आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, सुश्री प्रतिभा चौहान की फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी अद्भुत कविता.......
तुम्हें सूखी मिट्टी को भी पढ़ना आना चाहिए
एक आबशार की तरह
मत लौट आना मरुस्थलों से
पानी की नाउम्मीद करके
गुमसुम हवाओं के तिलिस्म
अभी ठहरे हैं गठरी में समुंदर बांधे !
नमस्कार दोस्तों !
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