आइये, मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट में पढ़ते हैं,श्रीमान गजानन्द शर्मा की अद्वितीय कविता.......
आज फिर सच-श्री गजानन्द शर्मा
अपने किरदार से शर्मिंदा है।
क्योंकि-
आज फिर झूठ बोलता आदमी,
कतार में-
सच से आगे पाया गया।
नमस्कार दोस्तों !
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