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6.11.2021

कालजयी कृति 'ब्रह्म का स्वांग' का पोस्टमार्टम...(लघु प्रेरक समीक्षा)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     11 June     समीक्षा     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी ब्रह्म का स्वांग की समीक्षा......


प्रेमचंद की कहानी 'ब्रह्म का स्वांग' !
अगर पति स्वामी होते हैं, तो पत्नी क्या होंगी ? क्या ताउम्र पत्नी ही पतियों के पैरों को दबाएँगी ? क्या पत्नियाँ पतियों के जूठे खाएंगी ? अगर पति परमेश्वर है, तो पत्नी क्या हैं ? अगर पति ज्ञानी हैं, तो पत्नी क्या होंगी ? यह मर्दवादी समाज का कैसा स्वांग है ?
जो भी हो, प्रेमचंद रचित कथा 'ब्रह्म का स्वांग' स्त्री और पुरूष को लेकर उन द्वय की बातों और सोचों पर आधारित है, जिसे कथा तो बिल्कुल नहीं कह सकते हैं, किन्तु इसे तर्क-वितर्क संवाद लिए विचित्रांकन वाद-विवाद जरूर कह सकते हैं !
कुलमिलाकर प्रस्तुत कथा में साम्प्रतिक वाद-विवाद में महिलाओं की मनःस्थिति को महान लेखक बिल्कुल भी समझ नहीं पाए है ! प्रस्तुत कथा को कोई पढ़ सकते हैं ?

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।


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