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11.02.2020

'बहते पानी पर तिरती धूप...' (कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     02 November     कविता     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के आज की कड़ी में पढ़ते हैं, कवयित्री अनुलता राज नायर जी की अद्भुत कविता......

कवयित्री अनुलता राज नायर


बहते पानी पर तिरती धूप
नहीं बहती पानी के साथ,
ठहरी रहती है वहीं
कूलों की उँगलियाँ थामे

धूप सूरज की है
सूरज के साथ बहती है
सांझ ढले टिक जाती है
आकाश के सीमान्त में

जैसे प्रेम नहीं जाता प्रेमी के साथ
वो टिक जाता है
यहीं
मन की आख़री दीवार पर !


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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