किताबें हमें कभी काल्पनिक दुनिया में ले जाती हैं, तो कभी सत्य से परिचय कराती है।
आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटकी कड़ी में पढ़ते हैं कवयित्री व लेखिका सुश्री रुपाली नागर की पुस्तक इसपार मैं की लघु व प्रेरक समीक्षा...
#लप्रेस #लघु_प्रेरक_समीक्षा
कोई लेखक या कवि यह नहीं चाहते हैं कि वह क्रमशः बोरिंग कहानी व कविता का सृजन करें ! कई बार तो ऐसा भी होता है कि वह जो लिख रहे होते हैं, पूरा होने के बाद पाठकों की छोड़िए, उन्हें खुद कैसा लगेगा, उसे भी नहीं मालूम रहता है ! वे तो एकसाथ तब रोमांचित और विचलित हो जाते हैं ! ठीक वैसे ही, जैसे माँ-बाप को नहीं पता होता है कि वो जिस लाड़-प्यार से अपनी संतान को पाल रहे हैं, वो बड़ा होकर उनका नाम रोशन करेंगे या नाम डुबायेंगे या उन्हें मुसीबत में ही डाल देंगे, बावजूद 'माँ-बाप' को इस कदरन पॉजिटिव आशा रहती है और उनके लालन-पालन और प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षार्थ वे योजना में लग जाते हैं । बिल्कुल यही कारिस्तानी एक कवि व लेखक के साथ होता है । तूफानी व घनी अंधकार भरी रात में पिछले दिनों 'इस पार मैं' पढ़ा । किताब की रचनाएं 'दिल' व 'मन' को छूती तो है ही, परंतु कुछ रचनाएं दिल की गहराइयों में उतर सी गयी है !
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटकी कड़ी में पढ़ते हैं कवयित्री व लेखिका सुश्री रुपाली नागर की पुस्तक इसपार मैं की लघु व प्रेरक समीक्षा...
#लप्रेस #लघु_प्रेरक_समीक्षा
कोई लेखक या कवि यह नहीं चाहते हैं कि वह क्रमशः बोरिंग कहानी व कविता का सृजन करें ! कई बार तो ऐसा भी होता है कि वह जो लिख रहे होते हैं, पूरा होने के बाद पाठकों की छोड़िए, उन्हें खुद कैसा लगेगा, उसे भी नहीं मालूम रहता है ! वे तो एकसाथ तब रोमांचित और विचलित हो जाते हैं ! ठीक वैसे ही, जैसे माँ-बाप को नहीं पता होता है कि वो जिस लाड़-प्यार से अपनी संतान को पाल रहे हैं, वो बड़ा होकर उनका नाम रोशन करेंगे या नाम डुबायेंगे या उन्हें मुसीबत में ही डाल देंगे, बावजूद 'माँ-बाप' को इस कदरन पॉजिटिव आशा रहती है और उनके लालन-पालन और प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षार्थ वे योजना में लग जाते हैं । बिल्कुल यही कारिस्तानी एक कवि व लेखक के साथ होता है । तूफानी व घनी अंधकार भरी रात में पिछले दिनों 'इस पार मैं' पढ़ा । किताब की रचनाएं 'दिल' व 'मन' को छूती तो है ही, परंतु कुछ रचनाएं दिल की गहराइयों में उतर सी गयी है !
-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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