आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुतांक में पढ़ते हैं,श्रीमान सुहास भटनागर जी रचित असाधारण कविता...
श्रीमान सुहास भटनागर |
सुलगते हैं जज़्बात
महकता है जज़्बा
जैसे किसी चिड़िया का
पेड़ पर बीज रख देना
और उस बीज से उड़ती
मिटटी की सौंधी ख़ुशबू
उसकी अधजगी उम्मीदें
मैंने सुनी भी है वो सरसराहट
जो है उम्मीदों की करवटों की !
नमस्कार दोस्तों !
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