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3.01.2020

'डॉ. चंचला पाठक जी की लघु आलेख...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     01 March     विविधा     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुतांक में पढ़ते हैं, डॉ. चंचला पाठक जी की फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी अद्भुत लघु आलेख...
डॉ. चंचला पाठक

बच्चों को यह मत गिनाइए कि आपने उनके लिए क्या-क्या कितना किया है ? अपने संकोच झिझक और कई बार आधिपत्य की भावना से निकल कर छाती से कितनी बार चिपकाए हैं, यह भी सोचिए। अनकहा कई बार बहुत घातक होता है। खुलकर और संवादपूर्ण बने रहें। भौतिक सुविधाएँ सुख सिरजती हैं,आनंद नहीं । स्नेह से लबरेज़ व्यवहार काँच जैसा नहीं शहद जैसा होता है जिसकी धार बनी रहती है। खासकर पिता इस बात का ध्यान रखें, नहीं तो सबकुछ करने के बाद भी आप बस गिनाते ही रह जाएँगे।

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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