मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुतांक में पढ़ते हैं, प्रकृति प्रेमी कवि श्री मिथिलेश कुमार राय जी के फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी अनुपमेय कविता-कृति.....
फूल फलों के पूर्वज होते होंगे
वे उनसे पहले आकर
उनके लिए
यहाँ जगह बनाते हैं
अपने अंतिम दिनों में
फूल फलों के सिर पर
किसी ताज की तरह सज जाते हैं
और वहां से
बहुत आहिस्ते-आहिस्ते जाते हैं
जैसे फल शुक्रिया का गीत गाते होंगे
अपने फूलों के लिए
हमें अपने पूर्वजों का आभार व्यक्त करना चाहिए
कि वे हमारे आने के इंतजार में खिले
और हमारे आने की खुशी में मिट गए !
श्रीमान मिथिलेश कुमार राय |
फूल फलों के पूर्वज होते होंगे
वे उनसे पहले आकर
उनके लिए
यहाँ जगह बनाते हैं
अपने अंतिम दिनों में
फूल फलों के सिर पर
किसी ताज की तरह सज जाते हैं
और वहां से
बहुत आहिस्ते-आहिस्ते जाते हैं
जैसे फल शुक्रिया का गीत गाते होंगे
अपने फूलों के लिए
हमें अपने पूर्वजों का आभार व्यक्त करना चाहिए
कि वे हमारे आने के इंतजार में खिले
और हमारे आने की खुशी में मिट गए !
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