MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

11.19.2021

the नियोजित शिक्षक : 'भारत के संविदाकर्मियों पर पहला हिंदी उपन्यास'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     19 November     समीक्षा     No comments   

'मास्कमैन ऑफ़ इंडिया' के नाम से मशहूर श्री तत्सम्यक् मनु जी के बिल्कुल टटका उपन्यास का नाम है- the नियोजित शिक्षक, जो नियोजित शिक्षकों, पारा शिक्षकों, शिक्षामित्रों अथवा contract teachers की ज़िन्दगानी पर आधारित पहला हिन्दी उपन्यास है। आइये, मैसेंजर ऑफ़ आर्ट में पढ़ते हैं, उपन्यास की मूलभूत तथ्यों को.......

'the नियोजित शिक्षक' दुनिया का ऐसा पहला उपन्यास है, जो प्रकाशित होने से पहले ही रिकॉर्ड बुक में स्वयं का नाम और लेखनकार्य दर्ज करा चुका है। यह उपन्यास साधारण दिखनेवाले सिर्फ एक पारा या नियोजित या कॉन्ट्रैक्ट शिक्षक की कहानी नहीं है, अपितु अनगिनत नियोजित शिक्षक-बिरादरियों की असाधारण ज़िंदगीनामा लिए हैं, जो कि खुद से लेकर घर, परिवार, प्रेम, विद्यालय, छात्र, अभिभावक, कलीग्स, सगे-संबंधियों के पेंच में उलझकर 'रहस्य' भर रह जाते हैं या पहेली भर रह जाते हैं।

'the नियोजित शिक्षक' उपन्यास के साधारण दिखनेवाले नायक अद्वितीय प्रतिभा के धनी हैं। औपन्यासिक कथा उनके इर्दगिर्द घूमते हुए कई शिक्षकों की ज़िन्दगानी को बता जाते है ! ये सब कैसे करप्ट अधिकारियों को सबक सिखाते हैं और फिर अपने-अपने कर्त्तव्यों का ध्वजवाहक हो जाते हैं ? ....परंतु कई ऐसे भी शिक्षक मिल जायेंगे, जो विद्यार्थियों की भलाई के बदले अपने पेट को ही येन-केन-प्रकारेण भरते हैं !

छात्रों के प्रति समर्पित शिक्षक एक सैटेलाइट की तरह है, जो रॉकेट की फ़ोर्स से स्पेस में अपना ऑर्बिट तो पा लेते हैं, लेकिन रॉकेट की अहमियत को भूलकर यानी अपने ही ऑर्बिट में अकेले ही घूमते रहते हैं ! वे दुनिया के काम तो आ रहे हैं; किन्तु एक ही जगह, एक ही चक्र में, एक ही चक्रव्यूह में फँस गए हैं ! सैटेलाइट तो मशीन है, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन दिल और भावनाओं से मंडित शिक्षक आखिरकार इंसान ठहरे, हालाँकि वे देश के काम तो आ रहे हैं, किन्तु उनकी तारीफ करनेवाले, उनके कार्यों को लेकर वाहवाही परोसनेवाले अपनों के अतिरिक्त कोई तो है नहीं, परंतु कभी तो ऐसा भी हो जाता है कि उनके अपने भी उन्हें विस्मृत कर जाते हैं, क्योंकि कम वेतन के कारण वे अपने प्रियजनों और परिजनों के ख्वाब पूर्ण नहीं कर पाते हैं. उनके अपने भी तो सपने सँजोये रहते हैं, यह 'स्वप्न' कब पूर्ण होंगे ? इसी जन्म में या 'हारे को हरिनाम' दृष्टिकोण लिए हुए कथित पुनर्जन्म में !

हिंदी उपन्यास 'the नियोजित शिक्षक' के अद्वितीय नायक की गाथा व संघर्षगाथा इनसे भी अत्यधिक पीड़ादायक है, किन्तु हास्य वातावरण लिए और बहुत-कुछ इस उपन्यास में है यानी फूल भी, तो शूल भी ! ज्ञात हो, रोमन लिपि का 'the' सिर्फ़ नियोजित शिक्षक की महत्ता को अप्रतिम स्थिति में पहुँचाने के लिए है।

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'कोरों के काजल में...'
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART