दोस्ती सर्वोत्तम रिश्तों में एक है-
जहाँ खुशी भी है, तो गम भी !
प्यार भी है, तो तकरार भी !
आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं सुश्री दुपिंदर कौर गुजराल की कविता....
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ
आबाद रहे तू ये दुआ करता हूँ
इस लाकडाउन के समय में वो
तेरे साथ बिताया हर पल याद आता है मुझे
किस तरह इकट्ठे होने पर हमारा गले लगना
वो हाथ में हाथ डालकर कुछ देर खड़े रहना
एक सकूँ की लहर का उस दौरान दौड़ना
वो वक़्त का एक पल के लिए रुक जाना
याद आता है मुझे
रोशन रहे तू ये कामना करता हूँ
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ
तेरे साथ वो हँसी के ठहाके
दिल में आज भी ख़ुशी की उमंग भर देते हैं
एक दूसरे की टांग खींचना
वो खट्टी-मिट्ठी नोंक-झोंक
एक दूसरे से कुछ देर के लिए नाराज़ होना
और फिर पूछना
कुछ और देर ख़फ़ा रहने का इरादा है क्या
वो दिल से एक दूसरे की तारीफ़ करना
परेशान होने पर हक़ से गले लगाना
वो हर बात पर हक़ जताना
वो बिन बात के लड़ना
याद आता है मुझे
महकता रहे चहकता रहे तू ये फ़रियाद करता हूँ
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ
इस ज़ूम की दुनिया में वो बात कहाँ
वीडियो काल में वो बात कहाँ
दूर-दूर से मिलने में वो बात कहाँ
नक़ाब पहनकर मिलने में वो बात कहाँ
आग़ोश में लेकर मिलने में जो बात है
वैसी बात और कहाँ
पंख लगे तू उड़ता रहे ये वंदना करता हूँ
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ
वो पल फिर से आएँगे
महफ़िलें फिर से सजेंगी
सब कुछ फिर से महकेगा
हम इकट्ठे घूमने जाएँगे
वो हँसी फिर से खिलेगी
हम फिर से गले लगेंगे
इसकी प्रार्थना मैं हर रोज़ करता हूँ
इसकी इबादत मैं हर रोज़ करता हूँ
तू खिलखिला कर हँसता रहे
ये मंगलकामना करता हूँ
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ....
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
जहाँ खुशी भी है, तो गम भी !
प्यार भी है, तो तकरार भी !
आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं सुश्री दुपिंदर कौर गुजराल की कविता....
सुश्री दुपिंदर कौर गुजराल |
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ
आबाद रहे तू ये दुआ करता हूँ
इस लाकडाउन के समय में वो
तेरे साथ बिताया हर पल याद आता है मुझे
किस तरह इकट्ठे होने पर हमारा गले लगना
वो हाथ में हाथ डालकर कुछ देर खड़े रहना
एक सकूँ की लहर का उस दौरान दौड़ना
वो वक़्त का एक पल के लिए रुक जाना
याद आता है मुझे
रोशन रहे तू ये कामना करता हूँ
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ
तेरे साथ वो हँसी के ठहाके
दिल में आज भी ख़ुशी की उमंग भर देते हैं
एक दूसरे की टांग खींचना
वो खट्टी-मिट्ठी नोंक-झोंक
एक दूसरे से कुछ देर के लिए नाराज़ होना
और फिर पूछना
कुछ और देर ख़फ़ा रहने का इरादा है क्या
वो दिल से एक दूसरे की तारीफ़ करना
परेशान होने पर हक़ से गले लगाना
वो हर बात पर हक़ जताना
वो बिन बात के लड़ना
याद आता है मुझे
महकता रहे चहकता रहे तू ये फ़रियाद करता हूँ
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ
इस ज़ूम की दुनिया में वो बात कहाँ
वीडियो काल में वो बात कहाँ
दूर-दूर से मिलने में वो बात कहाँ
नक़ाब पहनकर मिलने में वो बात कहाँ
आग़ोश में लेकर मिलने में जो बात है
वैसी बात और कहाँ
पंख लगे तू उड़ता रहे ये वंदना करता हूँ
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ
वो पल फिर से आएँगे
महफ़िलें फिर से सजेंगी
सब कुछ फिर से महकेगा
हम इकट्ठे घूमने जाएँगे
वो हँसी फिर से खिलेगी
हम फिर से गले लगेंगे
इसकी प्रार्थना मैं हर रोज़ करता हूँ
इसकी इबादत मैं हर रोज़ करता हूँ
तू खिलखिला कर हँसता रहे
ये मंगलकामना करता हूँ
ऐ दोस्त घर बैठे मैं तुझे याद करता हूँ....
नमस्कार दोस्तों !
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