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3.11.2020

'मेरे लिए उसकी चाहना ठीक वैसा असर रखती थी, जैसे...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     11 March     कविता     No comments   

आइये,
मैसेंजर ऑफ आर्ट में आज पढ़ते हैं श्रीमती रचना भोला 'यामिनी' जी की अद्वितीय रचना....

श्रीमती रचना भोला 'यामिनी'

मेरे लिए उसकी चाहना ठीक वैसा असर रखती थी

जैसे दुखते हुए दांत में लौंग के तेल का फाहा
तेज़ मिर्ची से जली जीभ पर बर्फ का एक चौरस टुकड़ा
बंद गले की ख़राश दूर करने को मुँह में रखी मुलट्ठी
बुखार में माथे पर धरा भीगा रूमाल
और फिर एक दिन जब ख़त्म हो गए सारे असर, 
तो उसकी चाहना--
दांत के तीखे दर्द, जली जीभ, बंद गले और बुखार की पीड़ा से कहीं बढ़ कर
हाड़ में छिपी दिन-रात टस-टस करने लगी
चाहनाओं के इलाज के नुस्ख़ों वाली क़िताब गुम है
अब क्या करेगा बैद ?

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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