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11.03.2020

'सुश्री इरा टाक की विचारफलक...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     03 November     मन की बात     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटका कड़ी में पढ़ते हैं, सुश्री इरा टाक की विचारफलक...

उपन्यासकार इरा टाक

ख़ुश रहने के लिए दिमाग की बंद खिड़कियां खोलनी होती हैं। बंद दिमाग ठीक उसी तरह है, जैसे बंद कमरों में सिर्फ़ घुटन होती है। जो ऐसा नहीं कर पाते वो डरे हुए दुखी रहने की जायज़ वजहें गिनते-गिनाते रहते हैं। अपने डर को जीत कर खुशी का दरवाज़ा खोल सकते हैं पर अफ़सोस ! ज़्यादातर लोग उस दरवाज़े को छू भी नहीं पाते !


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।



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