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10.27.2021

'पक्की सड़क शहर की ओर मुड़ जाती है...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     27 October     कविता     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवि व लेखक श्री मिथिलेश कुमार राय की अद्वितीय रचना 'पक्की सड़क शहर की ओर मुड़ जाती है'.......

श्री मिथिलेश कुमार राय

यह कच्ची सड़क
तीन कोस आगे चलकर
एक पक्की सड़क में मिल जाएगी

पक्की सड़क शहर की ओर मुड़ जाती है

आप जिस गांव का पता पूछ रहे हैं
वहां तक जाने के लिए
आपको पगडंडी का सहारा लेना होगा

पक्की सड़क पर उत्तर दिशा में
चार फर्लांग चलने पर
किनारे-किनारे कदंब के कुछ वृक्ष मिलेंगे
वृक्षों के ठीक बगल से
एक पगडंडी गुजरती है
आपको उस पर उतर जाना है

खेतों के बीचों-बीच
उसी पगडंडी पर
आपको कोस भर चलना होगा
चलते हुए हरी फसल
जो अब पककर पीला हो रही है
बीच-बीच में बांसों के झुरमुट
और किसिम-किसिम के वृक्ष
चिड़िया और पालतू पशुओं से आपकी मुलाकातें होंगी
कहीं-कहीं कुछ लोग भी मिल जाएंगे
अब सर्दी आ रही है
सांप बिल में घुस रहे हैं
नहीं तो वे भी मिलते
तब भी संभल कर चलिएगा
बीते भादो में कुछ गड्ढे हो गए थे

चलते हुए ठीक सामने
जब नदी की बांध दिखने लगेगी
समझ जाइयेगा
कि आप अपने ठांव पर पहुंचने ही वाले हैं

वह गांव उसी नदी के किनारे बसा है !


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।

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