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3.31.2020

दुनियावी लोगों के अदृश्य दुश्मन "कोरोना वायरस" से मार्च 2020 हेतु 'इनबॉक्स इंटरव्यू' लिए हैं 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' ने तथा उनके 14 सरल जवाबों को जानने के लिए पढ़िए....

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     31 March     इनबॉक्स इंटरव्यू     No comments   


'मैसेंजर ऑफ आर्ट' प्रतिमाह लगातार विविध क्षेत्रों के अप्रतिम व्यक्तित्वों व कृतित्वों से ली गई 'इनबॉक्स इंटरव्यू' प्रकाशित की है, मार्च 2020 के लिए कई 'इंटरव्यू' प्रकाशनार्थ स्वीकृत थी कि बीती रात स्वप्नावस्था में एक ईमेल प्राप्त हुई । ईमेल के प्रेषकीय-विवरण में corona virus को पढ़कर 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' अचंभित हुआ कि उन्होंने मार्च 2020 के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के लिए 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' से 14 सवाल माँगे थे ! फ़टाफ़ट गझिन प्रश्नों को तैयार की गई और भेज दी गई, जो जवाब आई, लगा- इसबार अन्य 'इंटरव्यू' को स्थगित रखते हुए 'कोरोना वायरस' से ली गई 'इनबॉक्स इंटरव्यू' को ही शामिल की जाय और शामिल करने के लिए जैसे ही ईमेल से 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' के लिए इंटरव्यू डाउनलोड किया कि यह मेल 'Email address' सहित डिलीट हो गई। प्रस्तुत 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के प्रकाशन होते-होते इस इंटरव्यू के मॉडरेटर भी स्वप्न से सीधे की-बोर्ड पर आ विराजे ! लीजिए... पढ़िए... प्रतिमानों के साथ पहली इंटरव्यू...


फ़ोटो साभार गूगल : कोरोना वायरस

प्र.(1.) आपका परिचय यानी अपने बारे में कुछ बताइए ! आप किसतरह की पृष्ठभूमि से आये हैं ?

उ:-
मैं 'कोरोना' (Corona) हूँ । यह चीनी शब्द है या लैटिन या अंग्रेजी अभी इस पचड़े पर नहीं पड़ना चाहता, परंतु यह सुकथात्मक और व्यथात्मक 'वायरस' भले ही दशक पुरानी है, किंतु व्यथात्मक होने का आरंभिक केस दिसम्बर 2019 में आयी, वो भी चीन के वुहान शहर में ! चमगादड़ के जूठे खाये फलों को मनुष्यों द्वारा खाये जाने से या अत्यधिक वायरसजन्य पशु-पक्षियों के अधपके मांस को मनुष्यों द्वारा खाये जाने से या मेरे फैलने के कोई अन्य कारण भी रहे हों, मैं भी इस संबंध में पूर्णत: स्पष्ट नहीं हूँ! भारत में मध्य जनवरी 2020 से लोग मुझसे effected हुए !

प्र.(2.) वायरस क्या है ? उनमें आप किसप्रकार मार्गदर्शक और पथभ्रष्टक की भूमिका निभाते हैं ?

उ:-
हा-हा-हा ! हिंदी फ़िल्म 'थ्री इडियट्स' का वायरस तो नहीं ही हूँ । वैसे 'वायरस' को हिंदी में विषाणु कहते हैं । अगर 'विषाणु' शब्द का विच्छेद की जाय, तो "विष + अणु", अर्थात दो मौलिक शब्द विष और अणु बनती हैं। 'विष' (जहर) का सूक्ष्म (अणु) रूप 'विषाणु' है । हर जीवों के शरीर में 'वायरस' विद्यमान रहते हैं, मनुष्यों में भी । अच्छी आत्मा और बुरी आत्मा की भाँति Good Virus और Bad Virus भी होते हैं और ये दोनों ही शरीर में होते हैं ! किसी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर Bad Virus हावी हो जाता है।

प्र.(3.) आप Good Virus हैं या Bad Virus ? इसे बताएंगे !

उ:-
मैंने तो यह जवाब दे दिया है कि किसी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर Bad Virus हावी हो जाता है, तब मैं यानी 'कोरोना' विश्वव्यापी महामारी का रूप धारण कर लूं, तो आश्चर्य क्यों ? अभी पूरी दुनिया में मेरे इसी रूप को सब देख रहे हैं । आप में रोग प्रतिरोधक क्षमता उन्नत क्वालिटी की है, इसलिए आप मुझसे अप्रभावित हैं, तभी तो इंटरव्यू ले पा रहे हैं।

प्र.(4) फिर COVID-19 क्या है ?

उ :-
वर्ष 2019 में मुझे विशेषत: जानने के कारण corona virus disease 2019 के संक्षिप्त रूप COVID-19 कहा गया यानी CO को corona से, VI को virus से और 19 को 2019 से ली गई है।

प्र.(5.)क्या कारण है, आज 200 से अधिक देश आपके गिरफ़्त हैं ?

उ:-
मानव शरीर में रोगाणुओं की संख्या इतनी अत्यधिक हो गयी है या बढ़ती जा रही है कि एक आकलन के अनुसार प्रति 100 स्वस्थ मनुष्यों में भी एक मनुष्य के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गयी है । भारत सहित कई देशों ने मुझे हल्के में लिये तथा इसे मजाक समझा ! प्रारंभिक अवस्था में ही मानव शरीर से मुझे निकाला जाए, तो वह शरीर निरोग रह सकता हैं ! चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली, स्पेन, ब्रिटेन इत्यादि देशों को अपनी-अपनी चिकित्सा-व्यवस्था पर आत्ममुग्धता के साथ भरोसा था, क्या हुआ ? उन देशों की लापरवाही से इतनी संख्या में लोग हताहत हुए !

प्र.(6.)भारत के बारे में आपकी क्या राय है ?

उ:-
जनवरी सप्ताहांत से पूरे फरवरी तक भारतीयों ने भी इस विषाणु को मजाक में लिये, तभी तो मार्च में होली पर लोग रंग-गुलाल को हवा में उड़ाते हुए खूब गुलछर्रे उड़ाए, किंतु मैं तब तक हावी हो चुका था, जब लोग फगुआ के बोल चार किये, किंतु बासी मलपूवे का मजा नहीं ले पाए, क्योंकि इसके बाद ही भारत सरकार की आँखे खुली और शनै: -शनै: प्रतिबंध लगाए ! पहले बासी-तबासी खाने पर रोक यानी स्वच्छ भोजन खाने के लिए प्रेरित किया गया, इसके साथ ही राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री के संदेश ने 22 मार्च को 'घरघुसकी' लिए जनता कर्फ़्यू का एलान हो गया, ये रिहर्सल साबित हुआ, जब पहले राज्य सरकार ने 31 मार्च के लिए लॉकडाउन की घोषणा की, प्रधानमंत्री ने सप्ताह के अंदर दूसरी बार राष्ट्र के नाम संदेश में 24 मार्च की 12 बजे रात्रि से 14 अप्रैल की 12 बजे रात्रि तक के लिए पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिए यानी अपने ही घरों में लोग नजरबंद रहेंगे, सोशल डिस्टेंसिंग लिए ! ....किंतु यह लॉकडाउन फरवरी में ही हो जानी चाहिए थी, जिनमें काफी विलम्ब की गई !

प्र.(7.)जनता कर्फ़्यू और लॉकडाउन तो कमोबेश 'आपात' ही है, किंतु 'सोशल डिस्टेंसिंग' क्यों ?

उ:-
मैं छींक, थूक, लार, खाँसी इत्यादि के माध्यम से मानव शरीर के साँसों के माध्यम से प्रवेश करता हूँ । इसलिए न सिर्फ सामाजिक लोगों से, अपितु परिवार के लोगों से भी 'सोशल डिस्टेंसिंग' कुछ हद तक ही सही है यानी अगर किसी से बात करने की आवश्यकता पड़ी तो एक मीटर की दूरी लिए और मुँह पर मास्क, गमछी या तौलिये लिए ! हाथ को चेहरे तक न ले जाओ, न मुँह पर, न आँख पर यानी हाथ प्राय: साबुन-पानी, डेटॉल, हैंडवाश से धोते रहो ! न हाथमिलाई, न किश, न आलिंगन ! हालाँकि यह कुछ हद तक ही सही इसलिए है, क्योंकि 'वायरस' आखिर कहाँ नहीं विराजमान है ? लोगों के द्वारा संयम व परहेज कमजोर हुई और मैं हावी हुआ !

प्र.(8.)आपको क्या इस लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग से प्रसन्नता हुई ?

उ:-
खाक प्रसन्नता होगी ! मैं तो चौक-चौराहे, बाज़ारों, मॉलों में बेमतलब घूमनेवाले आवारागर्द लोगों अथवा मटरगश्ती करनेवालों, गंदे रहनेवालों पर 'अदृश्य दुश्मन' की तरह व्यवहार कर रहा था, किंतु सोशल डिस्टेंसिंग ने बंटाधार कर दिया । ख़ैर, इसतरह से बचे लोग सोशल डिस्टेंसिंग से अपनी जान बचा ले, किंतु मैं भी कम नहीं, ताक में हूँ !

प्र.(9.)भारतीय संस्कृति से आप कितनी प्रभावित हैं ? 

उ:-
मैं किसी भी देश की संस्कृति से प्रभावित नहीं हूँ । भारत में लोग बिना हाथ धोए खाते हैं, तो पश्चिमी लोगों में बात-बात पर चुम्बन, आलिंगन ! कई देशों में अधपके खाना और मांस खाये जाते हैं ! ऐसे कृत्यों के मैं विरुद्ध हूँ !

प्र.(10.)सबसे पुरानी भाषा संस्कृत में सूक्त है- 'जीवेम शरदम शतकम' यानी जीव (मनुष्य) की आयु 100 वर्ष है ! आप उनकी आयु क्यों छीन रहे हैं ?

उ:-
मुझपर यह आरोप मत लगाइए । लोग खुद खराब जीवन-पद्धति, अनियमित दिनचर्या, खान-पान इत्यादि से अपनी आयु को कम कर रहे हैं । उनके लिए वे खुद दोषी हैं।

प्र.(11.)आपको मनुष्यों से कोई अफसोस रही है या उनसे आपने कभी धोखा भी खाई है ?

उ:-
मनुष्य मेरा कभी भी कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा । उनसे यही आग्रह है कि वे अपनी जिंदगी बचाने के चक्कर में पशु-पक्षियों को तबाह नहीं करें, परेशान नहीं करें !

प्र.(12.)क्या आप पर कोई रिसर्च भी हो रहा है ?

उ:-
दुनिया के 200 से अधिक देशों के लोग मुझसे संक्रमित हैं, तो कई देशों की लेबोरेट्री में मुझे भगाने के उपायों की खोज किये जा रहे होंगे, यह स्वाभाविक है, किंतु मेरे दूतों ने मुझे 'संकेत' दिया है कि मेरे विरुद्ध अबतक कोई किट विकसित नहीं हुई है, न ही कोई टीका !

प्र.(13.)आपके लक्षण यानी सर्दी, खाँसी, जुकाम इत्यादि तो प्राय: लोगों में लगे रहते हैं, फिर आप किसी एक में हैं, हम कैसे पहचानेंगे ?

उ:-
पहले तो इसतरह के लोग परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रहेंगे ! कफ व बलगमवाले आदमी से दूसरों को बचाकर रखेंगे । फिर तुरंत सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से डॉक्टरी सलाह लेंगे और डॉक्टरी सुझाव के अनुसार चलेंगे ! ऐसी स्थितियों के प्रति हम 'नीम हकीम खतरे जान' में न फँसेंगे, अपितु सचेत रहेंगे !

प्र.(14.)हम मनुष्यों की नजर में आपके यह कुकार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसपर अंकुश हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ? 

उ:-
मैं सर्वत्र और सर्वव्यापी हूँ । लोग संयम बरतकर मुझसे निजात पा सकते हैं । लोग सामाजिक दूरियों में भी प्रेम और जीवन तलाशें ! प्रत्येक राष्ट्र की सरकारों से यह कहना है कि अपने-अपने नागरिकों को वे उनकी स्वतंत्रता बचाते हुए अनुशासित करें !


नमस्कार दोस्तों !

मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में कोई भी तंत्र के गण हो, तो  हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों  के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !

हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com

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