आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, श्रीमती अलका सिन्हा की बाल कविता.......
श्रीमती अलका सिन्हा
यादों में यों तो छुपकर हम अक्सर खेला करते हैं,
रंग भरे कंचों पर यारा हम तो अब भी मरते हैं,
और समझदारों की दुनिया में जाने से डरते हैं,
चलो आज जीवन में मिलकर बचपन के रंग भरते हैं !
नमस्कार दोस्तों !
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