वर्ष 2019 अवसान पर है..... तो नूतन वर्ष 2020 आने को आकुल है !
आगत वर्ष पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के विज़न 2020 साबित हो पाते हैं या नहीं, यह बातें तो आज से 365 दिनों के बाद ही जान सकूँगा ! वर्ष 2019 में वैश्विक स्तरीय और भारत में भी काफी उथल-पुथल हुए ! कई महामानवों को हमने खोये, तो अंतरिक्ष विज्ञान में उपलब्धि हासिल करते-करते रहे गए ! वहीं अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर महाभियोग चलने की मंजूरी मिली, तो 'अयोध्या मसले' का हल निकला, कश्मीर में भी एक ध्वज तिरंगा लहराए !
कवयित्री विश्वफूल ने लिखा है- 'इंसान के पास जब कुछ नहीं रहता और वे सभी तरफ से निराश हो जाते हैं, तब एक अहम वस्तु उनके पास होती.... स्वस्थ मन और कुशल मस्तिष्क ! यह अगर सही है तो दुनियावी हर जंग जीते जा सकते हैं, चाहे बीमारी से लड़ना हो या अर्थाभाव से....' इसी जिंदगी में सुश्री बिजल डी. तलेकर ने असाध्य बीमारी के बावजूद लेखन को जीवन का मकसद बनाई और 'नॉवेलिस्ट' हो गयी..... आइये, इस वर्ष के अंतिम माह के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में इनसे 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' द्वारा पूछे गए 14 गझिन प्रश्नों के बिल्कुल सरल, सहज और बोधगम्य 14 जवाबों से हम रूबरू होते हैं, साथ ही उन्हें और अपने आदरणीय/आदरणीया पाठकों को नूतनवर्ष 2020 की शुभकामनाएं परोसते हैं.....
प्र.(1.)आपके कार्यों को सोशल मीडिया व यूट्यूब के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
नाम बि. तळेकर (बिजल डी. तळेकर) है और मैं एक लेखिका व एक नॉवेलिस्ट हूँ । मैं अब तक हिंदी और अंग्रेजी भाषा में पंद्रह से ज़्यादा कहानियां सहित किताबें लिख चुकी हूँ। जिनमें से दो किताबें, 'द डार्क डेक्कन' और 'अलामना' स्वयं प्रकाशन योजनान्तर्गत यानी शेल्फ़ पब्लिश्ड की हैं।
प्र.(2.)आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मैं एक साधारण महाराष्ट्रीयन हिंदू सोनी परिवार से हूँ और गुजरात की रहवासी हूँ। मेरे परिवार में मैं एक अकेली इंसान हूँ, जिसने लेखन को अपनाया है । मेरे परिवार में दूर-दूर तक किसी को पुस्तक लेखन या किताब प्रकाशित करने का कोई जानकारियाँ नहीं थी । जिस वजह से मेरे ज़्यादातर रिश्तेदार मेरी मार्गदर्शन नहीं कर पाए, लेकिन दो साल बाद 'दिव्यभास्कर' के पत्रकार श्रीमान रफ़िक शैख को मेरे लेखन के बारे में पता चला और यह पता चलते ही उन्होंने मेरी कहानी को अखबार में प्रकाशित किया, जिसे पढ़कर डॉ. भैरवी जोशी मुझे मिलने आए। जिन्होंने एतदर्थ प्रकाशन कार्य में और लेखक के रूप में मुझे आगे बढ़ने हेतु न सिर्फ मार्गदर्शन, अपितु प्रोत्साहित भी की और इसी तरह से वर्ष 2016 में मेरी प्रथम पुस्तक 'द डार्क डेक्कन' प्रकाशित हुई ।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
मैं रहेमाटॉयड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) नामक रोग से ग्रस्त होने के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हूँ। जिस कारण मैं ज्यादातर लोगों की सहायता नहीं कर पाती हूँ, लेकिन अपने भावों, अपनी प्रतिक्रिया और अपनी सोच को लेखन के ज़रिए लोगों में बांट सकती हूँ, उनसे साझा कर सकती हूँ और मेरे ख्याल से अगर कोई भी व्यक्ति मेरी किताबों को दिल से सोचकर व समझकर पढ़ेंगे, तो निश्चित ही उससे इंस्पायर होंगे, क्योंकि मेरी कहानी कल्पना होकर भी हकीक़त का आईना दिखाती है।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
सबसे पहले मेरी रुकावट मैं ख़ुद थी, क्योंकि मुझे पुस्तक लेखन और प्रकाशन का ज्ञान नहीं था और पुस्तक प्रकाशन के लिए काफ़ी ज़्यादा धनराशि की जरूरत पड़ती है, लेकिन मुझे पता था तो यही कि, मुझे सिर्फ लिखना है..... और धीरे-धीरे रास्ता बनती गयी !
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
हाँ, बहुत ज़्यादा !
मैं एक साधारण परिवार की बिल्कुल ही साधारण लड़की हूँ। बीमारी के कारण ना अच्छी पढ़ाई हो पा रही, ना नॉर्मल लाइफ जी पा रही हूँ । ऐसे में एक्सटर्नल में बारहवीं तक की पढ़ाई के बाद मैं कुछ नहीं कर पाई। मगर जब प्रकाशन की बात आती है, तब एक किताब प्रकाशित करने और मार्केटिंग के लिए लगभग लाख रुपए की ज़रूरत पड़ती है और उसमें भी मुनाफे की कोई गारंटी नहीं ! ऐसे में दोनों पुस्तकों की केवल 100 कॉपीज़ ही छपवाकर मैंने प्रकाशन और मार्केटिंग की शुरुआत की है !
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
मैंने लेखन को नहीं, बल्कि लेखन ने मुझे चुना है। अपनी दैहिक स्थितियों के कारण मैं और भी कुछ नहीं कर पाई और जब आप कुछ करने में असमर्थ हो, तब ऐसे में जब आपका परिवार आपको विपद परिस्थितियों से जूझते हुए कुछ करते देखता है, तो वो आपका हौसला बढ़ाते हैं और मेरे परिवार ने भी यही किया !
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
एक साधारण लड़की से लेखक बनने के सफ़र में मेरा कारवाँ लगातार ही बढ़ते जा रहा है, जिसमें सबसे पहले मेरे मां-पापा, मेरी बहनें और भरा-पूरा परिवार शामिल है। फिर आगे चलकर इस कारवाँ में दिव्यभास्कर और दिव्यभास्कर के पत्रकार श्रीमान रफ़िक शैख, डॉ. भैरवी जोशी, श्रीमती अल्पना सिह, आकाशवाणी के संपादक श्री बिजल नाईक और श्री जयेश पांडे, श्री पार्थ सिसोदिया तथा अब 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' भी इस में शामिल हो गए हैं।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
यह स्पष्ट रूप से बता पाना मुश्किल है कि मेरी कहानी किसी भारतीय संस्कृति से पूरी तरह जुड़ी है या नहीं, लेकिन मेरी कहानी में यह कोशिश रहती है कि मेरी कहानी भारतीय संस्कृति की अच्छी बातें युवाओं तक पहुंचाए, ताकि मैं अच्छी से अच्छी इंसान बन पाने की उदाहरण पेश कर पाऊं !
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार की मुक्ति के लिए हमें पहले अपने ही विचारों और आदतों में बदलाव लाने होंगे ! जब कोई व्यक्ति अन्य दूसरे व्यक्ति और उनकी प्रकृति का सम्मान करना सीखेगा, तभी वो अपना काम भी शुद्ध अंत:करण से कर पाएगा और मेरी ज़्यादातर कहानियाँ दूसरो के मुकाबले अपने-आप को और अपने काम में सुधार लाने की प्रेरणा देती है।
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
प्रकाशन के लिए काफ़ी पैसे, मार्केटिंग और स्ट्रेटजी की ज़रूरत होती है । मगर स्पेशियली एबल होने के बाद भी मुझे सरकार या किसी और साहित्य संस्था से अबतक कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिल पायी है, लेकिन मेरे लेखन से प्रभावित होकर श्री राहुल धोंदे जी, जो मेरे चाचा हैं, उन्होंने उपहारस्वरूप 2000/- रुपये का DD भेजा। साथ ही हमारे वलसाड जिला विकास, महिला विकास और भारत सेवा संवाद-सूरत ने मुझे अपना सहयोग देकर सम्बल प्रदान किया और मेरे लेखन को सम्मान दिया।
प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
नए लेखकों को अक्सर काफ़ी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और मैं भी कई प्रकार की दिक्कतों को झेल चुकी हूँ, मगर सबसे ज़्यादा मुझे अगर कोई चीज़ नापसंद है, तो वह है नकली फीडबैक को बढ़ावा देना ! आजकल ऑथर का नाम देखते ही इंटरनेट पर हर कोई आपने आपको रिव्यूवर बताकर 500/- या 1000/- रुपए की मांग करता है । जबकि मार्केटिंग का काम ख़ुद पब्लिशर को करना चाहिए । फिर चाहे वो सेल्फ पब्लिशर हो या ट्रेडिशनल पब्लिकेशन !
प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
मेरे कार्य पुस्तक-लेखन है और मेरी किताबों से संबंधित वीडियो ट्रेलर मेरे इंस्टाग्राम पेज Author B. Talekar पर देखे जा सकते हैं ।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
इस कार्य क्षेत्र के माध्यम से सरकारी और निजी संस्था द्वारा मुझे अबतक सात से ज़्यादा पुरस्कार मिल चुकी है, जिनमें दो साल के ग्लोबल अवॉर्ड, योर स्टोरी इंडिया कैनेडियन पुरस्कार, यूथ डे और जिला व महिला विकास जैसे दूसरे पुरस्कार भी शामिल हैं ।
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
मेरे कार्य का संचालन मेरे द्वारा घर से होता है, जिसमें मुंबई के मेरे पब्लिशर 'बीकॉम शेक्सपियर.कॉम' और मेरे प्रोजेक्ट मैनेजर समीर जी मेरे साथ इस कार्य को संचालित करते हैं । वहीं मैं अपने लिए नहीं, बल्कि सभी नए लेखकों की ओर से सिर्फ यही कहना चाहती हूँ कि हर लेखक की इच्छा होती है कि लोग उसे उसके काम से पहचाने जाय, तो उसकी कहानी से कुछ अच्छा सीखें और प्रेरणा लें तथा जब आप किसी भी लेखक की किताब पढ़े, तो अपने विचार और अनुभव लेखक के साथ-साथ अन्य दूजे लोगों के साथ भी शेयर करें । ख़ासकर विचार और अनुभव अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और दूसरी वेबसाइट पर सही रैंक के साथ शेयर करें, ताकि नकली फीडबैक और रिव्यु दिखाकर धोखा देने वाले को बढ़ावा नहीं मिल पाए, ताकि लेखक ईमानदारी से अपनी रचनाओं को स्वयं की ऊर्जा तक पाठकों के पास पहुंचाते रहे। जय भारत।
आगत वर्ष पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के विज़न 2020 साबित हो पाते हैं या नहीं, यह बातें तो आज से 365 दिनों के बाद ही जान सकूँगा ! वर्ष 2019 में वैश्विक स्तरीय और भारत में भी काफी उथल-पुथल हुए ! कई महामानवों को हमने खोये, तो अंतरिक्ष विज्ञान में उपलब्धि हासिल करते-करते रहे गए ! वहीं अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर महाभियोग चलने की मंजूरी मिली, तो 'अयोध्या मसले' का हल निकला, कश्मीर में भी एक ध्वज तिरंगा लहराए !
कवयित्री विश्वफूल ने लिखा है- 'इंसान के पास जब कुछ नहीं रहता और वे सभी तरफ से निराश हो जाते हैं, तब एक अहम वस्तु उनके पास होती.... स्वस्थ मन और कुशल मस्तिष्क ! यह अगर सही है तो दुनियावी हर जंग जीते जा सकते हैं, चाहे बीमारी से लड़ना हो या अर्थाभाव से....' इसी जिंदगी में सुश्री बिजल डी. तलेकर ने असाध्य बीमारी के बावजूद लेखन को जीवन का मकसद बनाई और 'नॉवेलिस्ट' हो गयी..... आइये, इस वर्ष के अंतिम माह के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में इनसे 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' द्वारा पूछे गए 14 गझिन प्रश्नों के बिल्कुल सरल, सहज और बोधगम्य 14 जवाबों से हम रूबरू होते हैं, साथ ही उन्हें और अपने आदरणीय/आदरणीया पाठकों को नूतनवर्ष 2020 की शुभकामनाएं परोसते हैं.....
प्र.(1.)आपके कार्यों को सोशल मीडिया व यूट्यूब के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
सुश्री बिजल डी. तलेकर |
उ:-
नाम बि. तळेकर (बिजल डी. तळेकर) है और मैं एक लेखिका व एक नॉवेलिस्ट हूँ । मैं अब तक हिंदी और अंग्रेजी भाषा में पंद्रह से ज़्यादा कहानियां सहित किताबें लिख चुकी हूँ। जिनमें से दो किताबें, 'द डार्क डेक्कन' और 'अलामना' स्वयं प्रकाशन योजनान्तर्गत यानी शेल्फ़ पब्लिश्ड की हैं।
प्र.(2.)आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मैं एक साधारण महाराष्ट्रीयन हिंदू सोनी परिवार से हूँ और गुजरात की रहवासी हूँ। मेरे परिवार में मैं एक अकेली इंसान हूँ, जिसने लेखन को अपनाया है । मेरे परिवार में दूर-दूर तक किसी को पुस्तक लेखन या किताब प्रकाशित करने का कोई जानकारियाँ नहीं थी । जिस वजह से मेरे ज़्यादातर रिश्तेदार मेरी मार्गदर्शन नहीं कर पाए, लेकिन दो साल बाद 'दिव्यभास्कर' के पत्रकार श्रीमान रफ़िक शैख को मेरे लेखन के बारे में पता चला और यह पता चलते ही उन्होंने मेरी कहानी को अखबार में प्रकाशित किया, जिसे पढ़कर डॉ. भैरवी जोशी मुझे मिलने आए। जिन्होंने एतदर्थ प्रकाशन कार्य में और लेखक के रूप में मुझे आगे बढ़ने हेतु न सिर्फ मार्गदर्शन, अपितु प्रोत्साहित भी की और इसी तरह से वर्ष 2016 में मेरी प्रथम पुस्तक 'द डार्क डेक्कन' प्रकाशित हुई ।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
मैं रहेमाटॉयड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) नामक रोग से ग्रस्त होने के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हूँ। जिस कारण मैं ज्यादातर लोगों की सहायता नहीं कर पाती हूँ, लेकिन अपने भावों, अपनी प्रतिक्रिया और अपनी सोच को लेखन के ज़रिए लोगों में बांट सकती हूँ, उनसे साझा कर सकती हूँ और मेरे ख्याल से अगर कोई भी व्यक्ति मेरी किताबों को दिल से सोचकर व समझकर पढ़ेंगे, तो निश्चित ही उससे इंस्पायर होंगे, क्योंकि मेरी कहानी कल्पना होकर भी हकीक़त का आईना दिखाती है।
प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
सबसे पहले मेरी रुकावट मैं ख़ुद थी, क्योंकि मुझे पुस्तक लेखन और प्रकाशन का ज्ञान नहीं था और पुस्तक प्रकाशन के लिए काफ़ी ज़्यादा धनराशि की जरूरत पड़ती है, लेकिन मुझे पता था तो यही कि, मुझे सिर्फ लिखना है..... और धीरे-धीरे रास्ता बनती गयी !
प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:-
हाँ, बहुत ज़्यादा !
मैं एक साधारण परिवार की बिल्कुल ही साधारण लड़की हूँ। बीमारी के कारण ना अच्छी पढ़ाई हो पा रही, ना नॉर्मल लाइफ जी पा रही हूँ । ऐसे में एक्सटर्नल में बारहवीं तक की पढ़ाई के बाद मैं कुछ नहीं कर पाई। मगर जब प्रकाशन की बात आती है, तब एक किताब प्रकाशित करने और मार्केटिंग के लिए लगभग लाख रुपए की ज़रूरत पड़ती है और उसमें भी मुनाफे की कोई गारंटी नहीं ! ऐसे में दोनों पुस्तकों की केवल 100 कॉपीज़ ही छपवाकर मैंने प्रकाशन और मार्केटिंग की शुरुआत की है !
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
मैंने लेखन को नहीं, बल्कि लेखन ने मुझे चुना है। अपनी दैहिक स्थितियों के कारण मैं और भी कुछ नहीं कर पाई और जब आप कुछ करने में असमर्थ हो, तब ऐसे में जब आपका परिवार आपको विपद परिस्थितियों से जूझते हुए कुछ करते देखता है, तो वो आपका हौसला बढ़ाते हैं और मेरे परिवार ने भी यही किया !
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
एक साधारण लड़की से लेखक बनने के सफ़र में मेरा कारवाँ लगातार ही बढ़ते जा रहा है, जिसमें सबसे पहले मेरे मां-पापा, मेरी बहनें और भरा-पूरा परिवार शामिल है। फिर आगे चलकर इस कारवाँ में दिव्यभास्कर और दिव्यभास्कर के पत्रकार श्रीमान रफ़िक शैख, डॉ. भैरवी जोशी, श्रीमती अल्पना सिह, आकाशवाणी के संपादक श्री बिजल नाईक और श्री जयेश पांडे, श्री पार्थ सिसोदिया तथा अब 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' भी इस में शामिल हो गए हैं।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:-
यह स्पष्ट रूप से बता पाना मुश्किल है कि मेरी कहानी किसी भारतीय संस्कृति से पूरी तरह जुड़ी है या नहीं, लेकिन मेरी कहानी में यह कोशिश रहती है कि मेरी कहानी भारतीय संस्कृति की अच्छी बातें युवाओं तक पहुंचाए, ताकि मैं अच्छी से अच्छी इंसान बन पाने की उदाहरण पेश कर पाऊं !
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार की मुक्ति के लिए हमें पहले अपने ही विचारों और आदतों में बदलाव लाने होंगे ! जब कोई व्यक्ति अन्य दूसरे व्यक्ति और उनकी प्रकृति का सम्मान करना सीखेगा, तभी वो अपना काम भी शुद्ध अंत:करण से कर पाएगा और मेरी ज़्यादातर कहानियाँ दूसरो के मुकाबले अपने-आप को और अपने काम में सुधार लाने की प्रेरणा देती है।
प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
प्रकाशन के लिए काफ़ी पैसे, मार्केटिंग और स्ट्रेटजी की ज़रूरत होती है । मगर स्पेशियली एबल होने के बाद भी मुझे सरकार या किसी और साहित्य संस्था से अबतक कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिल पायी है, लेकिन मेरे लेखन से प्रभावित होकर श्री राहुल धोंदे जी, जो मेरे चाचा हैं, उन्होंने उपहारस्वरूप 2000/- रुपये का DD भेजा। साथ ही हमारे वलसाड जिला विकास, महिला विकास और भारत सेवा संवाद-सूरत ने मुझे अपना सहयोग देकर सम्बल प्रदान किया और मेरे लेखन को सम्मान दिया।
प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
नए लेखकों को अक्सर काफ़ी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और मैं भी कई प्रकार की दिक्कतों को झेल चुकी हूँ, मगर सबसे ज़्यादा मुझे अगर कोई चीज़ नापसंद है, तो वह है नकली फीडबैक को बढ़ावा देना ! आजकल ऑथर का नाम देखते ही इंटरनेट पर हर कोई आपने आपको रिव्यूवर बताकर 500/- या 1000/- रुपए की मांग करता है । जबकि मार्केटिंग का काम ख़ुद पब्लिशर को करना चाहिए । फिर चाहे वो सेल्फ पब्लिशर हो या ट्रेडिशनल पब्लिकेशन !
प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
मेरे कार्य पुस्तक-लेखन है और मेरी किताबों से संबंधित वीडियो ट्रेलर मेरे इंस्टाग्राम पेज Author B. Talekar पर देखे जा सकते हैं ।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
इस कार्य क्षेत्र के माध्यम से सरकारी और निजी संस्था द्वारा मुझे अबतक सात से ज़्यादा पुरस्कार मिल चुकी है, जिनमें दो साल के ग्लोबल अवॉर्ड, योर स्टोरी इंडिया कैनेडियन पुरस्कार, यूथ डे और जिला व महिला विकास जैसे दूसरे पुरस्कार भी शामिल हैं ।
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
मेरे कार्य का संचालन मेरे द्वारा घर से होता है, जिसमें मुंबई के मेरे पब्लिशर 'बीकॉम शेक्सपियर.कॉम' और मेरे प्रोजेक्ट मैनेजर समीर जी मेरे साथ इस कार्य को संचालित करते हैं । वहीं मैं अपने लिए नहीं, बल्कि सभी नए लेखकों की ओर से सिर्फ यही कहना चाहती हूँ कि हर लेखक की इच्छा होती है कि लोग उसे उसके काम से पहचाने जाय, तो उसकी कहानी से कुछ अच्छा सीखें और प्रेरणा लें तथा जब आप किसी भी लेखक की किताब पढ़े, तो अपने विचार और अनुभव लेखक के साथ-साथ अन्य दूजे लोगों के साथ भी शेयर करें । ख़ासकर विचार और अनुभव अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और दूसरी वेबसाइट पर सही रैंक के साथ शेयर करें, ताकि नकली फीडबैक और रिव्यु दिखाकर धोखा देने वाले को बढ़ावा नहीं मिल पाए, ताकि लेखक ईमानदारी से अपनी रचनाओं को स्वयं की ऊर्जा तक पाठकों के पास पहुंचाते रहे। जय भारत।
"आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से नूतन वर्ष 2020 की सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ......
नमस्कार दोस्तों !
मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com
खूब ।
ReplyDeleteDhanyvad.! ����
Deleteअद्भुत ।
ReplyDeleteaapka bahut bahut shukriya.!
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