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1.07.2021

'सुलगना...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     07 January     कविता     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुतांक में पढ़ते हैं,श्रीमान सुहास भटनागर जी रचित असाधारण कविता...

श्रीमान सुहास भटनागर


सुलगते हैं जज़्बात

महकता है जज़्बा
जैसे किसी चिड़िया का
पेड़ पर बीज रख देना
और उस बीज से उड़ती
मिटटी की सौंधी ख़ुशबू
उसकी अधजगी उम्मीदें
मैंने सुनी भी है वो सरसराहट
जो है उम्मीदों की करवटों की !

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।


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