MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

11.16.2020

'बहनदूज' पर पढ़ते हैं 'आह्वान' की समीक्षा...

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     16 November     समीक्षा     No comments   

अभी भी समाज पुरूष प्रधान है, इसलिए 'भैयादूज' मना रहे हैं ! महिलाओं के सम्मानार्थ हम 'बहनदूज' क्यों नहीं मनाएँ ? आइए, हम 'बहनदूज' मनाते हैं और मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, समीक्षक रुचि सक्सेना द्वारा समीक्षित पुस्तक आह्वान (लेखक- सौरभ कुदेशिया) की समीक्षा...


बहुत कम किताबें ऐसी होती है तो पाठकों के दिमाग पर गहरी छाप छोड़ती है। ऐसी कहानी लिखने के लिए लेखक के लिए जरूरी होता है कि वह कहानी लिखते समय दिमाग लगाए और साथ ही अपनी कल्पना को शब्दों में खूबसूरती से उकेरे। 

सौरभ कुदेशिया द्वारा लिखित "आह्वान" एक ऐसी ही किताब है जो पहले पन्ने से ही ऐसी सिहरन पैदा करती है, जो किताब पूरी पढ़ने के बाद भी कई दिनों तक आपके दिलों-दिमाग को झकझोरती रहती है। कहानी रोहन और उसकी मौत के बाद अजीब तरीके से मिली उसकी वसीयत से शुरू होती है और धीरे-धीरे उसके जीवन को कुछ ऐसी डरावनी घटनाओं से जोड़ने लगती है जिसकी उसके परिवार ने कभी कल्पना भी नहीं की होती है। रहस्य की परतें कुरेदने की कोशिश उसके परिवार को एक ऐसे पुरातन डर पर लाकर छोड़ती है जो उनके साथ लगातार हो रही अजीब और डरावनी घटनाओं को जनक बना हुआ था। 

शुरुआती पाठक के तौर पर इस उपन्यास ने मुझे अचंभित करने के साथ कई रहस्यों में उलझाकर अकेला छोड़ दिया है। हर शब्द बखूबी पिरोया गया है। कहानी में कुछेक हिस्से है जो पहली नजर में थोड़े कमजोर पड़ते है, पर आगे का हिस्सा पढ़कर लगता है कि उन्हें जानबूझकर ऐसे ही लिखा गया है ताकि पाठक उन घटनाओं से आसानी से जुड़ाव महसूस कर सके। इस जुड़ाव के बीच पाठक कहानी की गहराई में उतरता जाता है।  

उपन्यास पढ़ना शुरू करने के बाद इसे पूरा किए बिना छोड़ना मुश्किल है। उत्कृष्ट लेखन शैली और कहानी की तेज गति पाठकों को बड़ी चतुराई से बांधते हुए उनके रोंगटे खड़े करती है। अपराध, जासूसी, धर्म, अध्यात्म, इतिहास, पुराण, रहस्य और रोमांच के साथ कल्पना और तथ्यों का अद्वितीय समावेश है। रहस्य की गुत्थियां आरंभ होती है, एक-दूसरे से जुड़ती है और फिर दिमाग को उसमें उलझाकर अपनी एक अमिट छाप पाठकों के मन पर छोड़कर कहानी आगे बढ़ाती रहती है।जैसे ही लगता है कि अब रहस्य पकड़ में आने लगा है, कहानी एक अनपेक्षित मोड़ लेकर आपकी अनुमानों की धज्जियां उड़ाकर कल्पना और भय को नए आयाम पर ले जाती है। सौरभ जी की लेखनी की तारीफ़ करनी होगी कि पूरी कहानी आपकी आँखों में सामने घटित होती लगती है और आप कब उसका हिस्सा बन जाते है आपको पता ही नहीं चलता है। 

उम्मीद है कि अगले भाग में ‘आह्वान’ के रहस्यों पर कुछ प्रकाश पड़ेगा। यदि आप थ्रिलर, रहस्य, रोमांच में कुछ अलग हटकर पढ़ने की इच्छा रखते है तो ‘आह्वान’ आपको अवश्य पढ़नी चाहिए। यदि नहीं तो उनमें रुचि उत्पन्न करने के लिए आपको इससे अच्छी पुस्तक मिलना मुश्किल है। 

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email- messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART