आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवयित्री सुषमा व्यास 'राजनिधि' जी की शानदार कविता.......
कवयित्री सुषमा व्यास 'राजनिधि' |
मेरी तन्हाई-
जब भी मेरी तन्हाई
मुझसे बात करती है
मुझसे ही मेरा
पता पूछती है
मैं खामोश सी
दिल की गहराई में
ड़ूबती-उतरती हूँ
मेरी तन्हाई उदास
हो जाती है
शोर में भी साथ होती है
भीड़ में बेजार होती है
फिर भी ढूंढती हूँ उसे
जाने कहाँ गुम होती है
कभी बंधी नहीं मिलेगी
इक नारी के पल्लू में
तरसती है वो उसे
अपने अस्तित्व में बांधने
मेरी तन्हाई
मुझसे ही मेरा पता पूछती है !
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