आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी नशा की अद्वितीय समीक्षा......
प्रेमचंद रचित कथा 'नशा' !
अगर अमीरी का मतलब सिर्फ़ घमंड में चूर होना होता है, तो इस दृष्टि में प्रस्तुत कथा के कथाकार जी गलत धारणा पाले हुए हैं ? अमीरी की परिभाषा क्या है, इसे किसतरह से परिभाषित करेंगे ?
रोटी, कपड़ा, मकान होने के बाद धनलिप्सा ही अमीरी है, तो लेखक की एतदर्थ परिभाषा अपरिभाषित है ! खैर, कथाकार इसपर कुछ और लिखते, तो यह खासमखास होती, क्यों ?
प्रस्तुत कथा में दोनों पात्रों की उम्र क्या होगी ? दूसरे पात्र का नाम क्या है ? क्या गाँधीजी के समय प्रस्तुत कथा के अनुसार जमींदार किसतरह होते थे ? ऐसी वस्तुस्थितियों को कथाकार प्रेमचंद ने स्पष्ट नहीं किया है !
जो भी हो, प्रेमचंद रचित कथा 'नशा' में ऐसी कोई नशा नहीं है, जिसे पढ़कर नशानाश पर कुछ सीख मिल पाए ! अगर ऐसी-जैसी कुछ भी सीख मिली होती, तो कथापात्र ईश्वरी का हृदय परिवर्त्तन अवश्य ही हो जाता !
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