हिंदुस्तान आखिर कहाँ बसता है ?
आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में इस प्रश्न का उत्तर जानते हैं श्रीमान कुमार भूपेश की कविता के माध्यम से...
अमीरों के ख़्वाबों में तो नित लंदन और पेरिस हैं,
किसानों और मजदूरों में हिन्दुस्तान बसता हैं।
ना थिएटर, ना पार्क, ना आलीशान महलों में,
यहाँ बस खेत-खलिहानों में हिन्दुस्तान बसता हैं ।
ना अमीरों की तिजोरी में, ना मठों के खज़ाने में,
यहाँ गुरुद्वारे के लंगर में हिन्दुस्तान बसता हैं ।
ना मंदिर की आरती में, ना मस्ज़िद के अजानों में,
फुटपाथ पर बिलखते नौनिहालों में हिन्दुस्तान बसता हैं ।
ना पुजारी के आह्वानों में, ना ईमामों के फरमानों में,
शहीदों के शहादत में हिन्दुस्तान बसता हैं ।
जहाँ हिन्दू के साथ मुसलमान हँसता हैं,
हर उस जगह पर हिन्दुस्तान बसता हैं ।
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में इस प्रश्न का उत्तर जानते हैं श्रीमान कुमार भूपेश की कविता के माध्यम से...
श्रीमान कुमार भूपेश |
अमीरों के ख़्वाबों में तो नित लंदन और पेरिस हैं,
किसानों और मजदूरों में हिन्दुस्तान बसता हैं।
ना थिएटर, ना पार्क, ना आलीशान महलों में,
यहाँ बस खेत-खलिहानों में हिन्दुस्तान बसता हैं ।
ना अमीरों की तिजोरी में, ना मठों के खज़ाने में,
यहाँ गुरुद्वारे के लंगर में हिन्दुस्तान बसता हैं ।
ना मंदिर की आरती में, ना मस्ज़िद के अजानों में,
फुटपाथ पर बिलखते नौनिहालों में हिन्दुस्तान बसता हैं ।
ना पुजारी के आह्वानों में, ना ईमामों के फरमानों में,
शहीदों के शहादत में हिन्दुस्तान बसता हैं ।
जहाँ हिन्दू के साथ मुसलमान हँसता हैं,
हर उस जगह पर हिन्दुस्तान बसता हैं ।
नमस्कार दोस्तों !
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