MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

7.31.2019

'इनबॉक्स इंटरव्यू' में मिलिए... मॉडल, अभिनेत्री और लेखिका सुश्री देवप्रभा जोशी से...

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     31 July     इनबॉक्स इंटरव्यू     2 comments   

महान साहित्यकार प्रेमचंद के जन्मदिवस पर MoA के सुधी पाठकों को शुभकामनायें ।
'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' प्रतिमाह प्रतिभाओं को लेकर आते हैं और उनसे रूबरू कराते हैं ! ऐसे प्रतिभाओं से 14 प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके उत्तर ये प्रतिभाशाली शख़्सियत देते हैं ! इस कॉलम को 'इनबॉक्स इंटरव्यू' नाम दिया गया है । 
यह जुलाई माह 'चंद्रयान-2' अभियान के लिए चर्चा में है ही, किंतु इसके साथ ही महिलाओं पर कुदृष्टि को लेकर देश में जिसतरह की कुकृत्य हो रही हैं, इसे कतई अनदेखी नहीं की जा सकती ! इसके विरोध में मुखर होना होगा ! साहित्य और कला विधा को आंदोलनरत होने होंगे व प्रगतिशीलता की राहों में चलने होंगे ! ऐसी ही प्रगतिशील सोच लिए देश की उभरती प्रतिभा तथा हिंदी लेखन क्षेत्र में ध्रुवतारा बनती जा रही व फ़िल्मी दुनिया मे भी बतौर अभिनेत्री पाँव जमाती जा रही "सुश्री देवप्रभा जोशी" के विचार प्रस्तुत 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में आइए हम पढ़ते हैं....


सुश्री देवप्रभा जोशी

प्र.(1.)आपके कार्यों को इंटरनेट, सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र  के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को  सुस्पष्ट कीजिये ? 



उ:-
मैं उदयपुर, राजस्थान निवासी हूँ। मेरी कार्यक्षेत्र लेखन और अभिनय है। 2014 से मैं अभिनय के क्षेत्र में लगातार कार्यरत हूँ। अभिनय की शुरुआत मैंने रंगमंच से 2014 में की थी। उसके बाद कई शॉर्ट फ़िल्म, विज्ञापनों और बॉलीवुड मूवी में काम करते हुए इसतरह की भूमिका जीवन के अंत तक निभाने का संकल्प लिए हूँ ।



लेखन में मेरी रूचि बचपन से ही रही है, लेकिन इसे सामाजिक तौर पर सबके सामने लेकर आई, मेरी 2016 की राष्ट्रीय लेवल की उपलब्धियां ! वर्ष 2016 में मेरे आर्टिकल को राष्ट्रीय लेवल पर द्वितीय पुरस्कार से नवाज़ा गया और तभी से मैंने लेखन को लगातार जी रही हूँ । मैं कविता, शायरी और आर्टिकल यानी सभी तरह की लेखन में रूचि रखती हूँ तथा लगातार सीखने और खुद को निखारने के लिए प्रयासरत रहती हूँ।

प्र.(2.) आप किस तरह की पृष्ठभूमि से आई हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाई हैं ?

उ:- 
मेरी पृष्ठभूमि बहुत ही सामान्य है। मेरे परिवार से कोई भी कला के क्षेत्र में नहीं है। कला और लेखन में रूचि रखने और इसे ही अपना कार्यक्षेत्र बनाने का मेरा ही निर्णय रहा। परिवार में पिताजी सिंचाई विभाग में सहायक थे, जो कि अब सेवानिवृत हो चुके हैं और माँ गृहिणी है। इसलिए यह कहना तो सही नहीं होगा कि मेरी उपलब्धियों में मेरी पृष्ठभूमि का कोई योगदान रहा है। बस, कुछ सपने देखे और जोश, जुनून के साथ उसे पूरा करने के लिए प्रयास की, जो अब भी प्रयासरत हूँ।

प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?



उ:- 
कला के क्षेत्र ने हमेशा से ही आम लोगों को इंस्पायर किया है। कला का हमारी संस्कृति में काफ़ी योगदान रहा है। कला चाहे अभिनय हो या लेखन, दोनों ही आम लोगों को लाभान्वित करती रही है। अभिनय के माध्यम से एक सन्देश आम लोगों तक पहुँचते है और आम लोग उससे काफ़ी हद तक प्रभावित होकर उसे अपनाते भी हैं। ठीक उसी प्रकार लेखन से कई महान लेखकों ने क्रांति के समय युवाओं में जोश भरा था।

प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?

उ:- 
वैसे तो रुकावटें सफलता की पहचान मानी जाती है, इसीलिए मैंने कभी रुकावटों को इतनी तवज्जों नहीं दी। मैं निरंतर चल रही हूँ, यही मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है।
फिर भी अगर बाधाओं की बात करें, तो आर्थिक स्थिति हमेशा से एक बाधा तो रही ही है। आप और मैं, सभी जानते हैं कि मनोरंजन के क्षेत्र में पैसा होना आगे बढ़ने के लिए कितना आवश्यक है, इसीलिए शायद संघर्ष का रास्ता ज्यादा लम्बा हो जाता है हमारे लिए ।

प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?  

उ:- 
जैसा कि मैंने ऊपर बताई कि आर्थिक समस्या एक बहुत बड़ा कारण होती ही है आगे बढ़ने के लिए, तो आर्थिक परेशानी ने रुकावटें तो हमेशा ही खड़ी की है और इसीलिए परिवार को भी लगता है कि यह क्षेत्र शायद मेरे लिए नहीं है।चूँकि आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत है ही नहीं, तो दिग्भ्रमित होकर नुकसान तो नहीं उठाया कभी और फिर आर्थिक तंगी ने पैसों की कीमत भी समझायी है, इसीलिए इस तरह के झांसों से बच पायी हूँ हमेशा !

प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !



उ:- 
इस क्षेत्र को चुनने के पीछे कोई विशेष वजह तो नहीं है, लेकिन यह ज़रूर कहूँगी की जीवन में एक मोड़ आता है जब हमें लगता है कि आखिर हम किसलिए बने है, तो मेरे जीवन में भी जब यह सब सोच-विचार चल रही थी, तभी मुझे रंगमंच मिला और रंगमंच ने मुझे चुना, फिर यह सफ़र लेखन को भी मूर्त रूप दे पाया और मैं कॉन्फिडेंस के साथ इन्हीं क्षेत्र को अपनी पहचान बनाकर आगे बढ़ती चली जा रही हूँ।

प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !

उ:- 
कार्यक्षेत्र में कोई सहयोगी नहीं होता ! मेरी तो यही माननी है। हाँ, मेरे अपनों ने हमेशा इसमें मुझे मोरल सपोर्ट किया, जिसने मुझे आगे बढ़ने में मदद की। प्रोत्साहन भी आगे बढ़ने में बहुत सहयोगी होता है, शेष सबकुछ आपकी ही मेहनत और संघर्ष का नतीजा होता है।

प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?



उ:- 
भारतीय संस्कृति तो हर भारतीय के रग-रग में बसी है और उसे कोई चोट नहीं पहुंचाना चाहेगा । वह भी अपने कार्य के माध्यम से। फिर भी कई बार सोच का टकराव बातों के अर्थ बदल देता है, जिसका परिणाम अच्छा नहीं होता ! कला को अगर सही रूप में ही पेश किया जाये, तो वो हमेशा अच्छे और लाभदायक परिणाम ही लेकर आती है, बाकी commercialization के दबाव में संस्कृति का हनन होना सत्य है।

प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !



उ:- 
आज का सिनेमा बोल्ड हो रहा है और ऐसे ज्वलंत मुद्दों पर खुलकर सामने आ रहा है। कई युवा लेखक भी ऐसे विषयों पर अपने विचार खुलकर प्रकट कर रहे हैं । यह संकेत है कि आने वाले समय में बेशक ही भ्रष्टाचार जैसी जड़ों तक फैली बीमारी पर रोकथाम में मदद मिलेगी। मैं हमेशा से चाहती हूँ कि ऐसी रोल प्ले करूँ, जिनसे समाज में अच्छा मैसेज जाये और लोग उससे कुछ सीखे। कोशिश तो यही रहेगी और साथ ही लोगों को भी जागरूक होकर आगे आना होगा। भारत एक लोकतान्त्रिक देश है, जहाँ सबकी भागीदारी अनिवार्य है।

प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।

उ:-
सत्य कहूँ तो मुझे अपने कार्यों में अभी तक ना तो आर्थिक सहयोग मिला और ना ही किसी प्रकार के सहयोग मिल पाया है । मैंने अन्य उत्तर हेतु बताई है कि कार्यक्षेत्र में सहयोगी होते है, यह मैं नहीं मानती, इसलिए उम्मीद तो रहती है कि सहयोग मिल पाए, लेकिन उस पर निर्भर रहना बेवकूफी है।

प्र.(11.) आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी  धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?

उ:- 
टच वुड...... अभी तक तो ऐसा कुछ कार्यक्षेत्र में हुआ नहीं है, लेकिन हर क्षेत्र की अपनी विसंगतियां होती ही है। उसी तरह इस क्षेत्र में भी बहुत कुछ है। ठोकर खाकर ही इन्सान सीखता है और सीखकर आगे बढ़ना ही जीवन है।

प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?



उ:- 
अभिनय और लेखन दोनों में ही मैं सक्रिय हूँ और फिल्म्स या किसी इवेंट के विज्ञापन समय-समय पर प्रकाशित हुए हैं।

प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?




उ:- 
लेखन में मेरी उपलब्धियों में महत्वपूर्ण उपलब्धि रही “जयपुर साहित्य समारोह” में हिंदी आर्टिकल राइटिंग में सम्मान प्राप्त होना।
अभिनय व रंगमंच के क्षेत्र में “उदयपुर रत्न अवार्ड-2019” मिलना मेरे लिए सम्मान की बात रही। क्षेत्रीय स्तर पर अन्य कई सम्मान मिलते रहे हैं।

प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ? 


उ:- 
अभिनय और लेखन के क्षेत्र की कोई सीमा नहीं है। मैंने शुरुआत अपने ही शहर उदयपुर से की और अब जहाँ भी मुझे अच्छे कार्य का अवसर मिलता है, वहाँ मैं कार्य करके खुश होती हूँ।
समाज और राष्ट्र को यही सन्देश देना चाहूंगी कि कला के विस्तार में योगदान दें और सच्ची प्रतिभाओं को आगे आने में सदैव सहयोग दें ।



"आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !

नमस्कार दोस्तों !

मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो  हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों  के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !

हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

2 comments:

  1. UnknownJuly 31, 2019

    Well done devprabha

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  2. ParidhiAugust 05, 2019

    Thank you so much

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
Add comment
Load more...

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART