वैलेंटाइन सप्ताह में आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं रचनाकार प्रेम बजाज की प्रेमपूर्ण रचना...
चित्र साभार : गूगल |
ए वक्त ज़रा ठहर जाने को क्यूं बेकरार हुआ जाता है
आएगा मुझसे मिलने जिसके दिल से मेरा नाता है।
हो गया है प्यार मुझे उनसे इसलिए बेताब हूँ मैं
प्यार में ही तो इन्सान दिल की बाज़ी लगाता है।
हार बैठा हूँ सब कुछ अपना मोहब्बत में उनकी
मोहब्बत में हार कर ही तो जीता जाता है।
ना कोइ शिकवा, ना शिकायत, ना ही गिला किया
क्योंकि प्यार में तो हर कोई दर्द ही पाता है।
आ जाओ अब तो सनम-
प्रेम का तुम बिन अकेले दिल बहुत घबराता है।
नमस्कार दोस्तों !
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