंने इस क्षेत्र को चुना। मेरे परिवार के सभी सदस्य यहाँ तक कि रिश्तेदार भी मेरे साहित्यिक कार्य से काफ़ी संतुष्ट एवं खुश हैं।


प्र.(7.) आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?

उ:- 
वे तमाम लोग मेरे सहयोगी हैं, जो हमेशा ही मेरा हौसलाअफजाई करते रहे हैं तथा हर दिन कुछ नया लिखने के लिये प्रेरित करते हैं।


प्र.(8.) आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?

उ:-  
संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिये साहित्य की आवश्यकता होती ही हैं, इसलिये हम यह कह सकते हैं कि साहित्य और संस्कृति एक दूसरे के पूरक है।


प्र.(9.) भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !

उ:-
साहित्यिक गतिविधियों से व उनके पठन -पाठन से भ्रष्टाचारमुक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है। गौरतलब है कि इसे हम कितना अनुकरण कर पाते हैं ?

प्र.(10.) इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?

उ:- 
जी, प्राची डिजिटल पब्लिकेशन की ओर से "तुम अपना ख़्याल रखना" के लिये रॉयल्टी से कुछ राशि प्राप्त है।


प्र.(11.) आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !

उ:-

जी नहीं ! ऐसा वक़्त कभी नहीं आया। खुदा न करे आगे ऐसा हो।


प्र.(12.) कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?

उ:- 
संभावनाओं के स्वर (साझा काव्य संग्रह), पहल (साझा काव्य संग्रह), अब आ जाओ न (दस कवियित्रियों की कविता संग्रह- किंडल पर प्रकाशित), आया सावन झूम के (साझा कविता संग्रह), पल-पल दिल के पास (साझा काव्य संग्रह), कहानी मेरी कलम से (साझा कहानी संग्रह), तो हाल-फिलहाल प्राची डिजिटल पब्लिकेशन से 74 कविताओं का संकलन "तुम अपना ख्याल रखना" प्रकाशित हुई है।


प्र.(13.) इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?

उ:- 
जी, साहित्य के क्षेत्र में मुझे अग्र अंकित सम्मान प्राप्त हुई हैं, यथा-

1. गाँधी आदर्श पुरस्कार 2021,

2. देवभूमि सम्मान,

3. देवभूमि 'प्रेम प्रतियोगिता' सम्मान,

4. साहित्य उन्नयन सम्मान,

5. मेरी कलम मेरी पूजा कीर्तिमान साहित्य सम्मान,

6. साहित्य उत्थान प्रोत्साहन पत्र,
---इत्यादि।


प्र.(14.) कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ? 

उ:- 
जी, मैं कविता लिखने व साहित्यिक कार्य करने और अपनी पढ़ाई के अतिरिक्त आजीविकोपार्जन हेतु कुछ बच्चों को पढ़ाती हूँ। समाज व राष्ट्र को संदेश देने के लायक तो अभी बनी नहीं हूँ, फिर भी मैं यही कहना चाहूँगी- "सीखने की जिज्ञासा कभी ख़त्म होने मत दीजिये, हर दिन कुछ नया पढ़िये, लिखिये और नए लोगों से मिलिये। उनकी अच्छाइयों को आत्मसात कीजिये और बुराइयों को नजरअंदाज कीजिये।"


आप हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें।"..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !

नमस्कार दोस्तों !

मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा। आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों  के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com


  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART