आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटका कड़ी में पढ़ते हैं, शिक्षक श्री सुधीर कुमार द्वारा समीक्षित उपन्यासकार तत्सम्यक् मनु के उपन्यास 'the नियोजित शिक्षक' की समीक्षा.......
उपन्यास में कई और भी बातें जिक्र हैं, जो दिल के दर्द को मन तक ले गयी; चूँकि उपन्यास जीवनी के रूप में लिखा गया है, इसलिए हरेक पन्ना पढ़कर दिल कह उठता है- वाह !
जहाँ उपन्यास के नायक का जीवन शानदार झरोखे से भरे पड़े हैं, तो वहीँ लेखक ने कई नई बातें बतलाए हैं कि प्रेमचंद कवि भी थे, बिहार दिवस 22 मार्च नहीं है.
सच में, इस उपन्यास को 21 वीं सदी की 'कालजयी' किताब हम कह सकते हैं, क्योंकि कुछ किताबों की कहानी दुखांत ज़िन्दगी की दास्तां होती हैं, जिसे पढ़कर हम उनलोगों की भावनाओं का कद्र कर रहे होते हैं, जिसके बारे 'सरकार' ने चुप्पी साध ली है !
नमस्कार दोस्तों !
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