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9.24.2020

'प्रेम-पत्र' (कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     24 September     कविता     No comments   

आदरणीय पाठकगण, आइये मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं श्रीमान सुधीर मौर्य की जानदार कविता....

श्रीमान सुधीर मौर्य

कुछ पुरानी किताबो में
अब भी रखे हैं प्रेम पत्र
रंग-बिरंगी स्याही से लिक्खे
कुछ इत्र में
तो कुछ आंसुओं में डूबे हुए
पुरानी अलमारी में
अब रक्खी है वो किताबें
जिनमें रक्खे तुम्हारे प्रेम पत्रो की वजह से
कभी सीलन नहीं लगती
मैं टटोल कर किताबों के पन्ने
ढूंढ कर पढ़ लेता हूँ
रोज एक प्रेम पत्र
और दमक उठता है मेरा चेहरा
ठीक उस रोज की तरह
जब तुम्हारी कोई सहेली
मुझे दे जाती थी
तुम्हारा प्रेम पत्र।

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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