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4.19.2021

कालजयी कृति 'सुजान भगत' का पोस्टमार्टम...(लघु प्रेरक समीक्षा)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     19 April     समीक्षा     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी सुजान भगत की रहस्यपूर्ण समीक्षा.......

प्रेमचंद ने अपनी कहानी 'सुजान भगत' में जहाँ जीवन की सच्ची घटनाओं को प्रतिबद्ध कराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़े हैं, किन्तु वहीं महिलाओं की मनःस्थिति को लेखक महोदय पूर्णत: समझ नहीं पाए हैं, क्योंकि कथा में ऐसे अबलाओं या सबलाओं (!) को लेकर वे अपने बुद्धिवर्द्धन पक्ष को सफलरूपेण नहीं समझ पाए हैं !

जो भी हो, प्रस्तुत कथा किसान की सच्चाई है, मगर यह बातें पचती नहीं है- 'सीधे-सादे किसान धन हाथ आते ही धर्म और कीर्ति की ओर झुकते हैं।' धर्म और यश की कामना लिए ऐसे किसान अब तो बिल्कुल नहीं दिखते हैं, तब ऐसा होते थे या नहीं !

पहले तो यह जान लेना आवश्यक है कि किसान व कृषक की क्या परिभाषा है, जो कि अबतक मैं समझ नहीं पाया हूँ, क्योंकि न्यूनतम 10 एकड़ जमीन जोतवाले किसान गरीब कैसे हो गए ? वहीं दूसरों के खेत करनेवाले व फसल उगनेवाले व्यक्ति किसान हुए या मजदूर !

नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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