MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

12.22.2019

'सपने एक लड़की की' (लघुकथा)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     22 December     लघुकथा     No comments   

समाज की सोच जल्दी बदलती नहीं है, लेकिन समय के साथ परिवर्तन भी आवश्यक है ! आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं सुश्री रीमा मिश्रा की लघुकथा और समझने की कोशिश करते हैं, समाज में उपस्थित बुराइयों को...
सुश्री रीमा मिश्रा

'सपने एक लड़की की'

आज वह घड़ी आ गई जिसका उसे न जाने कबसे इंतज़ार था, यह सोच वह मंद-मंद मुस्कुरा रही थी । बहुत सारे सपने ख्वाहिशें अब उसके दिल में जन्म लेने लगी थी !

आईने में अपनी सूरत देख मुस्कुराना खुद से ही शर्माना, नए ख्वाब बुनने लगी थी। ऐसा उसके साथ होना स्वाभाविक ही था, क्योंकि शादी के सतरंगी सपने तो हर लड़की देखती हैं... फिर कुछ दिनों बाद मंगनी जो होने वाली थी उसकी, सबने उसे पसंद जो कर लिया था, लड़का भी 'बिना' को भा गयी थी...

मन में बहुत सारी इच्छाओं का जन्म होने लगा और फिर पांचवे दिन लड़के वालों का फोन आया, यह मंगनी नहीं हो सकती ! वजह थी, उनकी कुंडली में चौदह गुण ही मिले ।

'बिना' के पाँव तले मानो धरती खिसक गई, क्या यह वजह इतनी मायने रखती थी ? उसके सपनों को तोड़ने के लिए जिसकी नींव अभी-अभी उसके चंचल व कोमल मन ने रखी थी।

नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART